विद्यालय पर प्रशासन ने ताला डाला

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विद्यालय के पूर्व प्रबन्धक एवं प्रधानाचार्य जो रिश्ते में पिता-पुत्र भी हैं, उन्होने उक्त विद्यालय में अपने खास परिवारीजनों एवं रिश्तेदारों को नियुक्ति दे रखी है। इनमें कई तो निर्धारित शैक्षिक योग्यता पूरी नहीं करते।

विद्यालय पर प्रशासन ने ताला डाला

जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पोखरा बाजार की स्थापना:- उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कप्तानगंज ब्लाक के अन्तर्गत पोखरा बाजार नामक एक प्रसिद्ध गांव हैं यहां के प्रधान के रुप में स्व. श्री सत्यनारायन पाण्डेय का इस क्षेत्र में खासा असर रहा है। आज से लगभग 50 -60 साल पहले गांव पोखरा बाजार में अपनी पैठ बनाकर रहने लगे। कांग्रेस से जुडे रहने के कारण धीरे धीरे इस गांव के संभ्रान्त बन गये। अनेकों सालों तक उन्होने प्रधानी
पोखरा
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संभाली तथा अनेक लोगों का काम अपने परिचय के बल पर कराते रहे। वे छोट-मोटे विवाद भी निपटाते थे और किसी किसी का जमीन जायदाद लेकर उसकी मदद भी कर देते रहे। लोगों को कानूनी राय देकर कही किसी का लाभ कराते रहे तो किसी का नुकसान भी हो जाता रहा । अपनी प्रधानी के समय कुछ सलाहकारों की राय से इन्होने गांव सभा की जमीन में एक विद्यालय खोलने की योजना बनाई। इसका नाम जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पोखरा बाजार रखा गया। वे इस विद्यालय के संस्थापक प्रवंधक रहे।
ग्राम समाज की भूमि पर विद्यालय स्थापित : 
हाईकोर्ट ने गलत ठहराया :- प्रबन्ध तंत्र की अपनी निजी कोई भूमि नहीं थी। प्रबन्ध समिति के प्रबन्धक विद्यालय के प्रबन्धक के साथ-साथ ग्राम सभा के प्रधान एवं भूमि प्रबन्धक समिति, पोखरा, बस्ती के अध्यक्ष भी थे। उन्होने उक्त विद्यालय के नाम पुराना गाटा सं. 422/5-10-2, 423/3-14-18 एवं 425/2-1-12 (नया गाटा संख्या 243/1-392 हे. तथा गाटा संख्या 700/1.473 हे.) पर फर्जी पट्टा सहायक चकबन्दी अधिकारी के माध्यम से करवाकर अपने विद्यालय को बतौर स्वामी अंकित करवाकर कब्जा प्राप्त कर लिया। इस पर अनेक कमरों, हाल व विद्यालय का निर्माण कर लिया गया है। जब हस्तान्तरण की जानकारी बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी, बस्ती को हुई तो उन्होंने 15 दिसम्बर 2008 को उपसंचालक चकबन्दी, बस्ती को संदर्भ सं. 452 के माध्यम से पूरी अवैध हस्तान्तरण की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस पर उपसंचालक चकबन्दी ने गुण दोष के आधार पर सहायक चकबन्दी अधिकारी की गलत प्रविष्टियों को अवैध मानते हुए दिनांक 02 अप्रैल 2009 को उक्त विद्यालय की तथाकथित विवादित भूमि को गाँव सभा की बंजर भूमि स्वीकार किया और एत्दादेश एवं निर्णय पारित किया परन्तु सात साल बीत जाने के बावजूद भी इस आदेश पर अमल नहीं किया गया है। उपसंचालक चकबन्दी के इस आदेश के विरुद्ध प्रबन्धक एवं प्रधानाचार्य माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक सिविल मिसलीनियस रिट पिटीशन सं. 33049/2009 जनता उ. मा. वि. पोखरा एवं अन्य बनाम डिप्टी डायरेक्टर चकबन्दी, बस्ती एवं अन्य के नाम दाखिल किया। इस पर माननीय उच्च न्यायालय ने बड़ी गम्भीरता से पूरे मामले का गुण-दोष के आधार पर विवेचना एवं परीक्षण कर 7 पृष्ठों में दिनांक 07 जनवरी 2010 को अपना निर्णय घोषित किया। ( इस निर्णय की प्रति गूगल पर सर्च करके देखा जा सकता है।) 
अदालतों में उलझाया गया:-_ इसकी कोई अनुवर्ती कार्यवाही अभी तक नहीं हुई थी । केस को किसी दिवानी न्यायालय में डालकर उलझाया गया और मा. उच्च न्यायालय के आदेश का खुल्मखुल्ला उलंघन एवं अवहेलता की जाती रही है। यही नहीं मा. उच्च न्यायालय ने उक्त भूमि पुनः गाँवसभा को वापस करने का आदेश पारित किया तथा विद्यालय प्रबन्धक समिति द्वारा अर्जित लाभों को दण्ड एवं ब्याज के साथ गाँव सभा को वापस करने का आदेश भी पारित किया। इतना हो जाने के बाद अपर तहसीलदार (न्यायिक), हरैया ने वाद सं. 276 गाँव सभा बनाम जनता माध्यमिक विद्यालय में ’’उ. प्र. जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था नियमावली’’ 1952 के अधीन धारा 115 सी की कार्यवाही कर 27 मार्च 2014 को रु. 57,30,005/- (सत्तावन लाख तीस हजार पाँच रुपये मात्र) का रिकवरी सर्टिफिकेट भी निर्गत किया है। इसे निर्गत हुए दो साल बीत चुकने के बाद भी अभी तक न तो वसूली की गयी है और ना ही गाँवसभा की भूमि ही विद्यालय से वापस मिल पायी है। इससे राज्य सरकार एवं गाँव सभा को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एक समाजवादी कुनवा यहां भी देखा जा सकता है :- इतना ही नहीं उक्त विद्यालय के पूर्व प्रबन्धक एवं प्रधानाचार्य जो रिश्ते में पिता-पुत्र भी हैं, उन्होने उक्त विद्यालय में अपने खास परिवारीजनों एवं रिश्तेदारों को नियुक्ति दे रखी है। इनमें कई तो निर्धारित शैक्षिक योग्यता पूरी नहीं करते। इन नियुक्तियों में शिक्षा विभाग की नियुक्ति प्रक्रिया को सही रूप में नहीं अपनायी गयी है। इस बावत जिला विद्यालय निरीक्षक, बस्ती से इन अनियमितताओं एवं नियुक्तियों से सम्बन्धित लगभग दर्जनों आवेदन पत्र सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत राज्य जन सूचना अधिकारी/जिला विद्यालय निरीक्षक, बस्ती एवं सूचना आयुक्त, लखनऊ के यहाँ चले। कुछ में निर्णय भी हो चुके हैं और कुछ विचाराधीन है । प्रधानाचार्य अपने रसूख एवं राजनैतिक प्रभाव का प्रयोग करके सही सूचना व तथ्य उपलब्ध नहीं करने देते है। वे पूरे शिक्षा तंत्र को भ्रमित करते रहे  हैं। ग्राम मरवटिया पाण्डेय के एक आवेदनकर्ता के एक आवेदन पर सूचना आयुक्त ने जिला विद्यालय निरीक्षक के विरूद्ध 25 हजार स्पये का फाइन भी लगा रखा है। जो अभी तक रिकवर नहीं हो पाया है। अधिकारी का स्थानान्तरण भी हो गया परन्तु परवर्ती अधिकारी इसमें रुचि नहीं लिया है।
घोर अनियमिततायें :-  विद्यालय के पूर्व प्रबन्धक एवं गाँव सभा के प्रधान एवं उनके पुत्र एवं प्रधानाचार्य ने विद्यालय की सम्पत्ति से संबंधित, घोर मनमानी, पद का दुरुपयोग, शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति में योग्यताओं एवं नियुक्ति प्रक्रियाओं का घोर उल्लघंन किये हैं तथा विद्यालय से अवैध लाभ एवं धनार्जन प्राप्त करते चले आ रहे हैं। किसी भी प्रकार की शिकायत होने पर उसे दबवा देते हैं। पोखरा गाँव सभा के प्रधान एवं विद्यालय के पूर्व प्रबन्धक ने शिक्षा नियमों की अनदेखी करके अपने सगे ज्येष्ठ पुत्र को 01 जुलीई 1978 से प्रधानाचार्य नियुक्त कर रखा है। उस समय तक उन्होंने बी.