संस्कृति के संवर्धक

SHARE:

सालाना रूप से विद्यालय में होने वाले कवि-सम्मेलनों में काका हाथरसी,निर्भय जी, सोम ठाकुर आते तो विद्यार्थी उन्हें सुनने को बेताब रहते हैं।

“गंग ” कवि : संस्कृति के संवर्धक

क्षेत्रपाल  शर्मा 
सालाना रूप से विद्यालय में होने वाले कवि-सम्मेलनों में काका हाथरसी,निर्भय जी, सोम ठाकुर आते तो विद्यार्थी उन्हें सुनने को बेताब रहते हैं। यह 1967-68 के आसपास की बात रही होगी, जब अलीगढ के मंचस्थ कवियों में “गंग जी” सुरेष चन्द्र पवन (गीतकार) उनके टोली के बाबूलाल कुसुम (पिंगल के जानकार) श्री कृश्ण मौजी आदि कई नाम षोभायमान थे। यह भी उसी समय की बात रही होगी, जब विद्यालय के कवि सम्मेलन में ब्रजभाशा में “गंग जी को” मंच से मैंने “ पति हमें किसान मिले बहना ” यह उस समय अंग्रजी बाबूगीरी के प्रभाव पर हल्का व्यंग्य था। सन् 1965-66 के आस-पास अंग्रजी विरोधी आन्दोलन चल ही चुका था। ब्रजभाशा में ही अपनी काव्य रचना करके गंग जी नें देसी रीति रिवाजों के संरक्षण का काम किया और भारतीय संस्कृति को पोशित भी किया।
क्षेत्रपाल शर्मा
क्षेत्रपाल शर्मा
उनका पूरा नाम स्वं0 गंगा प्रसाद उपाध्याय ( उपनाम गंग) जी था। इनका जन्म जयगंज (अलीगढ) से सटे हुये भुजपुरा गॉव में सन् 1921 में हुआ। जब में बालक ही था तब उनके कवित्व में जो गूंढ बातें थी उनका बोध बाद में हुआ , कि उन्होने राश्ट्रभाशा का प्रबल समर्थन किया, समाज के ताने-बाने से सरोकारी बातें अपने कृतित्व में पिरोई एवं स्वाभिमान एवं स्वबलम्बन राश्ट्रीयता का अलख जगाया। मथुरा व दिल्ली आकाषवाणी से तब प्रसारित ब्रजमाधुरी कार्यक्रम में उनके गीत प्रायः सुने जाते थे। सबसे अच्छी बात यह रही कि एक षोधार्थी डा0 भद्रपालसिंह “संतोश ” एन आर ई सी कालेज खुर्जा ने उनके उपलब्ध कृतिकर्म को लता साहित्य सदन गाजियाबाद से सन् 2005 में ब्रजामृत नाम से प्रकाषित कराया है। लेकिन इसमें काफी कुछ रचनाएॅ रह गयी है। अन्य कुछ कविताओं का प्रकाषन काक कला संगम में भी हुआ था।
गंग जी की कुछ कविताएॅ राश्ट्रीय चिन्ता व्यक्त करती है जैसे कष्मीर,तलाक बिल भारत पाक एवम् अन्य पडौसियों से युद्व एवं कृशि कर्म, वीर नारियों का त्याग ऐसी काव्य रचनाएॅ है जो षाष्वत है। यह बच्चों, बडों को सदैव उद्देलित करेगीं।
“ मेरा बचपन” वह कविता है जो दीपावली से पहले दषहरा पर गाए जाने वाले लोकगीत है। मुष्किल बात यह है कि उनकी विरासत को करीने से संजोए नहीं रखा जा सका। तथापि, स्वं0 रामगोपाल वार्श्णेय जी की पत्रिका “संकल्प के स्वर” में गंग जी की रचनाएॅ बहुत छपी थी। इसी क्रम में भारत-भारती प्रकाषन “ गाय रभॅानी --- ” कविता के कवि दैनिक प्रकाष प्रावदा एवं “ जनता युग ” जैसे अखबार एवं स्वं श्री नन्द किषोर पंडित जैसे पत्रकार के उल्लेख करने का लोम संवरण नहीं कर पा रहा हूॅ।
उनकी “ ऑखें ” व “ ताजमहल ” कविता पढने पर एक नये भाव का जन्म होता है। स्त्री की महिमा “ नारी ” नामक कविता में उजागर हुई है।
कविताई में कवि की छाप ना हो तो “ स्थापित ” परंम्परा का निर्वाह नहीं होता। उनके ही शब्दों में कवि परिचय ( छनद 120 ) :-
“ बृज को है छोर कोर कॉख में बसत ग्राम
नाम भोजपुरा दिष दक्षिन कहात है।
बात नहीं गंदी बन्दी पार्टी नहीं है कोई,
आपसी के मेंल रस सरस बहात है।
द्विज और क्षत्रिय की बस्ती किस्ती बैठि एक
न्याय की नदी में दोंनों एक साथ नहात है।
केशव के बाल है “गंग” और “ज्वाल” तुच्छ
सेवक की भॉति जाई गॉव में रहात है।
बडी ही साफगोई से किसानों की खसता हालत का चित्रण उनके काव्य में है। ग्रामीण परिवेष के कवि “ गंग जी ” रहे है। जिनके विचार “ किसान और जवान ” की जय के अलख जगातें है। “ किसान नित्य कर्म ” और “ कृशक दषा ” पढकर लगता है जो काम आजादी के बाद किसानों की दषा सुधारने के लिये करना उपेक्षित था, वह नहीं हुआ।
कवि की चिन्ताएॅ वही है जो एक राश्ट्रीय महत्व की होती है। “ चीन कर आया रेखा पार ” तब की परिस्थिति पर प्रकाष डालती है। जोष और उत्साह भरा हुआ है। , इस कविता में चुनौती की कविता से एक अंष बानगी इस प्रकार :-
“ कि बने अफीमी षूरवीर ये षूरवीर ये दिल में चुभता खार।
चीन रेखा कर आया पार।।
और जीवन का अंतिम सत्य ,कवि के एक मुक्तक में :-
“ इस जिन्दगी से मौत अच्छी सब तरस खायेंगे।
खुषी इस बात की मुझको , मुझे दूल्हा बनायेगे।
बिना नौते के घर आ गये गंग ये बराती सब
सब चलें पैदल कि हम कॉधों पे जायेंगें।
समस्याः- पूर्ति जैसा एक और मुक्तक :-
“ अच्छा बुरा न देखता दिल खुद हफीज है।
  है प्यार बेवकूफ इसे क्या जमीज है
इतना ही सोच “ गंग” एक षायर ने लिखा है
 दिल लगा है गधी से परी कौन चीज है।

निष्कर्ष  यह है कि इनकी कृतियों के पुर्नमूल्यॉकन की आवष्यकता है।


यह रचना क्षेत्रपाल शर्मा जीद्वारा लिखी गयी है। आप एक कवि व अनुवादक के रूप में प्रसिद्ध है। आपकी रचनाएँ विभिन्न समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। आकाशवाणी कोलकातामद्रास तथा पुणे से भी आपके  आलेख प्रसारित हो चुके है .

COMMENTS

Leave a Reply: 1
  1. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति डॉ. सालिम अली और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका