सावन में लग गई आग

SHARE:

उसे एक लड़की से इश्क़ हो गया । भरी जवानी में इश्क़ होना स्वाभाविक था । अस्वाभाविक यह था कि उस समय पंजाब में आतंकवाद का ज़माना था ।

 सावन में लग गई आग , दिल मेरा ...

                                                                          
              नरिंदर कुमार रोमांटिक और भावुक क़िस्म का आदमी था । उसे एक लड़की से इश्क़ हो गया । भरी जवानी में इश्क़ होना स्वाभाविक था । अस्वाभाविक यह था कि उस समय पंजाब में आतंकवाद का ज़माना था । नरिंदर कुमार हिंदू था । जिस लड़की से उसे इश्क़ हुआ , वह जाट सिख थी । पर यह तो कहीं लिखा नहीं था कि एक धर्म के युवक को दूसरे मज़हब की युवती से इश्क़ नहीं हो सकता । लिहाज़ा नरिंदर कुमार ने इन बातों की ज़रा भी परवाह नहीं की । इश्क़ होना था , हो गया ।
             
इश्क़
शुरू में उसका इश्क़ ' वन-वे ट्रैफ़िक ' था । लड़की उसी के मोहल्ले में रहती थी । नाम था नवप्रीत कौर संधू । नरिंदर को लड़की पसंद थी । उसका नाम पसंद था । उसकी भूरी आँखें पसंद थीं । उसकी ठोड़ी पर मौजूद नन्हा-सा तिल पसंद था । उसका छरहरा जिस्म पसंद था ।
              लड़की को नरिंदर में कोई दिलचस्पी नहीं थी । लड़की को इश्क़ में कोई दिलचस्पी नहीं थी । यह नरिंदर के इश्क़ की राह में एक बड़ी बाधा थी । पर वह मजनू ही क्या जो अपनी लैला को पटा न सके ! लिहाज़ा नरिंदर तन-मन-धन से इस सुकार्य में लग गया । बड़े-बुज़ुर्ग कह गए हैं कि यदि किसी कार्य में सफल होना है तो अपना सर्वस्व उसमें झोंक दो । इसलिए नरिंदर ' मिशन-मोड ' में आ गया । वह उन दिनों अमृतसर के गुरु नानक देव वि.वि. से अंग्रेज़ी में एम. ए. कर रहा था । ' रोमांटिक पोएट्री ' पढ़ रहा था । वह इश्क़ की उफ़नती नदी में कूद गया और हहराते मँझधार में पहुँच कर हाथ-पैर मारने लगा ।
              नवप्रीत को यदि ख़ूबसूरत कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । तीखे नैन-नक़्श , गेंहुआ रंग , छरहरी कमनीय काया , सलोना चेहरा । नरिंदर ने जवानी में क़दम रखा और विधाता की इस गुगली के सामने क्लीन-बोल्ड हो गया । लेकिन आलम यह कि इश्क़ के खेल में आउट हो कर भी वह खुश था । दिल हाथ से जा चुका था पर अगली इनिंग्स का इंतज़ार था । मन में निश्चय था कि अगली बार वह इश्क़ के मैदान में डबल सेंचुरी ठोक कर ही लौटेगा । अगली बार मौक़ा मिलते ही वह धैर्य के साथ इश्क़ के मैदान की क्रीज़ पर डट गया । उसने एक साथ सचिन तेंदुलकर , राहुल द्रविड़ और वी. वी. एस. लक्ष्मण की ख़ूबियों को आत्म-सात करके विधाता की बॉलिंग खेलनी शुरू कर दी ।
              पहले कुछ ओवर बेहद ख़तरनाक थे । नवप्रीत-रूपी नई गेंद बहुत स्विंग कर रही थी । मेघाच्छादित आकाश में गेंद उसे बार-बार छका कर बीट कर जाती । वह नवप्रीत-रूपी गेंद को स्क्वेयर-कट मारना चाहता लेकिन स्विंग हो रही गेंद हवा में थर्ड-मैन की दिशा में चली जाती । लेकिन यहीं नरिंदर ने राहुल द्रविड़ की शैली में इश्क़ की क्रीज़ पर लंगर डाल दिया । ठुक-ठुक , ठुक-ठुक करते हुए वह मनचाहे स्कोर की ओर बढ़ने लगा । उसने अपनी बहन हरलीन को प्रेरित किया कि वह नवप्रीत से दोस्ती करे । दोनों एक ही उम्र की थीं । उधर इन दोनों की मित्रता हुई , इधर नरिंदर को लगा जैसे विकट परिस्थितियों में एक हरी घास वाली उछाल भरी पिच पर उसने जूझते हुए पचास रन बना लिए हैं ।
              फिर नवप्रीत हरलीन से मिलने उनके घर आने लगी । नरिंदर तो कब से ताक में था ही । नवप्रीत से ' हलो-हाय ' हुई । फिर बातचीत होने लगी । नरिंदर को पता चला कि नवप्रीत खालसा कॉलेज से एम.ए. ( पंजाबी ) कर रही है । फिर तो नरिंदर और नवप्रीत के बीच अकसर साहित्य-चर्चा होने लगी । नरिंदर ने प्रसिद्ध पंजाबी कवि सुरजीत पातर की कविताएँ पढ़ी थीं । नवप्रीत के प्रिय कवि भी सुरजीत पातर ही थे । इधर दोनों को बातचीत के लिए ' कॉमन ग्राउंड ' मिल गया , उधर नरिंदर को लगा जैसे उसने इश्क़ के मैच में विधाता की गेंद को ' टेम ' कर लिया है । उसे लगा जैसे उसने इस खेल में शतक ठोक डाला है ।
              सावन का महीना था । काली घटाएँ आकाश में उमड़-घुमड़ रही थीं । ऐसे मौसम में नवप्रीत एक दिन हरलीन ले मिलने उनके घर आई । उसने फ़ीरोज़ी रंग का पटियाला सूट पहना हुआ था । इत्तिफ़ाक़ से घर के सभी लोग एक रिश्तेदार की शादी में गए थे । नरिंदर की परीक्षा चल रही थी । लिहाज़ा वह पढ़ाई करने के महती कार्य के नाम पर घर पर ही था । अब यह बात नवप्रीत को तो पता नहीं थी । या यह भी हो सकता है कि उसे यह बात अच्छी तरह पता थी । कुछ भी हो , नवप्रीत आई और नरिंदर ने उसकी आव-भगत की । साहित्य-चर्चा होने लगी । रोमांटिक कविता की विशेषताओं की चर्चा करते-करते हमारे नायक ने बेहद रोमानी अंदाज़ में अपनी नायिका का हाथ पकड़ कर उसे चूम लिया । यदि यह कथा कालांतर में घटी होती तो नरिंदर गायक मीका की शैली में अपनी नायिका के सामने गा उठता -- " सावन में लग गई आग , दिल मेरा ...। " ऐसा इसलिए क्योंकि बरसों बाद उसे मीका का गाया यह गाना बेहद पसंद आया था ।
               पर उस समय तो नवप्रीत नाराज़ हो गई । या कम-से-कम उसने नाराज होने का अभिनय ज़रूर किया । नरिंदर घुटनों के बल बैठ कर रोमियो की शैली में अपने सच्चे प्यार की क़समें खाने लगा । पता नहीं वह नरिंदर के प्रेम की शिद्दत थी या कुछ और , पर नवप्रीत का मन पिघल गया । या कौन जानता है , शायद वह
सुशांत सुप्रिय
सुशांत सुप्रिय
भी नरिंदर से प्रेम करने लगी थी । जो भी हो , यह प्रेम-कहानी ' वन-वे-ट्रैफ़िक ' से शुरू हो कर अब ' टू-वे-ट्रैफ़िक ' में बदल चुकी थी । नरिंदर को लगा जैसे इश्क़ के मैदान में विधाता की नवप्रीत-रूपी गेंद खेलते हुए आख़िर उसने ' डबल सेंचुरी ' ठोक डाली है । उसके ज़हन के स्टेडियम में तालियों की गड़गड़ाहट गूँज रही थी ।
               फिर क्या था । प्रेमी-प्रेमिका के बीच साहित्य-चर्चा के साथ-साथ चुंबन-आलिंगन के दौर भी चलने लगे । इश्क़ के मैदान पर रन-संख्या खिसकती रही । लेकिन इस परिदृश्य में जैसे अचानक एक दिन एक ख़तरनाक गेंदबाज़ ने प्रवेश किया !