एड. प्रशिक्षण की डिग्री भी नहीं प्राप्त कर पायी थी। तब से आज तक वही प्रधानाचार्य के रूप में अपने पद का उपभोग करते हुए सरकारी वेतन तथा अन्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। यह आगामी 31 मार्च 2017 को सेवानिवृत्त भी हो जा रहे हैं और इनके द्वारा किये गये कार्यों की जांच पूरी नहीं हो पायी है। विद्यालय के पूर्व प्रबन्धक ने अपने 1975 में हाईस्कूल पास एक दूसरे पुत्र को लिपिक, तृतीय पुत्र की पत्नी को बिना प्रशिक्षण डिग्री के अध्यापक, एक भतीजे को बिना प्रशिक्षण डिग्री के शिक्षक, दूसरे भतीजे को अनुचर, अपने दामाद को शिक्षक, द्वितीय पुत्र के साले को शिक्षक, भांजे को दफ्तरी तथा साले के पुत्र को लिपिक पद पर नियुक्त कर रखा है। इस प्रकार बड़ी मात्रा में सरकारी धन अवैध तरीके से अपने परिवार व रिश्तेदार के मध्य बन्दर बांट करते चले आ रहे हैं। इन नियुक्तियों में नियुक्ति प्रक्रिया का घोर उल्लघंन किया गया है तथा बिना प्रशिक्षण डिग्री के इन्हें स्थायी शिक्षक नियुक्त कर दिया गया है जबकि तमाम प्रशिक्षित अभ्यर्थी दर-दर ठोकरें खा रहे हैं। विद्यालय के पूर्व प्रबन्धक ने अपने अन्य दूर के दो रिश्तेदारों को शिक्षक पद पर नियुक्त कर रखा है। इन नियुक्तियों में जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय का सहयोग लेने हेतु लेखाधिकारी के भाई को शिक्षक तथा स्टाफ के दो परिजनों को अनुचर पदों पर भी नियुक्त कर रखा है। इससे विद्यालय तंत्र एवं सरकारी शिक्षा विभाग का मिलीभगत एवं षड़यन्त्र की प्रथमदृष्टया पुष्टि होती है परन्तु इन सबके विरुद्ध अभी तक कोई जाँच या अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं हो पायी है। पूर्व प्रबन्धक की मृत्यु के बाद विद्यालय प्रबन्ध तन्त्र उनके पुत्र के हाथ में आ गया है जो एक डमी प्रबन्धक बनाकर विद्यालय के धन का मनमानी दुरुपयोग करके अराजक एवं अनैतिक कार्यों से पूरे क्षेत्र को आतंकित करते रहते हैं। इनके तथा विद्यालय में नियुक्त इनके परिवारी जनों के विरुद्ध दर्जनों अपराधिक मुकदमें कप्तानगंज एवं नगर बाजार थानों एवं बस्ती के न्यायालयों में लम्बित हैं। इससे सम्बन्धित कोई जांच राजकीय इन्टर कालेज बस्ती के प्रधानाचार्य श्री शिव वहादुर सिंह ने की है, परन्तु उसका कोई नतीजा अभी तक दिखाई नहीं पड़ा हैं । यह प्रकरण की कोई फाइल आयुक्त बस्ती तथा जिलाधिकारी बस्ती के कार्यालर्यें में कहीं दबा पड़ा है। इसको रसूकदार आरोपी ने दे लेकर कहीं छिपवा दिया है। शिक्षा के मन्दिर के पुजारी तथा व्यवस्थाकार जब इस प्रकार के कार्य करेंगे तो समाज की दशा व दिशा क्या होगी ? यह एक अनुत्तरित प्रश्न बना हुआ है।
हाईकोर्ट के कन्टेम्प्ट पर हुआ तालाबन्दी :- इसी ग्रामसभा के रमवापुर गांव के निवासी श्री सत्यनारायन पाण्डेय नामक एक दूसरे सज्जन ने ही इस अनियमितता का पटाक्षेप किया है। अनेक बाधाओं को पार करते हुए विद्यालय के खाते में उपलब्ध कुछ रकम की रिकवरी हो गयी है, परन्तु अभी वहुत बड़ी रकम विना रिकबरी के पेंडिग ही पड़ा हुआ है। विद्यालय के 11वी एवं 12वीं के बच्चों को नगर बाजार , नौंवी एवं दसवीं के बच्चों को चिलमा बाजार तथा 6 से 8 तक के बच्चों को जसई पुर के विद्यालय में शिफ्ट किया गया है। विद्यालय से उपर्जित की गयी अनियमित रकम के बारे में कोई कार्यवाही अभी तक नहीं हुई है। प्रतीत होता है यदि चुनाव की घोषणा ना हुई होती तो यह निष्पक्ष कार्यवाही भी नहीं हो पाती और सरकार के दबाव में न्यायालय के आदेशों की निरन्तर अवहेलना होती रहती ।

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