हो गई है पीर पर्वत - दुष्यंत कुमार

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हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी ...

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए

COMMENTS

Leave a Reply: 21
  1. दुष्यंत कुमार जी को पुनः पढवाने के लिए धन्यवाद!

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  2. दुष्यंत कुमार जी की इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए शुक्रिया ..........

    जवाब देंहटाएं
  3. ... प्रयास जारी रखें, प्रसंशनीय प्रस्तुति !!!

    जवाब देंहटाएं
  4. antarik samvednaon ko kavya ke roop me prastuti atyantant marmik hai

    shiva kumar agrahari

    जवाब देंहटाएं
  5. yeh shabd nahin hain talwar hain.

    जवाब देंहटाएं
  6. ise padh kr ek josh bhar jata h wah! kya baat h jo hr dil ko jinda dil mehsush kra de

    जवाब देंहटाएं
  7. lajawab kavi bemisaal kavita , great kavi dushyant jee ka koti koti naman

    जवाब देंहटाएं
  8. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. punya prastuti par sat sat sadhuvaad.

    जवाब देंहटाएं
  10. कठिन है राह-गुज़र थोड़ी देर साथ चलो।
    बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी देर साथ चलो।

    तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है
    ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो।

    नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं
    बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो।

    जवाब देंहटाएं
  11. kisi ko woh kavita yaad hai jisme lekhak ne cinema mien gaav ka chitran aur asliyat mien gaav ka chitran bataya hai.agar kisi yaad ho to plz us kavita ka naam aur author is id pe mail kare dhanyawad. pooshu_22@yahoo.co.in

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  12. His ghazals are just 'an eye-opener'... No words to describe....

    जवाब देंहटाएं
  13. उम्दा रचना! ये सर्जना हमें तम से उजियारे की ओर ले जाने का पूर्ण प्रयास करती है। इसकी प्रत्येक पंक्ति अपने भीतर ढेर सारा उत्साह और प्रेरणा समेटे हुए है। ऐसी रचना को हमारे समक्ष लाने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  14. उम्दा रचना! ये सर्जना हमें तम से उजियारे की ओर ले जाने का पूर्ण प्रयास करती है। इसकी प्रत्येक पंक्ति अपने भीतर ढेर सारा उत्साह और प्रेरणा समेटे हुए है। ऐसी रचना को हमारे समक्ष लाने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  15. अति प्रेरक। उत्साह वर्धक। कोटि-कोटि नमन।

    जवाब देंहटाएं
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