डॉ राही मासूम रजा

SHARE:

राही मासूम रजा : एक परिचय हिन्दी -उर्दू साहित्य के सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ राही मासूम रजा का जन्म १ सितम्बर १९२७,को गाजीपुर (उत्तर ...


राही मासूम रजा : एक परिचय

हिन्दी -उर्दू साहित्य के सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ राही मासूम रजा का जन्म १ सितम्बर १९२७,को गाजीपुर (उत्तर प्रदेश ) के गंगोली गाँव में हुआ था.इनके पिता का नाम सैयद वसीर हसन आब्दी तथा माँ का नाम नफीसा बेगम था । इनके पिता गाजीपुर के प्रसिद्ध वकील थे। राही की प्रारंभिक शिक्षा गाजीपुर शहर में हुई। बचपन में इनका पैर पोलियो ग्रस्त हो जाने के कारण इनकी शिक्षा में थोड़ा व्वधान आ गया। लेकिन इन्होने अपनी पढ़ाई जारी रखी, और इंटर करने के बाद ये अलीगढ आ गए । और यही से इन्होने उर्दू साहित्य में एम .ए.करने के बाद" तिलिस्म - -होशरुबा " - पर पी.एच .डी.की डिग्री प्राप्त की । "तिलिस्म -ए -होशरुबा" उन कहानियो का संग्रह है जिन्हें घर की नानी-दादी ,छोटे बच्चो को सुनाती है। पी .एच.डी करने के बाद ,ये विश्वविद्यालय में उर्दू साहित्य के अध्यापक हो गए । अलीगढ में रहते हुए इन्होने अपने प्रसिद्ध उपन्यास " आधा-गाँव " की रचना की ,जोकि भारतीय साहित्य के इतिहास का , एक मील का पत्थर साबित हुई।
राही स्वभाव से ही बागी थे। इसी कारण वे अपनी बात को बिना लाग-लपट के कह पाये । एक विधवा स्त्री नैयर से प्रेम करने के कारण उन्हें अपने विभाग से निकाल दिया गया। इस प्रेम को बदनाम करने की कोशिश की गई और राही पर चरित्रहीनता का आरोप लगाया गया।
इसके बाद राही को अलीगढ छोड़ना पड़ा . अलीगढ छोड़ने के बाद ये दिल्ली चले आये और यहाँ पर राजकमल प्रकाशन की मालकिन श्रीमती शिला संधू ने इनकी बड़ी सहायता की। राही रोजी -रोटी की तलाश में बम्बई चले आए। यह समय राही के जीवन का सबसे बुरा समय था।

रोशनाई के लिए अपने को बेचा किए हम/ ताकि सिर्फ़ इसलिए कुछ लिखने से बाकी रहे / की कलम खुश्क थे और लिखने से मजबूर थे हम /

उन्हें रोज़गार के लिए फ़िल्म लेखन का काम शुरू किया। इसके लिए इन्हे कई बार बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा । लेकिन इन्होने बड़ी सफलतापूर्बक सबका निर्वाह किया फ़िल्म लेखन के साथ-साथ ये साहित्य रचना भी करते रहे । इन्होने जीवन को बड़े नजदीक से देखा और उसे साहित्य का विषय बनाया। इनके पात्र साधारण जीवन के होते और जीवन की समस्यों से जूझते हुए बड़ी जीवटता का परिचय देते है । इन्होने हिंदू -मुस्लिम संबंधो और बम्बई के फिल्मी जीवन को अपने साहित्य का विषय बनाया। इनके लिए भारतीयता आदमियत का पर्याय थी ।

मेरा फन तो मर गया यारो / मै नीला पड़ गया यारो / मुझे ले जाके गाजीपुर की गंगा की गोदी में सुला देना/ मगर शायद वतन से दूर मौत आए / तो मेरी यह वसीयत है/ अगर उस शहर में छोटी -सी एक नद्दी भी बहती हो/ तो मुझको / उसकी गोद में सुलाकर / उससे कह देना/ कि यह गंगा का बेटा आज से तेरे हवाले है /

इन्होने उर्दू साहित्य को देवनागरी लिपि में लिखने की शुरुआत की और जीवन पर्यंत इसी तरह साहित्य के सेवा करते रहे और इस तरह वे आम-आदमी के अपने सिपाही बने रहे । इस कलम के सिपाही का देहांत १५ मार्च १९९२ हो हुआ।

रचना कर्म:
कविता संग्रह : मै एक फेरीवाला ,मौजे सबा, रक्से -मय, अजनबी शहर-अजनबी रास्ते,नया साल ,मौजे गुल ।
उपन्यास : आधा गाँव, टोपी शुक्ला ,हिम्मत जौनपुरी ,ओस की बूंद ,दिल एक सादा कागज़ ,कटरा बी आरजू ,असंतोष के दिन ,मुहबत के सिवा ,सीन ७५
जीवनी साहित्य : छोटे आदमी की बड़ी कहानी


COMMENTS

Leave a Reply: 7
  1. पता नही कैसे मैं आपके ब्लॉग पे पहुँचा और यहाँ इतना कुछ देख के दिल खुश हो गया भाई ....
    बहुत बहुत बधाई के पात्र हो आप आशुतोष इतना कुछ लिख रहे हो ....

    राही मासूम रजा बहुत बड़े आदमी थे मैंने ऐसा सुना है की इनके पिताजी ने इनको घर से निकल दिया था क्यूंकि इन्होने रामायण का स्क्रीनप्ले लिखा था .... ऐसे लोगो की पूजा होनी चहिये .... किस्मत से मैं भी गाजीपुर का हूँ ..... मैं फक्र से बोलता हूँ की राही मासूम रजा भी यहाँ के थे ..

    आप एक बार जरुर www.hindyugm.com पे पधारिये मुझे बहुत खुशी होगी अगर आपके लेख बहुत से pathkon तक पहुंचे ........
    सादर
    दिव्य प्रकाश दुबे

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बेनामीमई 31, 2017 2:42 pm

      Maloom nahi aisi jankari kaha se late hai ap.
      Pahli baat Rahi saab ne Ramayan nahi Mahabharat ki script likhi thee.
      Aur jab inhone script likhi thee us se 30 saal pahle unke walid ka inteqal ho chuka tha.

      हटाएं
  2. Behtareen kathakar rahen hain Rahee Masoom Raza..aalekh behtareen hai..sirf naam' Razaa' hona chahiye tha,'Rajaa' nahee...apne bura to nahee mana?Ek 'nuqta'bas!

    जवाब देंहटाएं
  3. आपने रही मासूम रजा के बारे सांगोपांग जानकारी दी है . इस बात की दिल से ख़ुशी हुई है .. बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. मुझे इस वेबसाईट देखकर लगा में अभी पूरी तरह हिंदी को समर्पित हू

    जवाब देंहटाएं
  5. bahut hi umda tarike se aap karya kar rahe hai... Ishwar ka varadhast aapke upar bana rahe

    जवाब देंहटाएं
  6. Muje rahi masoom raza ji ki ek book chaye chote aadmi ki badi kahani in hindi kya aapme se koi bata sakte ki kaha pe milgi online bhi find kiya mene but muje nahi mili plzz help me...thank you

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका