राष्ट्र भाषा हिंदी

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अपभ्रंश से जन्मी, सिंधु नदी के प्रवाह को लिए, काल दर काल, कल कल सी बहती, राजस्थानी,गुजरती, लहन्दा कभी पंजाबी, सिंधी तो कभी मराठी सी सखियो के साथ, पली बढ़ी,

 राष्ट्र भाषा हिंदी 

अपभ्रंश से जन्मी,
सिंधु नदी के प्रवाह को लिए,
काल दर काल,
कल कल सी बहती,
राजस्थानी,गुजरती,
लहन्दा कभी पंजाबी,
सिंधी तो कभी मराठी सी सखियो के साथ,
पली बढ़ी,
नम्रता नगर
नम्रता नगर 
कभी मागधी की खास
तो कभी पहाड़ी, बघेली, मैथिलि के आस-पास,
आदिकाल से मध्यकाल तक,
दोहा, चौपाई, छप्पय,छंदों
गद्य, पद्य में रचती बसती,
फ़ारसी से गुफ़्तगू करती,
खड़ी बोली सी सूरत में निखरती,
विद्वानों के मुक्त व्यत्क्व्य 
का प्रतिक बनती,
तुलसी की कलम से,
तो कभी सूरदास की कलम से,
कागज़ पर कदम रखती हुई,
मीराबाई के भजनो में,
अपना रूप सवारती हुई सी,
बिहारी, भूषण के महाकाव्यों में सुसज्जित रहती सी,
आधुनिक काल में,
भारतेंदु , मिश्र , भट्ट, व्यास, दिनकर
मित्र,गोस्वामी, निराला से लेखको के,
नवजागरण में फिर से इठलाती हुई सी,
प्रेमचंद की रचना में,
कभी मैथिलीशरण गुप्त की कल्पना में,
सुभद्रा की पंक्तियों में,
तो कभी शुक्ल, पन्त और महादेवी की कविताओ में,
रसमय सी,
अंग्रज़ी से मुठभेड़ करती हुई सी,
जख्मी सी,
स्वतंत्रता संग्रामियों के नारो से देश प्रेम जगती हुई सी,
करोड़ो हिन्दुस्तानियो के ह्रदय के कोने में आज भी बसी सी,
युवा पीढ़ी की और देखती तक तकि सी,
हिंदी दिवस पर उभरती,
हमारी राजभाषा हिंदी...
- नम्रता नगर
यह रचना नम्रता नगर जी द्वारा लिखी गयी है।आपने २०१०(2010) में पुणे से  ऍम.बी.ए कर कुछ अंतरातराष्ट्रीय, कुछ स्टार्टअप्स एवं कुछ सरकारी संस्थानों के साथ काम करने के बाद अपना खुद का डिजिटल कंटेंट का व्यवसाय शुरू किया. अभी अपनी फ्रीलांसइंग परियोजनाओ  के अतिरिक्त आप विज्ञान के ज्ञान और कला की बारीकियों को साथ में रख कर किन समाजिक समस्याओ का हल किया जा सकता है उसकी  रूप रेखा बनाने की पहल कर रही हैं | अपनी इस पहल का नाम आपने  वाचसोच दिया है (जो वाच्य+सोच  की संधि से निर्मित है) | लेखन में बाल्यकाल से रूचि होने के कारण में  हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओ  में कई विषयो  पर कई प्रकार की शैलियों में लिखती रही हैं |

COMMENTS

Leave a Reply: 6
  1. नम्रता जी, बहुत सुसज्जित रचना साझा किया है आपने.बस एक बात कहूँगा.. हिंदी या कोई भाषा हमारे देश मे.. राष्ट्रभाषा... है ही नहीं. अच्छा होता कि आप केवल राजभाषा शब्द का प्रयोग करते. laxmirangam.blogspit.in
    अयंगर

    जवाब देंहटाएं
  2. नम्रता जी,
    अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी पर बहुत अच्छी रचना, हमें अपनी राष्ट्रभाषा पर गर्व होना चाहिये.

    जवाब देंहटाएं
  3. hindi is not the national language, its just an official language.

    जवाब देंहटाएं
  4. if hindi is not national language.you just wright your name in english permanetly not in hindi

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरी बौद्धिक सामर्थ्य वर्तमान परिदृश्य में हिन्दी व आधी आबादी में एक साम्य पाती हैं । क्या मैं कही गलत हूं ?

    जवाब देंहटाएं
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