बहू की विदा Bahu Ki Vida

SHARE:

बहू की विदा समरी bahu ki vida summary bahu ki vida vinod rastogi विनोद रस्तोगी का परिचय ekanki sanchay guide बहू की विदा के लेखक एकांकी संचय vinod rastogi hindi writer bahu ki vida by vinod rastogi summary vinod rastogi bahu ki vida summary in hindi bahu ki vida ekanki sanchay summary

बहू की विदा Bahu Ki Vida

बहू की विदा एकांकी का सारांश - बहू की विदा नामक एकांकी विनोद रस्तोगी जी द्वारा लिखी गयी है . प्रस्तुत एकांकी में एक्कंकिकार ने समाज में व्याप्त दहेज़ की समस्या का सजीव चित्रण किया है .एकांकी में एक धनी व्यापारी जीवनलाल अपनी बहु कमला को पहला सावन बिताने के लिए उसके मायके भेजने से साफ़ इनकार कर देते है . कमला का भाई प्रमोद अपनी बहन को बीड़ा करने के लिए आया है .जीवनलाल प्रमोद को बहुत खरी खोटी सुनाते हैं कि उन्होंने दहेज़ की माँग अब तक पूरी क्यों नहीं की .वह प्रमोद को ताना देते हुए कहते है न तो उन्होंने दहेज़ की रकम के पाँच हज़ार दिए और न ही बारातियों की खातिरदारी ढंग से की गयी ,भरी बिरादरी में उनकी नाक कटा दी .दूसरी तरफ जीवनलाल की पत्नी राजेश्वरी एक सुलझे विचारों की महिला हैं .वह अपनी बहुत के प्रति कोई द्वेष नहीं रखती .वह उसकी भावनाओं को समझती हैं .वह प्रमोद को पाँच हज़ार रूपया देना चाहती है जिससे की वह उनके प्रति को दहेज़ की बाकी रकम देकर अपनी बहन को विदा करा सके .जीवन का पुत्र रमेश भी अपनी बहन गौरी को विदा कराने उसकी ससुराल गया है . पर गौरी को साथ न लेकर खाली हाथ वापस आ जाता है .जीवनलाल यह देखकर हैरान हो जाते हैं कि गौरी की विदाई क्यों नहीं हुई ?रमेश ने जीवनलाल को बताया कि गौरी के ससुरालवालों दहेज़ की माँग कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने दहेज़ पूरा नहीं दिया .यह सब देखर जीवनलाल की आँखें खुल जाती हैं .वह समझ जाते कि चाहे जीवन भर की साड़ी कमाई दे दो ,पर लड़कीवालों की माँग पूरी नहीं होती .बहु और बेटी को एक ही तराजू में तोलने की बात अब जीवनलाल की समझ में आ जाती है .वह ख़ुशी - ख़ुशी अपनी बहु कमला को उसके भाई के साथ विदा कर देते हैं . 


बहू की विदा एकांकी शीर्षक की सार्थकता 

बहू की विदा नामक एकांकी विनोद रस्तोगी जी द्वारा लिखी गयी एक प्रसिद्ध रचना है. यह एक पारिवारिक व सामाजिक पृष्ठभूमि पर लिखी गयी है . इस एकांकी के माध्यम से दहेज़ प्रथा की बुराई का चित्रण किया गया है . एकांकी के केंद्र में बहु की विदाई है जिसे जीवनलाल कम दहेज़ मिलने के कारण बहू की विदाई नहीं करर्ते हैं .कमला के घर वाले ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार दहेज़ दिया दिया ,लेकिन वे जीवनलाल को खुश नहीं कर पाए .कमला का भाई प्रमोद अपनी बहन पर जीवनलाल के आगे उनकी चलती है .जीवनलाल के बेटी की भी शादी हो चुकि है ,उनका पुत्र रमेश भी अपनी बहन को विदा कराने गया है . जब रमेश अपनी बहन को विदा नहीं करा पाया ,तब जीवनलाल की आँखें खुलती हैं .उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है .वे कमला की विदाई के लिए तैयार हो जाते हैं . 




अतः बहू  की विदा से ही एकांकी का आरंभ एवं अंत होता है ,इसीलिए यह शीर्षक सार्थक एवं उचित है . 

जीवनलाल का चरित्र चित्रण 

जीवनलाल बहू की विदा नामक एकांकी के प्रमुख पात्र बन कर उभरते हैं . उनकी उम्र लगभग ५० वर्ष है . वह एक धनी व्यापारी है .वह परिवार के मुखिया है .उनके कड़क स्वभाव के कारण घर में सभी उनसे डरते हैं .उन्हें  हर काम में अपनी मंमारी करने की आदत है .जीवनलाल एक जिद्दी ,हठी ,संवेदनहीन .लालची ,स्वार्थी ,घमंडी तथा निर्मम व्यक्ति है . वह बहू और बेटी में भी भेदभाव करते हैं .उनका कहना था की रमेश के विवाह के समय उनकी बड़ी बेइज़त्ति हुई है .इसके लिए उन्हें पाँच हज़ार चाहिए तभी उनके हृदय के घाव भरेंगे ,पर उन्हें धक्का तब लगता है जब उनका बेटा रमेश अपनी बहन की विदाई कराये बिना खाली हाथ लौट आता है ,क्योंकि उसके ससुरालवालों ने भी कम दहेज़ के कारण विदा करने से इनकार कर देते हैं . इस बात पर जीवनलाल का ह्रदय परिवर्तन हो जाता है . वे कमला को विदा करने के लिए तैयार हो जाते हैं . एकांकी के अंत में जीवनलाल को अपनी गलती का एहसास भी हो जाता है . 

कमला का चरित्र चित्रण 

कमला जीवनलाल की पुत्रवधू व  प्रमोद की बहन है . उसकी उम्र उन्नीस बर्ष है . उसका विवाह अभी कुछ महीने पहले ही हुआ है . जीवनलाल दहेज़ की कमी को लेकर उसे पहले सावन पर मायके भेजने से इनकार कर देते हैं . उनका भाई उसको लेने आता है लेकिन जीवनलाल पाँच हज़ार की माँग करते हैं तथा कमला को मायके भेजने से इनकार कर देते हैं पर अंत में जीवनलाल का ह्रदय परिवर्तन हो जाने पर वह सहर्ष कमला को भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं . अतः कमला एक सुन्दर ,सुशील,विनम्र ,धैर्यवान और समझदार विवाहिता युवती है . 

बहू की विदा एकांकी का उद्देश्य / संदेश

बहू ही विदा एकांकी दहेज़ प्रथा की बुराईयों को दर्शाती एकांकी है .इस एकांकी के माध्यम से लेखक ने दहेज़ प्रथा का विरोध किया है . एकांकी में प्रमुख कथा बहू की विदाई है ,जिसमे ससुर जीवनलाल अपनी बहु की विदाई के लिए पाँच हज़ार की माँग करते हैं ,जिसे बहु के भाई प्रमोद द्वारा नहीं दे पाने के कारण वह विदा करने के इनकार कर देते हैं . अंत में स्वयं उनकी बेटी जब दहेज़ के कारण ही विदा करने से इनकार कर दी जाती है तो जीवनलाल आखें खुल जाती हैं ,वह कहते हैं की चाहे जीवन भर की कमाई दे दो ,पर लड़की वालों की माँग पूरी नहीं होती है .अतः उनका ह्रदय परिवर्तन हो जाता है . लेखक ने दहेज़ प्रथा को समाज के लिए अभिशाप माना है .लेखक का यह भी मानना है कि बहु और बेटी को समान मानना चाहिए,तभी पारिवारिक गृहस्थी शांतिपूर्ण व सुखदायी होगी .अतः एकांकीकार विनोद रस्तोगी अपनी एकांकी बहू की विदाई के माध्यम से दहेज़ प्रथा की समस्या के प्रति पाठकों को जागरूक किया है . 

परिवार में सभी सदस्यों की समान भूमिका होती है तथ्य की समीक्षा | Hindi Project Work

समाज में परिवार को सभी संस्थानों का मूल और महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। परिवार समाज का एक मूलभूत इकाई होता है जिसमें पिता, माता, बच्चे और बड़े परिवार के सदस्य होते हैं। परिवार संबंधों के नेटवर्क की तरह काम करता है और सदस्यों के बीच सच्चे प्रेम, सम्मान, और सहयोग की भावना को विकसित करता है। एक समान भूमिका वाले परिवार में, सभी सदस्यों को समानता का अधिकार होता है। समानता का अधिकार होना यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी सदस्य को न्यायपूर्वक सुना जाता है और उनके विचारों, रुचियों और अभिरुचियों का भी सम्मान किया जाता है। एक समान भूमिका वाले परिवार में, स्त्री और पुरुष सदस्यों के बीच कोई भेदभाव नहीं होता है। यहां परिवार के सदस्यों को समान शिक्षा, समान संस्कार, और समान अधिकार मिलते हैं। समाज में स्त्रियों को भी पुरुषों के साथ समानता का अधिकार होना चाहिए जिससे उन्हें भी समाज में समान दर्जे और सम्मान का अधिकार मिले।

दहेज़ प्रथा की समस्या 
बहू की विदा, विनोद रस्तोगी द्वारा लिखा गया एक प्रभावी एवं महत्त्वपूर्ण एकांकी है। विनोद रस्तोगी ने अपनी सुन्दर शैली में समाज की एक अति गम्भीर समस्या को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है। समाज को चलाने वाला मध्यमवर्गीय वर्ग आज बहुत सी समस्याओं में स्वयं को उलझा हुआ पाता है। 'बहू की विदा’ दहेज प्रथा को लेकर लिखा गया ऐसा ही एकांकी है। सदियों से पीड़ित और प्रताड़ित स्त्री की दशा अब भी शोचनीय बनी हुई है। दहेज रूपी दानव आज भी असंख्य ललनाओं को अपना ग्रास बना रहा है ।

बहू की विदा, एकांकी ऐसे ही एक सत्य को उभारने का एक सफल प्रयास है जो बदलते हुए मूल्यों के साथ स्त्री की बदली हुई मानसिकता को भी दर्शाता है। प्रमोद अपनी बहन कमला को विवाह के बाद पहले सावन पर घर ले जाने के लिए आया है परन्तु उसके ससुर जीवनलाल जी उसे भेजने को तैयार नहीं हैं क्योंकि वह पर्याप्त दहेज नहीं लाई है। जीवनलाल जी और दहेज की माँग का संकेत देते हैं। प्रमोद की स्थिति करुणाजनक और दयनीय है। एकांकी के संवाद बिल्कुल सटीक और सारगर्भित हैं जो वरपक्ष के प्रभुत्व को दिखाते हैं ।

वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिक
परिस्थितियाँ किस प्रकार बदलती हैं यह तब पता चलता है जब जीवनलाल की अपनी पुत्री गौरी को भी उसकी ससुराल से विदा नहीं किया जाता क्योंकि उनके अनुसार वह भी पर्याप्त दहेज नहीं लाई थी। वर्तमान संदर्भ में यह एकांकी समय की माँग को लेकर लिखा गया एक अनूठा प्रयास है। कमला की सास का अपनी बहू के प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार सास के प्रति जनसाधारण की धारणा को बदल देता है । प्रत्येक पात्र अपनी अभिव्यक्ति को प्रभावी बनाता है। सास में माँ का हृदय भी है। सास के व्यवहार से यह स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है ।  बेटी के जन्म के साथ ही माता-पिता उसके सुखी भविष्य के लिए धन एकत्रित करना प्रारम्भ कर देते हैं क्योंकि वे अपनी पुत्री को किसी भी प्रकार दुःखी नहीं देखना चाहते हैं। जहाँ माता-पिता दहेज नहीं जुटा पाते वहाँ बेटियाँ प्रताड़ित की जाती हैं और यातनाएँ सहती हैं। प्रस्तुत एकांकी उन लोगों पर भी कटाक्ष है जो पराई बेटी पर दहेज न लाने पर अत्याचार करते हैं परन्तु जब इनकी बेटी विवाहोपरान्त दूसरे घर (ससुराल जाती है तो यही लोग अपेक्षा करते हैं कि उनकी बेटी से दहेज की माँग न की जाय। यदि बेटे और बेटी वाले दोनों ही पक्ष एक दूसरे की पीड़ा को समझेंगे तो दहेज़ रूपी समस्या का निवारण हो सकेगा . 

इस प्रकार यदि हम उपरोक्त बातों का ध्यान रखेंगे तो परिवार में उन्नति व खुशहाली बनी रहेगी । 



बहू की विदा प्रश्न उत्तर


प्र. जीवनलाल क्यों असंतुष्ट हैं ?

उ . जीवनलाल अपने बेटे की शादी में अधिक दहेज़ पाने की कामना करते थे ,कितुं उन्हें कम दहेज़ मिला इससे जीवनलाल को बहुत ठेस लगी . जीवनलाल अपने बेटे की शादी में कम दहेज़ मिलने से नाराज़ भी थे .

प्र. प्रमोद कमला को विदा करने क्यों आया था ?

. कमला का विवाह रमेश से इसी वर्ष हुआ था . ऐसी वहाँ परंपरा थी की बेटी के विवाह के बाद उसका पहला सावन मायके में ही हो . इसीकारण प्रमोद अपनी बहन कमला को उसकी ससुराल से विदा कराने आया था .

प्र . बहु को विदा करने के लिए जीवनलाल ने क्या शर्त रखी थी और क्यों ?

