मोबाइल दूर देश में बैठा हो या अपने पड़ोस में, तुरंत सम्पर्क का आसान तरीका | किसी विषय को जानना हो, किसी देश के बारे में जानना हो बस एक बटन दबाओ उस विषय का इतिहास आपके सामने |
संचार क्रान्ति और हम
"काश मुझे पंख लग जाए और इतनी ख़ुशी की बात मैं अपने मायके में सुना आऊँ,ब्याह के इतने दिनों बाद ईश्वर ने मेरी झोली भर दी |
"हे भगवान तू इतना निष्ठुर क्यों है,क्यों तुझे लज्जा नहीं आई | मेरा पूरा परिवार कोलकाता में और मैं यहाँ अकेली | इस विपदा में कोई तो अपना मेरे पास हो |"
सुख-दुःख, हर्ष-विषाद ये ऐसे भाव है जो हम अपनों के साथ तुरंत बाँटना चाहते है | कुछ साल पीछे जाकर देखों तो एक दूसरे से दूर बैठे लोग आपस में अपने भावों को बांटने के लिए पत्र का सहारा लेते थे | समय की खपत | पत्र लिखो, पोस्ट करों | इसके बाद एक शहर से या गाँव में पत्र पहुँचने के लिए आठ से पंद्रह दिन का समय लग जाता था , और आपकी खबर से सामने वाले का प्रभाव जानने के लिए फिर से इतने समय की ही प्रतीक्षा | खबर जानने के लिए हाल बुरा हो जाता था | ये तो हुई बीते दिनों की बातें | आज तो चारों ओर संचार का जाल ऐसा बिखरा पड़ा है कि मन के किसी भी भाव को तुरंत अपने सगे संबंधी,साथी, मीत को बता सकते है |
अब इंटरनेट के कमाल देखिए --- व्यस्त जीवनशैली में खरीददारी को आसान बनाया , बिझडे मीत मिले , नए दोस्त बने, बैठे -बैठे आगे की पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालयों की खोज आसान की |
इंटरनेट जहाँ रोजमर्रा के जीवन को सरल बना रहा है, जैसे रेल के टिकट, बिल जमा करना आदि | वही सामाजिक जीवन में भी अपनी पैठ जमा रहा है | इंटरनेट की इस क्रांति में मानव का जीवन तो सहज और सरल हुआ है -इसमे कोई दो राय नहीं | किंतु इंटरनेट -आज की इस संचार क्रांति से भाव तो बांटे जा सकते है, किंतु मन के भाव मर भी रहे है | मोबाइल पर किसी विशेष दिन की बधाई तो हम अपने रिश्तेदारों को और पडोसी को दे देते है लेकिन जब यहीं लोग हमारी आँखों के सामने हो तो देखकर अनजान बन जाते है |
जयश्री जाजू |
मोबाइल ने इस बातचीत को चैटिंग का रूप दे दिया |
हर घर में रिश्ते दरक रहे है क्योकि परिवार के प्रत्येक सदस्य ने मोबाइल को अपना रिश्तेदार बनाया है |
माना इस संचार क्रांति से हम भाग नहीं सकते | लेकिन हमें अपने आप पर नियंत्रण रख कर इन उपकरणों पर समय की सीमा रखकर कार्य करना चाहिए |
आज यहाँ इस सुन्दर दुनिया में इतनी अपराधिक प्रवृति बढ़ रही है, नकारात्मक सोच पनप रही है तो इसकी वजह क्या है ? इस प्रश्न का उत्तर हमारे पास ही है | आज हम नहीं जागेंगे तो शायद देर न हो जाए | बच्चे सिर्फ इंटरनेट के ही होकर न रह जाए | सामाजिक दायित्व उठाने लायक ही न रहें |
और अंत में मै इतना ही कहुंगी कि इस संचार क्रांति के हमें लाभ तो अनगिनत है | यदि एक सकारात्मक सोच के साथ व सामाजिक जीवन का आनंद लेते हुए करो तो | यदि इस सोच के साथ इसका उपयोग न हुआ तो जो हानि होगी शायद वह सोच से परे है |
यह रचना जयश्री जाजू जी द्वारा लिखी गयी है . आप अध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं . आप कहानियाँ व कविताएँ आदि लिखती हैं .
Nice article mam
जवाब देंहटाएंYou are revealing the truth.