               दरअसल , नवप्रीत के मामा को न जाने कैसे भनक लग गई कि नवप्रीत और नरिंदर के बीच कुछ चल रहा है । वे लंबे-तगड़े जाट सिख थे । उन्होंने एक दिन नरिंदर को गली में रोका और उसे चेतावनी दे दी । नरिंदर को लगा जैसे गेंदबाज़ ने उसके हेल्मेट पर बाउंसर दे मारा हो । पर उसे अपनी बल्लेबाज़ी पर पूरा भरोसा था । उसने तय किया कि गेंद ज़्यादा स्विंग होने लगे तो कुछ ओवर बिना कोई रन बनाए
 ' मेडन ' खेल लेना चाहिए । वह जानता था कि ऐसे समय में अपनी विकेट बचाना ज़रूरी था ।
                नवप्रीत का उनके घर पर आना-जाना लगभग बंद कर दिया गया था । ऐसे में नरिंदर ने एक बार फिर अपनी बहन हरलीन की सहायता ली । उसने हरलीन को सारी बात बताई । हरलीन की मदद से प्रेमी-प्रेमिका के बीच संवाद बना रहा । आप कह सकते हैं कि नवप्रीत के मामा के बाउंसर से जब नरिंदर को चोट लग गई तो पैविलियन से जैसे उसकी बहन हरलीन दर्द-निवारक स्प्रे , पानी की बोतल और तौलिया लिए हुए दौड़ी चली आई । कुछ देर के उपचार के बाद नरिंदर दोबारा इश्क़ की क्रीज़ पर डट गया ।
               बाउंसर से जब बात नहीं बनी तो नवप्रीत के मामा ने एक दिन अपनी मारक गेंद ' यार्कर ' डाल दी । इस बार उन्होंने नरिंदर को गली में रोककर धमकाया कि यदि उसने नवप्रीत का पीछा नहीं छोड़ा तो वे उसकी बहन हरलीन को गुंडे भेज कर उठवा लेंगे । नरिंदर सन्न रह गया । उसे लगा जैसे नवप्रीत के मामा ने ' चकिंग ' करके खेल का नियम तोड़ दिया है । जैसे उनका मारक ' यार्कर ' सीधा उसके टखने पर जा लगा है । वह पिच पर गिर पड़ा है । असह्य दर्द से छटपटाता हुआ । लगा कि अब खेल ख़त्म । बल्लेबाज़ ' रिटायर्ड हर्ट ' ! लेकिन वहाँ नियति के रूप में अम्पायर मौजूद था ।
               कुछ दिन बाद ही एक रात अचानक हृदय-गति रुक जाने से नवप्रीत के मामा की अकाल-मृत्यु हो गई । होनी को कौन टाल सकता था । नरिंदर को लगा जैसे नियति-रूपी अम्पायर ने मामा की गेंदबाज़ी पर प्रश्न-चिह्न लगा कर उन्हें 'चक'
करने के आरोप में गेंदबाज़ी के लिए अयोग्य क़रार दे दिया था । हमारे बल्लेबाज़ नरिंदर ने राहत की साँस ली । वह एल.बी.डब्ल्यू. होने से बाल-बाल बचा था ।
                एक ऐसा समय आता है जब मार्ग से सारी बाधाएँ दूर हो जाती हैं , जीवन के आकाश में इंद्रधनुष छा जाता है , जीवन की बगिया में कोयलों की कूक सुनाई देती है , जीवन की फुलवारी में उगे रंग-बिरंगे ख़ुशबूदार फूलों पर अद्भुत रंगों वाली तितलियाँ मँडराने लगती हैं , मुँह में शहद का स्वाद घुल जाता है और हम जैसे सूर्योदय के समय ओस से भीगी मखमली हरी घास पर नंगे पैर चलने का आनंद लेने लगते हैं । नरिंदर और नवप्रीत के लिए यह ऐसा ही समय था -- पूरे खिले सूरजमुखी जैसा ।
                 दोनों जैसे किसी ख़ुशनुमा सपने में जी रहे थे । उमस को पीछे छोड़ कर ठंडी , बरसाती हवा चल रही थी । सुरीले विंड-चाइम बज रहे थे । दोनों के चेहरों पर मोती-सी चमक थी । दु:स्वप्न बीते समय की बात थी । सपने में आकाश गहरा नीला था । रात असंख्य सितारों की चमकदार चुनरी ओढ़े हुए थी । उनके जीवन के कैनवस पर विधाता ने जैसे एक ख़ूबसूरत पेंटिंग बना दी थी । जैसे सुदूर भविष्य में मौजूद उनके व्हाट्स-ऐप मेसेजेज़ स्माइलीज़ से भरे पड़े थे ।
                 अब नरिंदर और नवप्रीत के जीवन में सब कुछ सही चल रहा था । दोनों के घरवाले शुरुआती हिचक के बाद उनकी शादी के लिए राज़ी हो गए । हिंदू और सिख -- बारी-बारी से दोनों रीतियों से उनकी शादी हुई । नवप्रीत ने पंजाबी में यू.जी.सी. की ' नेट ' परीक्षा उत्तीर्ण कर ली । उसे दिल्ली के खालसा कॉलेज में बतौर व्याख्याता नौकरी मिल गई । उधर नरिंदर ने भी अंग्रेज़ी में ' नेट ' परीक्षा में सफलता पाई । किस्मत की मेहरबानी देखिए कि उसकी नौकरी भी दिल्ली के रामजस कॉलेज में लग गई । हैप्पी एंडिंग ? अभी ठहरिए । पिक्चर अभी बाक़ी है , पाठको !
                सावन आते ही दोनों जैसे बौरा जाते । शादी के बाद भी उनके तन-मन में आग लग जाती । प्रेम के महा-समुद्र में ज्वार-भाटा आने लगता । वे जितना एक-दूसरे में डूबते-जाते , उनकी प्यास बढ़ती जाती । दुनिया में कुछ भी हो रहा हो , घर नाम के ' ओएसिस ' में वे दोनों एक-दूसरे के साथ बेहद खुश और सुरक्षित महसूस करते । प्यार से नवप्रीत नरिंदर को ' स्वीटू ' कह कर बुलाती । नरिंदर नवप्रीत को
' क्यूटी ' कहता । कभी-कभी वे एक-दूसरे से बेबी-टॉक तक करने का अभिनय करने लगते । लव इज़ क्रेज़ी , यू नो !
                 लेकिन उनकी बगिया के ठीक किनारे कई विषैले साँप रहते थे । एक दिन वे उनकी बगिया में भी घुस आए । सावन के महीने में बरसात की एक रात जब हमारे नायक-नायिका किसी फ़िल्म का अंतिम शो देखकर पैदल ही घर लौट रहे थे तो अचानक एक काली मर्सिडीज़ कार उनके पास आ कर रुकी । चार हट्टे-कट्टे गुंडे उसमें से निकले । इससे पहले कि वे दोनों सँभल पाते , दो गुंडों ने नरिंदर को पकड़ कर लोहे के सरियों से पीटना शुरू कर दिया । बाक़ी दो गुंडों ने नवप्रीत को पकड़ कर कार में खींच लिया । फिर चारो नवप्रीत को ले कर उड़न-छू हो गए ...
                  घायल नरिंदर सन्न-सा सड़क पर पड़ा था । उसके सिर से ख़ून बह रहा था । शायद दाहिनी बाँह की हड्डी भी टूट गई थी । किसी तरह लड़खड़ाते हुए वह उठा । जेब से मोबाइल फ़ोन निकाल कर उसने पुलिस का नम्बर डायल किया । ग़नीमत यह थी कि नम्बर लग गया । थोड़ी देर में पुलिस की गाड़ी आ पहुँची ।
                  -- कितने लोग थे ?
                  -- गाड़ी किस रंग की थी ? किस ओर गई ?
                  -- गाड़ी का नंबर नोट किया ?
                  पुलिसवालों के पास कोई ठोस सूचना नहीं थी । वे भी अँधेरे में हाथ-पैर मार रहे थे । नरिंदर घायल और बदहवास था । उसकी तो जैसे दुनिया ही लुट गई थी । अब ? क्या नवप्रीत का हश्र भी वही होना था जो कालांतर में ' निर्भया / दामिनी कांड ' की पीड़िता का हुआ था ?
                   मुझे पता है , अधिकांश पाठकगण लेखक यानी मुझ पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि मैं इस कहानी का दुखद अंत न कर दूँ । तो चलिए , पब्लिक-डिमांड पर अंतिम दृश्य का ' री-टेक ' ले लेते हैं ...
                    सावन के महीने में बरसात की एक रात नरिंदर और नवप्रीत किसी मूवी का अंतिम शो देखकर पैदल ही घर लौट रहे हैं । तभी सुनसान सड़क पर एक काली मर्सिडीज़ कार उनके पास आ कर रुकती है । हमारे नायक-नायिका चौकन्ने हो जाते हैं । चार हट्टे-कट्टे बदमाश कार में से बाहर निकलते हैं । उनके बदनुमा चेहरे उनकी बुरी नीयत का आइना हैं । नरिंदर और नवप्रीत सारा माजरा समझ जाते हैं । अब ? डरिए नहीं , पाठको । हमारे नायक और नायिका , दोनों ने ही ' मार्शल-आर्ट '
का प्रशिक्षण लिया हुआ है । इसके अलावा नायिका के पर्स में  आत्म-रक्षा  के लिए
' पेप्पर-स्प्रे ' भी है । वे दोनों जूडो-कराटे और ' पेप्पर-स्प्रे ' की मदद से उन चारों बदमाशों से लड़ते हैं । उनकी बहादुरी देखकर अंत में चारों बदमाश वापस मर्सिडीज़ में बैठकर खिसक जाते हैं । हमारे नायक-नायिका ने एक मिसाल क़ायम कर दी है ।
ख़तरा टल जाने पर वे दोनों आलिंगन में बँध कर एक दूसरे को चूम लेते हैं ।
                  घर पहुँच कर उस रात वे दोनों एक-दूसरे से प्रगाढ़ प्रेम करते हैं ... नौ महीने बाद उनके घर एक प्यारी-सी बिटिया का जन्म होता है । वह सावन के उसी बरसाती रात में उन दोनों के बीच हुए प्रगाढ़ प्रेम की अमिट निशानी है । वे उसका नाम रखते हैं -- नेहा ।
                  धीरे-धीरे नेहा माता-पिता की स्नेहिल छाँव में बड़ी हो जाती है । और फिर एक बार सावन के एक बरसाती दिन जब ठंडी बयार चल रही होती है , नरिंदर और नवप्रीत अपनी बीस वर्षीया बिटिया नेहा को मीका का गीत ' सावन में लग गई आग , दिल मेरा ' गुनगुनाते हुए पाते हैं ...

                    ------------०------------

प्रेषकः सुशांत सुप्रिय
         A-5001 ,
         गौड़ ग्रीन सिटी ,
          वैभव खंड ,
          इंदिरापुरम ,
          ग़ाज़ियाबाद - 201014
          ( उ. प्र. )
मो: 8512070086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com




COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,35,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",6,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,17,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,15,कमलेश्वर,6,कविता,1412,कहानी लेखन हिंदी,13,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,4,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",14,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,2,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,30,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,72,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,25,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,23,नाटक,1,निराला,35,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,38,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,174,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,133,प्रयोजनमूलक हिंदी,24,प्रेमचंद,40,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,5,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,138,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,4,महादेवी वर्मा,19,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,11,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,11,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,5,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,118,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,33,विद्यापति,6,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,53,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,28,सआदत हसन मंटो,9,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,221,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,17,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,69,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",9,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,20,सूरदास,15,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,347,हिंदी लेख,504,हिंदी व्यंग्य लेख,3,हिंदी समाचार,164,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,85,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,18,hindi essay,339,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,98,hindi stories,656,hindi-gadya-sahitya,2,hindi-kavita-ki-vyakhya,15,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,13,kavyagat-visheshta,22,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,38,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: सावन में लग गई आग
सावन में लग गई आग
उसे एक लड़की से इश्क़ हो गया । भरी जवानी में इश्क़ होना स्वाभाविक था । अस्वाभाविक यह था कि उस समय पंजाब में आतंकवाद का ज़माना था ।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzcH9PO4V_MWoC1oCY7U0EaOy_Goe5M4yoKv8MzRoD2iovGXrbdKxwEY5eYz8RNp2EqKoqXoFjbO4s-do545ujMVNp7qb7SyoGs98fTjrpfkTODV11GOhYdQ9cv_zI1J9KP3thPJ4gUYkU/s320/download+%25281%2529.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzcH9PO4V_MWoC1oCY7U0EaOy_Goe5M4yoKv8MzRoD2iovGXrbdKxwEY5eYz8RNp2EqKoqXoFjbO4s-do545ujMVNp7qb7SyoGs98fTjrpfkTODV11GOhYdQ9cv_zI1J9KP3thPJ4gUYkU/s72-c/download+%25281%2529.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2016/08/full-of-love.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2016/08/full-of-love.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका