यशपाल का झूठासच

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भारत विभाजन की मार्मिक अभिव्यक्ति है यशपाल का 'झूठासच'

 भारत विभाजन की मार्मिक अभिव्यक्ति है यशपाल का 'झूठासच'
यशपाल का झूठा सच एक बड़ी परिधि का उपन्यास है. इसका पहला खंड मुख्यत : लाहौर पर केंद्रित है और दूसरा खंड दिल्ली पर. उपन्यास में समाज के विभिन्न तबको, जातियों और संस्कृति के लोग है . इन पात्रों की सोच, जीवन दृष्टि, आपसी व्यवहार और समय एवं समाज के प्रति उनके सरोकारों में इतना अंतर है कि उनकी परिस्थिति हमें एक भरे-पूरे वैविध्यपूणर् और सामाजिक संसार का बोध कराती है.
संक्षेप में उपन्यास
झूठा सच की पृष्टभूमि भारत विभाजन तथा तज्जन्य लोमहर्षक घटनाएं एवं मानव की तत्कालीन स्थिति है. इसके प्रथम भाग वतन और देश में भारत विभाजन पूर्व से  होने वाले सांप्रदायिक दंगों का मार्मिक चित्रण है. इसमें तीन पात्र प्रमुख हैं जयदेव पुरी, उसकी बहन तारा और प्रेमिका कनक. निर्धन मास्टर रामलुभाया आपने
पुस्तक - झूठा सच
लेखक- यशपाल
बड़े भाई रामज्वाला की पुत्री शीला का विवाह तय हो जाने पर आपनी पुत्री तारा के विवाह के लिए चिंतित हैं. तारा का विवाह उसके इच्छा के खिलाफ आवारा युवक सोमराज से तय हो जाता है. जेल की सजा भोग रहे जयदेव को जब इस बारे में पता चलता है तो वह इसका विरोध करता है. वह जेल से छूट कर आता है और तारा को बीए में दाखिला दिलवाने के लिए डा. प्राणनाथ से 100रुपये उधार लाता है. इसमें 1944-45 के आसपास की राजनीतिक स्थिति का आकलन है. तारा का सोमराज से विवाह हो जाता है. उसी समय मुसलमान धाबा बोल देते हैं . तारा पर अत्याचार किया जाता है. सोमराज को पकड़ लिया जाता है. इधर कनक को जयदेव पुरी से दूरी रखने के लिए उसे नैनीताल भेज दिया जाता है. जयदेव परिवार की खोज में लाहौर भागता है. दूसरे भाग देश का भविष्य में  पुरी प्रेस का मालिक बन जाता है. कनक और पुरी का विवाह हो जाता है. इधर तारा की डा.प्राणनाथ से भेंट होती है. और अंत में दोनों का विवाह हो जाता है.
झूठा सच में स्त्री जीवन
झूठा सच भारतीय समाज में स्त्री की नियती के संदभ र्में उसकी स्थिति का सवाल बहुत विस्तार से उठाता है तथा कनक और तारा सहित उनके स्तरों और वर्गों की स्त्रियों के माध्यम से स्त्री-विमर्श को आपने केंद्र में रख
यशपाल
कर चलता है.  इसमें तारा, कनक, शीलो, उमिर्ला जैसे नारी पात्र हैं, ताजो, तायी, रूक्को जैसी भी नारी पात्र विद्यमान हैं. गिरिजा भभी क्षणिक रूप से ही सही कथानक में आकर आपनी सहृदयता छोड़ जाती हैं. श्यामा 33वर्ष की अविवाहित ईसाई युवती है. वह प्रेम में शरीर की आनिवाय भूमिका पर बल देती है. डे से उसका संबंध है जो पहले से विवाहित और तीन बच्चों का पिता है वहीं श्यामा आथिर्क दृष्टि से आत्मनिर्भर है. लेकिन भावात्मक दृष्टि से बहुत खाली और आकली यहां तक कि उपन्यास झूठा सच की नायिका का प्रश्न केवल दो नारी पात्रों पर जाकर अटकती है. तारा और कनक.  इसमें जयदेव पुरी, डा. प्राणनाथ, नरोत्तम, नैयर आदि कईं पुरूष पात्र भी हैं. जयदेव पुरी को कहानी का नायक माना जा सकता है.
जन जीवन से जुड़ी भाषा
उपन्यास में व्यवहार की गयी भाषा जनजीवन से जुड़ी हुई है. उदाहरण के लिए  उपन्यास के कुछ अंश: ‘तारा कालेज के लड़कों को पढ़ाती थी. उसने अच्छे-बूरे लड़के देखे थे. तारा और उसकी सहेलियां एसे घूरने वाले लड़कों को आपस में स्टुपिड़, रूड, गल-र्गेजर कह कर वितृष्णी  प्रकट करती थी, उनका मजाक करती थी’. यह भाषा बोलचाल की भाषा लगती है.
उपन्यास का महत्व
विभाजन बीसवीं सदी की सवाधिक महत्वपूर्ण घटना थी. इसपर विपुल मात्रा में लिखा गया. इस लेखनी की मुख्य विशेषता यह है कि यह ज्यादातर कथा साहित्य के रूप में सामने आया और स्वाभाविकत: इसके लेखक
भी वही लोग थे जिन्होंने इस त्रासदी को देखा था. इन सभी में झूठा सच एक महत्वपूर्ण उपन्यास है. लाहौर की भोला पांधे गली में आर्य समाजी मास्टर रामलुभाया के परिवार से शुरू होकर यह उपन्यास जल्द ही समूचे लाहौर और पूरे पंजाब की नियति की कहानी बन जाती है. बंटवारे का ऐसा मार्मिक चित्रण शायद ही कहीं देखने को मिले.
'झूठा सच' उपन्यास पर इतिश्री सिंह के  विचार
भारत विभाजन पर कईं लेख लिखे गए और लगभग सभी भारतीय भाषाओं में लिखे गए लेकिन भारत
इतिश्री सिंह
विभाजन और राजनीति और लेकर शायद ही झूठासच जैसा कोई उपन्यास हो लेकिन उपन्यास काफी लंबा लगता है. उपन्यास का नायक भले ही जयदेव पुरी हो लेकिन वह आदर्श व्यक्तित्व नहीं. असलियत में देखा जाए तो कहानी में कोई नायक नहीं और कनक भले ही कहानी की नायिका मानी गई हो लेकिन वह कहानी में कभी-कभी बहुत ही कमजोर पड़ गई है. कहानी में दोलु मामा, फेरीवाला जैसे किरदार हैं जो भले ही आते हैं जाने के लिए लेकिन इन किरदारों की वजह से कहानी दिलचस्प लगती है. जो भी हो लेकिन यह उपन्यास यशपाल की अद्वितीय कृति जरुर है.

 यह समीक्षा इतिश्री सिंह राठौर जी द्वारा लिखी गयी है . वर्तमान में आप हिंदी दैनिक नवभारत के साथ जुड़ी हुई हैं. दैनिक हिंदी देशबंधु के लिए कईं लेख लिखे , इसके अलावा इतिश्री जी ने 50 भारतीय प्रख्यात व्यंग्य चित्रकर के तहत 50 कार्टूनिस्टों जीवनी पर लिखे लेखों का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद किया. इतिश्री अमीर खुसरों तथा मंटों की रचनाओं के काफी प्रभावित हैं.

COMMENTS

Leave a Reply: 2
  1. सार्थक समीक्षा
    संदीप शर्मा

    जवाब देंहटाएं
  2. डा. रत्ना पांडेदिसंबर 29, 2016 8:57 pm

    झूठा सच उपन्यास का जो पात्र मेरे अन्तस्तल पर गहरी छाप छोड़ता है वह तारा है।

    जवाब देंहटाएं
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