राष्ट्रीय कार्यशाला हिन्दी विभाग, मानविकी संकाय हैदराबाद विश्वविद्यालय द्वारा स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और महेश बैंक, हैदराबाद के सहयोग...
राष्ट्रीय कार्यशाला |
हिन्दी विभाग, मानविकी संकाय हैदराबाद विश्वविद्यालय द्वारा स्टेट बैंक ऑफ
हैदराबाद और महेश बैंक, हैदराबाद के सहयोग से “ दक्षिण भारत में हिन्दी के
अध्ययन–अध्यापन की समस्याएं ” पर आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला (14-16 मार्च) का समापन मुख्य अतिथि श्री रमेश कुमार बंग और प्रति कुलपति
प्र. ई हरिबाबू द्वारा कल दिनांक 16 मार्च को संपन्न हुआ. श्री रमेश कुमार
बंग जी ने इस कार्यशाला के सकुशल संपन्न होने पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए
महेश बैंक के इस प्रकार के राष्ट्रीय महत्त्व के सरोकारों और अपने हिन्दी
प्रेम से श्रोताओं को अवगत कराया.
६
सत्रों में विभाजित इस कार्यशाला का उदघाटन दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा
चेन्नई के कुलसचिव प्रो. दिलीप सिंह और मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई के
हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राम जी तिवारी ने संयुक्त रूप से
मानविकी संकाय के डीन प्रो. मोहन जी रमनन की अध्यक्षता में १४ मार्च को
किया था. इस कार्यक्रम में स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद की तरफ से डॉ विष्णु
भगवान जी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे. ६ सत्रों में विभाजित इस
कार्यशाला में पूरे देश से लगभग ६० विद्वतजनों - जिनमें चेन्नई से दिलीप
सिंह और मधु धवन, रांची से ध्रुव तननानी, मुंबई से राम जी तिवारी,
कांचीपुरम से नागेश्वर राव, अमरावती से ज्योति व्यास, गुलबर्गा से मैत्री
ठाकुर हैदराबाद से एम वेंकटेश्वर , विष्णु भगवान् , टी मोहन सिंह, माणिक्य
अम्बा , शीला मिश्र, शुभदा बांजपे, एफ एम सलीम, जे आत्मा राम,करण सिंह
ऊटवाल, रहीम खां, हेमराज दिवाकर, रेखा रानी, जी नीरजा, मृत्युन्जय सिंह,
गोरखनाथ तिवारी आदि अनेक विद्वानों, अध्यापकों और शोधार्थियों ने भाग लिया
और अपने प्रपत्र पढ़े.
राष्ट्रीय
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए वरिष्ठ भाषावैज्ञानिक प्रो.
दिलीप सिंह ने दक्षिण भारत में स्कूल स्तर से हिन्दी की समस्या के निदान
पर बल दिया. बीज व्याख्यान देते हुए प्रो राम जी तिवारी ने हिन्दी के
प्राथमिक शिक्षण को मजबूत करने की आवश्यकता बतायी. डॉ विष्णु भगवान ने
भाषा की सम्पूर्ण जानकारी के अभाव में गलत अनुवाद की समस्या पर बल देते हुए
कहा कि भाषा की समस्याओं को दूर कर के ही अच्छा अनुवादक बना जा सकता है .
प्रो ऋषभदेव शर्मा ने शिक्षकों की जवाबदेही पर बात की. कार्यशाला के समापन
सत्र में बोलते हुए प्रति कुलपति प्रो. ई . हरिबाबू ने त्रिभाषा प्रणाली की
उपयोगिता को रेखांकित किया . अंत में कार्यशाला के उपनिदेशक डॉ एम
आन्ज्नेयुलू ने संगोष्ठी रपट प्रस्तुत की और कार्यशाला के निदेशक डॉ आलोक
पांडेय ने सभी अतिथियों, वक्ताओं और श्रोताओं को धन्यवाद देते हुए, विशेष
रूप से महेश बैंक के चेयरमैन रमेश कुमार बंग और स्टेट बैंक हैदराबाद के डॉ
विष्णु भगवान को, उनके बैंक की तरफ से आर्थिक सहयोग प्रदान करने के लिए
विशेष धन्यवाद दिया.
[प्रस्तुति : डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा, सह-संपादक, स्रवन्ति, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद – 500004]
बहुत बहुत बधाई यह कार्यशाला निश्चित रूप से हिंदी के विकास की ओर बढ़ता एक कदम है .समय समय पर आयोजित ये कार्यशालाएं भाषा के विकास को एक नया आयाम प्रदान करती है
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