उ . बहु को विदा कराने के लिए जीवनलाल ने कमला के भाई प्रमोद के सामने यह शर्त रखी की जब वह उन्हें पाँच हज़ार रुपये दे दे तो वह कमला को उसके साथ जाने देंगे ,

प्र. राजेश्वरी देवी कौन है ? उनका स्वभाव कैसा है ?

उ. राजेश्वरी देवी जीवनलाल की पत्नी है ,कमला की सास एवं एवं रमेश की माँ है . वह एक संवेदनशील महिला हैं  . वह प्रमोद की समस्या पर विचार पर उनसे पैसे लेकर जीवनलाल को देने के लिए कहती है . वह कमला को माँ के समान व्यवहार करती हैं . वे अपने पति को भी समझाती रहती है कि उन्हें किसी प्रकार का लोभ नहीं करना चाहिए और अपनी बहु कमला को अपनी बेटी गौरी के समान समझना चाहिए . इस प्रकार वह एक समझदार व्यवहार कुशल , ममतामयी तथा उदार ह्रदय महिला हैं .

प्र. बेटी और बहू के सम्बन्ध में जीवनलाल के क्या विचार हैं ?

उ. जीवनलाल लोभी होने के साथ - साथ संवेदनहीन एवं संकीर्ण विचारों के भी है . वह बहू को बेटी के समान नहीं समझते . जीवनलाल बेटी को तो बहुत प्यार करते हैं , लेकिन अपनी बहु को पर्याप्त दहेज़ न मिलने के कारण मायके भेजने से मना कर देते हैं . बेटी के स्वागत के लिए वह मन लगा कर तैयारियाँ कर रहे हैं लेकिन अपनी ही बहु को मायके नहीं भेज रहे हैं . इस प्रकार जीवनलाल बेटी और बहू में अंतर करते हैं .


MCQ Questions with Answers Bahu Ki Vida


बहु विकल्पीय प्रश्न उत्तर 
प्र. १. बहु की विदा एकांकी के लेखक है ?
a. विष्णु प्रभाकर 
b. विनोद रस्तोगी 
c. प्रेमचंद 
d. वृन्दावनलाल वर्मा 

उ. b. विनोद रस्तोगी 

प्र. २. विनोद रस्तोगी का जन्म कहाँ हुआ था ?
a. फरुखाबाद 
b. भोपाल
c. इंदौर 
d. दिल्ली 

उ.a. फरुखाबाद 

प्र. ३. 'बहू की की विदा ' एकांकी में चित्रित मुख्य समस्या है ?
a. दहेज़ प्रभा 
b. बाल मजदूरी 
c. भ्रष्टाचार 
d. विद्यालय प्रबंधन 

उ. a. दहेज़ प्रभा 

प्र. ४. एकांकी में पर्दा उठने पर जीवनलाल कहाँ खड़े दिखाई पड़ते हैं ?
a. दरवाजे पर 
b. सोफे पर 
c. मैदान में 
d. खिड़की के पास 

उ. d. खिड़की के पास 

प्र. ५. जीवन लाल कौन है ?
a. एक दुकानदार 
b. शिक्षक 
c. एक प्रसिद्ध व्यापारी 
d. अधिकारी 

उ. c. एक प्रसिद्ध व्यापारी 

प्र. ६. प्रमोद किसे विदा कराने गया था ?
a. अपनी पत्नी को 
b. राजेश्वरी को 
c. अपनी बहन कमला को 
d. उपरोक्त में से कोई नहीं 

उ. c. अपनी बहन कमला को 

प्र. ७. रमेश कौन है ?
a. प्रमोद का मित्र 
b. कमला का भाई 
c. जीवन लाल का बेटा 
d. घर का नौकर 

उ. c. जीवन लाल का बेटा 

प्र. 8. एकांकी में 'मरहम'  शब्द का प्रयोग किस सन्दर्भ में किया गया है ?
a. चोट की दवा के लिए 
b. दर्द के इलाज के लिए 
c. दहेज़ के रुपये के लिए 
d. मानसिक शान्ति के लिए 

उ. c. दहेज़ के रुपये के लिए 

प्र. ९. कमला कौन है ?
a. प्रमोद की बहन 
b. जीवनलाल की बहू 
c. रमेश की पत्नी 
d. उपरोक्त सभी 

उ. d. उपरोक्त सभी 

प्र. १०. रमेश किसे विदा कराने गया था ?
a. अपनी पत्नी को 
b. अपनी भाभी को 
c. अपनी बहन गौरी को 
d. उपरोक्त में कोई नहीं 

उ. c. अपनी बहन गौरी को 

प्र. 11. 'पानी से पत्थर नहीं पिघल सकता है ' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ?
a. पत्थर के लिए 
b. जीवनलाल के लिए 
c. रमेश के लिए 
d. कमला के लिए 

उ. b. जीवनलाल के लिए 

प्र. १२. राजेश्वरी कौन है ?
a. रमेश की माँ 
b. कमला की सास 
c. जीवनलाल की पत्नी 
d. उपरोक्त सभी 

उ. d. उपरोक्त सभी 

प्र. १३. ' अब भी आँखे नहीं खुली ?' शब्द किसके लिए कहा गया है ?
a. जीवनलाल के लिए 
b. कमला के लिए 
c. प्रमोद के लिए 
d.रमेश के लिए 

उ. a. जीवनलाल के लिए 

प्र. १४. ' तुम भी तो किसी की बेटी की विदा न करके अपमान कर रहे हो किसी का ." यह कथन किसने कहा ?
a. प्रमोद ने 
b. राजेश्वरी ने 
c. कमला ने 
d. उपरोक्त में से कोई नहीं 

उ. c. कमला ने 

प्र. १५. एकांकी के अंत में जीवनलाल क्या फैसला लेते हैं ?
a. कमला को विदा करने का 
b. दहेज़ की रकम लेने का 
c. दहेज़ की रकम बढ़ा देने का 
d. कमला को न विदा करने का 

उ. a. कमला को विदा करने का 
 

Keywords :
बहू की विदा समरी bahu ki vida summary bahu ki vida vinod rastogi विनोद रस्तोगी का परिचय ekanki sanchay guide बहू की विदा के लेखक एकांकी संचय vinod rastogi hindi writer bahu ki vida by vinod rastogi summary vinod rastogi bahu ki vida summary in hindi bahu ki vida ekanki sanchay summary 

COMMENTS

Leave a Reply: 12
  1. बहुत अच्छा प्रयास पर अन्य एकांकियों के बारे में भी बताएं

    जवाब देंहटाएं
  2. कदम कदम पर लड़ना सीखो ,नारी तू बढना सीखो |
    उत्तम जन संग रहना सीखो ,खलजनको गढ़ना सीखो||
    सुजन संत सा चलना सीखो ,प्रकृति प्रेम को गहना सीखो |
    प्रेमसत्य बंधन -बधना सीखो ,नीक नियम सम्हलना सीखो ||

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीयA Karunan Ji आपने अपने उपरोक्त आलेख के माध्यम से समाज में व्यापक व्याप्त
    दहेज रूपी राक्षस के माध्यम से समाज में जनमानस को आईना दिखाने का कार्य किया। राजेश्वरी देवी माँ है।वह भी कभी बेटी थी उसे बेटी space-बहू के दर्द का भान है। नारी महान है। बधाई आपको!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर तरीकें से प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं . धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,34,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",6,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,17,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,15,कमलेश्वर,6,कविता,1406,कहानी लेखन हिंदी,12,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,4,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",14,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,2,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,29,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,68,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,4,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,25,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,23,नाटक,1,निराला,35,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,38,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,173,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,133,प्रयोजनमूलक हिंदी,21,प्रेमचंद,39,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,3,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,5,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,6,भक्ति साहित्य,138,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,4,महादेवी वर्मा,18,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,10,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,11,यशपाल,13,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,5,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,1,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,117,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,33,विद्यापति,6,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,50,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,27,सआदत हसन मंटो,9,सतरंगी बातें,33,सन्देश,38,समसामयिक हिंदी लेख,220,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,17,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,68,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",9,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,20,सूरदास,14,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,339,हिंदी लेख,503,हिंदी व्यंग्य लेख,2,हिंदी समाचार,164,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,85,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,18,hindi essay,331,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,94,hindi stories,656,hindi-kavita-ki-vyakhya,15,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,12,kavyagat-visheshta,22,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,3,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,32,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: बहू की विदा Bahu Ki Vida
बहू की विदा Bahu Ki Vida
बहू की विदा समरी bahu ki vida summary bahu ki vida vinod rastogi विनोद रस्तोगी का परिचय ekanki sanchay guide बहू की विदा के लेखक एकांकी संचय vinod rastogi hindi writer bahu ki vida by vinod rastogi summary vinod rastogi bahu ki vida summary in hindi bahu ki vida ekanki sanchay summary
https://i.ytimg.com/vi/i2oz9M8Ch4U/hqdefault.jpg
https://i.ytimg.com/vi/i2oz9M8Ch4U/default.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2017/07/bahu-ki-vida.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2017/07/bahu-ki-vida.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका