रिक्त स्थान

SHARE:

अतित की यादों से बाहर आते - आते वह पूरा आंसूओ से भीग गई थी ।उसने दुआ मे हाथ उठा दिए कि अविनाश के जीवन मे अब वो रिक्तस्थान भर जाए , उसकी जीवन मे उस रिक्तता को भरने वाली कोई आ जाए क्योंकि अब वह सच्चे प्यार को समझ गया है ।

रिक्त स्थान

आज शाम से ही अदिति रसोईघर मे नए - नए पकवान बना रही थी ।अखिल के बाॅस आ रहे थे डिनर पर ।अखिल ने कहा भी कि खाना किसी अच्छे रेस्टोरेंट से मंगा लेते हैं लेकिन वह कहा मानने वाली थी ।उसे एक ही तो शौक था वह भी कुकिंग का ।फिर वह यह भी सोचती थी कि घर आए मेहमान को घर का खाना खिलाना चाहिए ।
                  
खाने की तैयारी करने के बाद वह खुद भी तैयार होने लगी ।हलके नीले रंग की साड़ी मे वह बहुत खुबसूरत लग रही थी ।तभी डाॅरबेल बजी तो बाॅस आ गए कहते हुए अखिल ने दरवाजा खोला ।अदिति भी उनके स्वागत के लिए दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई लेकिन जैसे ही उन नवागंतुक को उसने देखा तो वह स्तम्भ रह गई ।अविनाश भी उसे देखकर हैरान हो गया ।
                 अखिल ने उन्हें अंदर बुलाया और कुछ देर बाद अदिति ने डिनर लगा दिया ।वह अविनाश के सामने बहुत असहज महसूस कर रही थी ।वह दोनों खामोश बैठें थे ।बीच - बीच मे अखिल ही कोई बात छेड़ देता था ।डिनर के बाद अखिल अविनाश को अपना घर दिखाने लगा ।
Blank spaceअखिल ने कहा - "सर , अदिति ने ही पूरे घर को डेकोरेट किया है ।अभी सिर्फ दो साल ही हुए है हमारी शादी को और इसने सबकुछ बहुत अच्छे से सम्भाल लिया है ।मुझे नहीं पता था मुझे इतनी खुबसूरत और फ्रैण्डली वाइफ मिलेगी ।
     अखिल के मुँह से अपनी इतनी तारीख सुनकर अदिति मुस्करा दी ।
अविनाश ने कहा - "आप बहुत लकी है अखिल जी ।सभी की किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती और कुछ लोग तो अपने ही हाथों अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते है ।उनकी जिंदगी से किसी एक के जाने के बाद वह रिक्तस्थान तमाम उम्र के लिए बना रहता है ।वह रिक्तस्थान कभी कोई ओर नहीं भर सकता ।"
              अखिल अविनाश की कही हुई बात समझ नहीं पाया लेकिन अदिति की पलकों मे नमी उतर आई ।वह काॅफी बनाकर लाने का कहकर वहाँ से चली गई ।
            अविनाश के जाने के बाद अखिल सो गया लेकिन अदिति की आँखों मे नींद की जगह अतित की परछाईयों ने कब्जा किया हुआ था ।कितने खुबसूरत थे वह दिन जब वह पहली बार अविनाश से मिली थी ।बहुत ही सीधा और सुलझा हुआ इंसान लगा था वह उसे ।अदिति उन लड़कियों मे से थी जो हर किसी को दिल मे जगह नहीं देती लेकिन जिसने दिल मे जगह बना ली उसे निकाल नहीं पाती ।
          अविनाश के साथ उसकी दोस्ती कब प्यार मे बदल गई उसे पता भी नहीं चला ।दोनों एक दूसरे को बहुत चाहते थे और पूरी जिंदगी एक साथ बिताने के सपने उनकी आँखों मे उतरते चले गए ।
               अदिति अविनाश को दिल की गहराई से चाहने लगी थी ।उठते - बैठते , सोते - जागते बस अविनाश ही उसके जहन मे चहलकदमी करता रहता था ।उसके दिल - दिमाग को कभी किसी ओर का ख्याल भी नहीं छुता था ।वह अविनाश की जुदाई सहन नहीं कर पाती थी ।कितने अच्छे रिश्ते उसने कोई न कोई बहाना बनाकर ठुकरा दिए थे ।
                  वह दस नवंबर का दिन था जब अविनाश ने उससे कहा कि काॅलेज की तरफ से शिमला ट्रीप जा रही है , हम भी चलते है ।
अदिति ने कहा - " मुझे घर पर माँ - बाऊजी से प्रमिशन लेनी होगी ।उसके बाद ही कुछ कह सकती हूँ ।"
अविनाश - " मुझे कुछ नहीं पता तुम चल रही हो बस ।"
अदिति ने मुस्कराते हुए कहा - " ठीक है मैं पूरी कोशिश करूँगा चलने की ।"
फिर बीस नवंबर की वह भोर जब सब काॅलेज बस मे शोरगुल मचाते हुए शिमला के लिए रवाना हुए ।
अगले दिन अविनाश ने कहा - अदिति, चलो हम दोनों कहीं घूमने निकलते है ।
अदिति - " लेकिन मैं अपनी फ्रैण्डस से क्या कहूंगी ।वह सब बहुत बातें बनाएँगी हम दोनों को नदारद देखकर ।मैं नहीं आ सकती ।"
अविनाश ने उखडते हुए कहा - " कोई कुछ नहीं कहेगा ।यहाँ आने का ही क्या फायदा जब हम साथ मे थोड़ा वक्त भी नहीं बिता सकते ।"
अदिति ने कुछ सोचते हुए कहा - कुछ भी कहो मैं नहीं जा सकती ।
अविनाश - क्यों ?
अदिति - बस ऐसे ही ।
अविनाश - " ये क्यों नहीं कहती कि तुम्हें मुझपर विश्वास नहीं है ।कमी तो मुझमें है जो अभी तक तुम्हारे दिल मे अपना विश्वास नहीं बना पाया ।"
अविनाश की ऐसी बातें सुनकर अदिति की आँखों से आंसू बहने लगे ।
उसने कहा - " मुझे खुद से ज्यादा विश्वास है तुम पर ।"
अविनाश - " ये सब कहने की बातें है अदिति ।मैंने देख लिया तुम कितना विश्वास करती हो मुझपर ।"
अदिति - अगर मेरे चलने से तुम्हारे दिल को ये शुकुन मिलता है कि मुझे विश्वास है तुम पर तो मैं चलती हूँ ।
          दोनों तभी वहाँ से निकल गए ।अविनाश अदिति को एक फार्महाउस मे ले आया ।
अदिति ने चारों तरफ नजर दौडाकर कहा - "ये हम कहा आ गए ।"
अविनाश - ये मेरे दोस्त का फार्महाउस है ।बड़ा और खुबसूरत ।
अदिति - हूँ खुबसूरत तो है लेकिन यहाँ कोई दिखाई नहीं दे रहा ।
अविनाश ने हँसते हुए कहा - कोई होगा तो दिखाई देगा ना , कोई नहीं हैं यहा ।मैंने अपने फ्रैण्ड से यहाँ की चाबी ले ली थी ताकि यहा अच्छा टाइम स्पैंड कर सके ।
अदिति - तुमने मुझे ये पहले क्यों नहीं बताया ।
अविनाश - स्रप्राइज जो देना था तुम्हें ।
        दोनों वहीं बैठकर बातें करने लगे ।कुछ देर बाद अदिति ने कहा - अविनाश अब चलते है काफी देर हो गई ।
अविनाश - अभी कुछ देर नहीं हुई ।
अदिति - नहीं नौ बज गए है और अभी हमें वहा पहुँचने मे भी काफी टाइम लग जाएगा ।
कहते हुए अदिति उठ कर जाने लगी तो अविनाश ने उसका हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहा - हम आज रात यही रूक जाते है ।
अदिति - नहीं, मैं नहीं रूक सकती ।
अविनाश - क्यों ?
अदिति - तुम जानते हो क्यों ।माँ - बाऊजी ने मुझे बहुत भरोसे के साथ यहाँ आने की इजाजत दी थी ।मैं उनका भरोसा नहीं तोड़ सकती ।
पुष्पा सैनी
पुष्पा सैनी
अविनाश - फिर वहीं बातें, ग्रोअप अदिति ।
अदिति ने अपना हाथ छुडाते हुए कहा - मैं जाती हूँ तुम्हें रूकना है रूको ।
अविनाश ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा - मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगा ।
अदिति ने रूवासी होते हुए कहा - तुम्हें क्या हो गया है आज ।हमेशा मेरी बात समझते थे लेकिन अब क्या हुआ ।
अविनाश - मैं हमेशा समझता था क्या तुम एक बार भी नहीं समझ सकती ।प्लिज रूक जाओ ।
अदिति - मुझे जाने दो ।पागल हो गए हो तुम ।मैं किस तरह की लड़की हूँ ये अच्छी तरह जानने के बाद भी ऐसा कैसे कह सकते हो तुम ।
अविनाश - रूको - रूको तुम फिर से अपने संस्कारों की बातें मत शुरू करना ।
अदिति ने गुस्से से कहा - तुम मेरा रास्ता छोडो और जाने दो मुझे ।
अविनाश - नहीं ।
अदिति - मैं बहुत विश्वास करके तुम्हारे साथ आई हूँ तुम उसे नहीं तोड़ सकते ।
अदिति ने उसके सामने अपने हाथ जोड़ दिए लेकिन वह जरा भी विचलित नहीं हुआ ।अदिति रोते हुए बस यही सोच रही थी कि क्या यह वही अविनाश है जो उसके एक आंसू की बूँद गिरने पर खुद भी रो पड़ता था और आज उसके सामने इतने कातर भाव से हाथ जोड़कर खड़े होने पर भी उसका दिल नहीं पिघलता ।
अविनाश - अदिति, मान क्यों नहीं जाती यार ।मैं प्यार करता हूँ तुमसे ।जबर्दस्ती नहीं करना चाहता ।
अदिति ने उसके गाल पर एक चाटा रसीद करते हुए कहा - " प्यार शब्द भी अपनी जबान पर मत लाना आज के बाद ।तुमने आज वो किया है जो मैं सोच भी नहीं सकती थी ।मैंने अपनी जिंदगी मे सबसे ऊँचा दर्जा अपने प्यार को दिया लेकिन तुमने कोई अहमियत ही नहीं समझी ।तुमने मेरा विश्वास तोड़ा है ।तुम्हें जिंदगी मे सबकुछ हासिल होगा लेकिन सच्चा प्यार नहीं ।ये रिक्तस्थान कभी नहीं भरेगा तुम्हारे जीवन मे ।"
अविनाश को यकीन नहीं हो रहा था कि एक ऐसी लड़की जो उसे इतना चाहती है , उस पर हाथ उठा सकती है ।उसने पहली बार उसका ये उग्र रूप देखा था ।उसने उसका रास्ता छोड़ दिया ।अदिति चली गई , हमेशा के लिए उसकी जिंदगी से भी ।
         अतित की यादों से बाहर आते - आते वह पूरा आंसूओ से भीग गई थी ।उसने दुआ मे हाथ उठा दिए कि अविनाश के जीवन मे अब वो रिक्तस्थान भर जाए , उसकी जीवन मे उस रिक्तता को भरने वाली कोई आ जाए क्योंकि अब वह सच्चे प्यार को समझ गया है ।

यह रचना पुष्पा सैनी जी द्वारा लिखी गयी है। आपने बी ए किया है व साहित्य मे विशेष रूची है।आपकी कुछ रचनाएँ साप्ताहिक अखबार मे छप चुकी हैं ।

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका