अकबर बीरबल

SHARE:

अकबर को शिकार का बहुत शौक था. वे किसी भी तरह शिकार के लिए समय निकल ही लेते थे. बाद में वे अपने समय के बहुत ही अच्छे घुड़सवार और शिकरी भी कहलाये.

अकबर बीरबल के मुलाकात की दो प्रमुख प्रारम्भिक कहानियां 

पहली कहानी 

अकबर को शिकार का बहुत शौक था. वे किसी भी तरह शिकार के लिए समय निकल ही लेते थे. बाद में वे
अकबर बीरबल
अकबर बीरबल
अपने समय के बहुत ही अच्छे घुड़सवार और शिकरी भी कहलाये. एक बार राजा अकबर शिकार के लिए निकले, घोडे पर सरपट दौड़ते हुए उन्हें पता ही नहीं चला और केवल कुछ सिपाहियों को छोड़ कर बाकी सेना पीछे रह गई. शाम घिर आई थी, सभी भूखे और प्यासे थे, और समझ गए थे कि वो रास्ता भटक गए हैं. राजा को समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरफ़ जाएं.कुछ दूर जाने पर उन्हें एक तिराहा नज़र आया. राजा बहुत खुश हुए चलो अब तो किसी तरह वे अपनी राजधानी पहुँच ही जायेंगे. लेकिन जाएं तो जायें किस तरफ़. राजा उलझन में थे. वे सभी सोच में थे किंतु कोई युक्ति नहीं सूझ रही थी. तभी उन्होंने देखा कि एक लड़का उन्हें सड़क के किनारे खड़ा-खडा घूर रहा है. सैनिकों ने यह देखा तो उसे पकड़ कर राजा के सामने पेश किया.
राजा ने कड़कती आवाज़ में पूछा, “ऐ लड़के, आगरा के लिए कौन सी सड़क जाती है”? 
लड़का मुस्कुराया और कहा, “जनाब, ये सड़क चल नहीं सकती तो ये आगरा कैसे जायेगी”. महाराज जाना तो आपको ही पड़ेगा.” यह कहकर वह खिलखिलाकर हंस पड़ा.सभी सैनिक मौन खड़े थे. वे राजा के गुस्से से वाकिफ थे. लड़का फ़िर बोला,” जनाब, लोग चलते हैं, रास्ते नहीं”. 
यह सुनकर इस बार राजा मुस्कुराया और कहा, “नहीं, तुम ठीक कह रहे हो. तुम्हारा नाम क्या है?” अकबर ने पूछा. “मेरा नाम महेश दास है महाराज”, लड़के ने उत्तर दिया, “आप कौन हैं?” लड़के ने पूछा.
अकबर ने अपनी अंगूठी निकाल कर महेश दास को देते हुए कहा, “तुम हिंदुस्तान के सम्राट महाराजा अकबर से बात कर रहे हो. मुझे निडर लोग पसंद हैं. तुम मेरे दरबार में आना और मुझे ये अंगूठी दिखाना. ये अंगूठी देखकर मैं तुम्हें पहचान लूंगा. अब तुम मुझे बताओ कि मैं किस रास्ते पर चलूँ ताकि मैं आगरा पहुँच जाऊं?”
महेश दास ने सिर झुका कर आगरा का रास्ता बताया और जाते हुए हिंदुस्तान के सम्राट को देखता रहा.

दूसरी कहानी 

जब महेश दास जवान हुआ तो वह अपना भाग्य आजमाने अकबर राजा के पास गया. उसके पास राजा द्वारा दी गई अंगूठी भी थी जो उसने कुछ समय पहले राजा से प्राप्त की थी. वह अपनी माँ का आशीर्वाद लेकर भारत की नई राजधानी फतेहपुर सीकरी की तरफ़ चल दिया. नई राजधानी को देखकर महेश दास हतप्रभ था. वह भीड़-भाड़ से बचते हुए लाल दीवारों वाले महल की तरफ़ चल दिया. महल का द्वार बहुत बड़ा और कीमती पत्थरों से सजा हुआ था. ऐसा दरवाजा महेश दास ने कभी सपनों में भी नहीं देखा था. 
उसने जैसे ही महल में प्रवेश करना चाहा, तभी रौबदार मूछों वाले दरबान ने अपना भाला हवा में लहराया, “तुम्हें क्या लगता है कि तुम कहाँ प्रवेश कर रहे हो”? पहरेदार ने कड़कती आवाज़ में पूछा.
“महाशय, मैं महाराज से मिलने आया हूँ”, नम्रता से महेश ने उत्तर दिया. 
 “अच्छा! तो महाराज तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि तुम कब आओगे ?” दरबान ने हँसते हुए पूछा.
 महेश मुस्कुराया और बोला,  “बिल्कुल महाशय, और देखो मैं आ गया हूँ और हाँ, तुम बेशक बहुत बहादुर और वीर होंगे किंतु तुम मुझे महल में जाने से रोककर अपनी जान को खतरे में डाल रहे हो”. 
महेश की सुनकर दरबान सहम गया पर फ़िर भी हिम्मत करके बोला, “तुम ऐसा क्यों कह रहे हो ? तुम्हें पता है इस बात के लिए मैं तुम्हारा सिर कलम कर सकता हूँ.”
लेकिन महेश हार माने वालों में से नहीं था, उसने झट से महाराज कि अंगूठी दरबान को दिखाई.अब महाराज की अंगूठी को न पहचानने की हिम्मत दरबान में नहीं थी. और ना चाहते हुए भी उसे महेश अंदर आने की इजाज़त देनी पड़ी. हालांकि वह उसे नहीं जाने देना चाहता था . इसलिए वह महेश से बोला, “ठीक है तुम अन्दर जा सकते हो लेकिन मेरी एक शर्त है.”
“वो क्या?” महेश ने आश्चर्य से पूछा. 
दरबान बोला, “तुम्हें महाराज जो भी ईनाम देंगे उसका आधा हिस्सा तुम मुझे दोगे”. 
महेश ने एक पल सोचा और फ़िर मुस्कुराकर बोला, “ठीक है, मुझे मंजूर है.” 
इस प्रकार महेश ने महल के अन्दर प्रवेश किया. अन्दर उसने देखा महाराजा अकबर सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं. धीरे-धीरे महेश अकबर के बिल्कुल करीब पहुँच गया और अकबर को झुक कर सलाम किया और कहा, “आपकी कीर्ति सारे संसार में फैले.”
अकबर मुस्कुराया और कहा, “तुम्हे क्या चाहिए, कौन हो तुम”? 
महेश अपने पंजों पर उचकते हुए कहा, “महाराज मैं यहाँ आपकी सेवा में आया हूँ.” यह कहते हुए महेश ने राजा की दी हुई अंगूठी राजा के सामने रख दी.
 “ओहो! याद आया, तुम महेश दास हो है ना.”
“जी महाराज मैं वही महेश हूँ.”
“बोलो महेश तुम्हें क्या चाहिए?”
 “महाराज मैं चाहता हूँ कि आप मुझे सौ कोडे मारिये.”
“यह क्या कहा रहे हो महेश?” राजा ने चौंकते हुए कहा, “मैं ऐसा आदेश कैसे दे सकता हूँ. जब तुमने कोई अपराध ही नहीं किया ?” 
महेश ने नम्रता से उत्तर दिया, “नहीं महाराज, मुझे सौ कोडे ही मारिये”. 
अब ना चाहते हुए भी अकबर को सौ कोडे मारने का आदेश देना ही पड़ा. जल्लाद ने कोडे मारने शुरू किए , एक, दो, तीन, चार,. पचास. 
“बस महाराज बस.” महेश ने दर्द से करते हुए कहा.
 “क्यों क्या हुआ, महेश दर्द हो रहा है क्या?” 
“नहीं महाराज ऐसी कोई बात नहीं है. मैं तो केवल अपना वादा पूरा करना चाहता हूँ.” 
“कैसा वादा महेश?” 
“महाराज जब मैं महल में प्रवेश कर रहा था तो दरबान ने मुझे इस शर्त पर अन्दर आने दिया कि मुझे जो भी उपहार प्राप्त होगा उसका आधा हिस्सा मैं दरबान को दूँगा. अपने हिस्से के पचास कोडे तो मैं खा चुका अब उस दरबान को भी उसका हिस्सा मिलना चाहिए.” 
यह सुन कर सभी दरबारी हंसने लगे.दरबान को बुलाया गया और उसको पचास कोडे लगाये गए. 
राजा ने महेश से कहा,”तुम बिल्कुल ही वेसे ही बहादुर और निडर हो जैसे बचपन में थे. मैं अपने दरबार में से भ्रष्ट कर्मचारियों को पकड़ना चाहता था जिसके लिए मैंने बहुत से उपाय किए किंतु कोई भी काम नहीं आया. लेकिन यह काम तुमने जरा सी देर में ही कर दिया. तुम्हारी इसी बुद्धिमानी कि वजह से आज से तुम बीरबल कहालोगे. और तुम मेरे मुख्य सलाहकार नियुक्त किए जाते हो.”



डा. राधेश्याम द्विवेदी ,
पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी ,
पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा,
Email: rsdwivediasi@gmail.com

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका