भले ही, डॉ॰ महेंद्रभटनागर से मैं अभी तक व्यक्तिगत तौर पर नहीं मिल पाया, मगर उनसे मेरी जान-पहचान आठ-दस साल पहले अंतरजाल पर हुई थी।
डॉ॰ महेंद्रभटनागर की काव्य-गंगा
- दिनेश कुमार माली
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डॉ॰ महेंद्रभटनागर |
सुधी हिन्दी-पाठकों के लिए डॉ॰ महेंद्रभटनागर का नाम चिर-परिचित है। सन् 1926 में झाँसी में जन्मे डॉ॰ महेंद्रभटनागर ने अपनी समूची ज़िंदगी हिन्दी-साहित्य की कटिबद्धता से सेवा की। सन् 1984 में मध्यप्रदेश सरकार की शैक्षिक सेवा में प्रोफ़ेसर-पद से सेवानिवृत्ति के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी में प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर तथा इन्दिरा गांधी खुला विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रहे। साथ ही साथ, वे इंदौर विश्वविद्यालय, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन तथा भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा की विभिन्न समितियों के सदस्य व चेयरमैन रह चुके हैं। ‘ग्वालियर शोध संस्थान’, ‘मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी’ और ‘राष्ट्र-भाषा प्रसार समिति, भोपाल’ की प्रबंधन-समिति के सदस्य बतौर भी उन्होंने काम किया है। समय-समय पर भारत के विश्वविद्यालयों और शिक्षा-बोर्ड के सिलेबस में उनकी कविताएँ छपती रही हैं। इंदौर और ग्वालियर के आकाशवाणी-केन्द्रों की ड्रामा/लाइट म्यूजिक की ‘ऑडिशन कमेटी’ के सदस्य थे। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और नई दिल्ली के नेशनल रेडियो चैनल पर उनकी बहुत सारी कविताएँ, वार्ताएँ और अन्य दूसरे प्रोग्राम प्रसारित होते रहे हैं।
बिहार राष्ट्र-भाषा परिषद, पटना; उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ; राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर तथा हिन्दी साहित्य परिषद, गुजरात आदि साहित्यिक संस्थाओं में पारितोषिक-निर्णायक की भूमिका अदा करते रहे हैं। अंग्रेज़ी भाषा में उनकी कविताओं के ग्यारह संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, ‘फोट्टी पोयम्स ऑफ़ महेंद्रभटनागर’, ‘आफ़्टर द फोट्टी पोयम्स’, ‘डॉ॰ महेंद्रभटनागर की पोयट्री’, ‘एक्ज़ूबरेन्स एंड अदर पोयम्स’, ‘डेथ-परसेप्शन : लाइफ़-परसेप्शन’, ‘पेशन एंड कंपेशन’, ‘पोयम्स : फॉर ए बेटर वर्ल्ड’, ‘लिरिक-ल्यूट’, ‘ए हेंडफूल ऑफ लाइट’, ‘न्यू एनलाइटेंड वर्ल्ड, तथा ‘डॉन टू डस्क’ हैं ।
उनके विशिष्ट कविता-संग्रह हैं: -‘एनग्रेव्ड ऑन द कैनवास ऑफ़ टाइम’, ‘लाइफ : एज़ इट इज़’, ‘ओ, मून, माई स्वीट-हार्ट’, ‘नेचर पोयम्स’ तथा ‘डेथ एंड लाइफ़’। ‘ए मॉडर्न इंडियन पोयट : डॉ॰ महेंद्रभटनागर’ में उनकी कविताओं के फ्रांसीसी में अनुवाद प्रकाशित हैं। इसके अलावा, अठारह कविता-संग्रहों का एक समग्र हिन्दी भाषा में ‘महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा’ अभिधान से प्रकाशित हुआ है। आपके साहित्य पर अनेक शोध-कार्य भी हुए हैं। आपकी कविताओं का हिन्दी के जाने-माने कवियों, लेखकों, आलोचकों ने जैसे — डॉ॰ वीरेंद्र सिंह, डॉ॰ किरण शंकर प्रसाद, डॉ॰ रवि रंजन, डॉ॰ हरिचरण शर्मा, डॉ॰ विनयमोहन शर्मा, डॉ॰ एस॰ शेषारत्नम आदि ने उनकी काव्य-संवेदना, रचना-कर्म, काव्य-साधना, परख-पहचान, व्यक्तित्व, शिल्प, अंतर्वस्तु, अभिव्यक्ति, शोध के अतिरिक्त तेलुगु- कवि कालोजी नारायण राव के साथ तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया है। यही ही नहीं, अंग्रेज़ी में डॉ॰ बैरागी चरण द्विवेदी, डॉ॰ सुरेश चन्द्र द्विवेदी, डॉ॰ आर॰ के॰ भूषण तथा केदारनाथ शर्मा ने उनकी कविताओं पर गहन अनुसंधान किया है।
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दिनेश जी,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा आर्टिकल हैं आपका ऐसे कलाकारों को और जो लोग हमे मोटीवेट करते हैं इनको दुनिया के सामने लाना ही हमारा काम हैं,
मैंने भी ऐसे लोगो पर आर्टिकल लिखने की कोशिश की हैं कृपया मेरे www.gyanipandit.com पर आके मुझे मार्गदर्शन करे,
धन्यवाद
सुन्दर लेख
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लेख, keep it up,going on,
जवाब देंहटाएंथैंक्स
आपने अच्छा लिखा ....Like It
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