भीष्म साहनी

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भीष्म साहनी , आधुनिक गद्य साहित्य के प्रमुख स्तम्भ है। इनका जन्म सन १९१५ में रावलपिंडी (जो अब पाकिस्तान में है )में हुआ था। प्रसिद्ध फ़...


भीष्म साहनी, आधुनिक गद्य साहित्य के प्रमुख स्तम्भ है। इनका जन्म सन १९१५ में रावलपिंडी (जो अब पाकिस्तान में है )में हुआ था। प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता बलराज साहनी इनके भाई थे तथा इनके पिता अपने समय के प्रसिद्ध समाज -सेवी थे। पिता के व्यक्तित्व की छाप भीष्म पर भी पड़ी । इनकी अध्ययन में भी बड़ी रूचि थी। इन्होने गवर्मेंट कॉलेज ,लाहौर से अंग्रेजी विषय में एम्.ए.की परीक्षा पास की । पंजाब यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी.की उपाधि प्राप्त की । विभाजन के बाद इन्होने दिल्ली में अंग्रेजी के प्राध्यापक पद पर कार्य किया । सन १९५७ से १९६३ तक इन्होने मास्को के विदेशी भाषागृह में अनुवादक के रूप में काम किया और टालस्टॉ ,आस्ट्रोवस्की आदि की रचनाओं के अनुवाद किए । १९६५ से लेकर १९६७ तक उन्होंने नई कहानियाँ नामक पत्रिका का संपादन किया । वे प्रगतिशील लेखक संघ एवं अफ्रो -एशियाई लेखक संघ से भी जुड़े रहे। सन १९९३ से लेकर १९९७ तक वे साहित्य अकादमी के कार्यकारी समिति से सदस्य रहे। १ अगस्त सन २००३ को इनकी मृत्यु हो गई ।
भीष्म साहनी को प्रेमचंद की परम्परा का लेखक माना जाता है । नई कहानी में सामाजिक यथार्थ एवं वस्तुपरकता की दृष्टि से भीष्म जी कहानियाँ महत्वपूर्ण है। इनका साहित्य जीवन से सीधे तौर पर जुड़े साहित्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। खुली और फैली हुई जिंदगी को उन्होंने पूरी जीवन्तता और गतिमयता के साथ अंकित किया है। मानवीय मूल्यों के वे बड़े हिमायती थे,उन्होंने विचारधारा को अपने साहित्य पर कभी हावी नही होने दिया। वामपंथी विचारधारा के साथ जुड़े होने के साथ वे मानवीय मूल्यों को कभी ओझल नही होने देते । इस बात का उदाहरण उनके प्रसिद्ध उपन्यास 'तमस' से लिया जा सकता है। इस उपन्यास में वे सांप्रदायिकता के मूल उत्स की खोज करते है और उसके विकास की स्थितियों को बहुत बारीकी से विश्लेषित करते है। तमस उपन्यास के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार सन १९७५ में मिला ।
भीष्म साहनी का गद्य एक ऐसे गद्य का उदाहरण हमारे सामने प्रस्तुत करता है जो जीवन के गद्य का एक ख़ास रंग और चमक लिए हुए है। उसकी शक्ति के स्रोत काव्य के उपकरणों से अधिक जीवन की जड़ों तक उनकी गहरी पहुँच है। भीष्म को कहीं भी भाषा को गढ़ने की जरुरत नही होती । सुडौल और खूब पक्की ईट की खनक ही उनके गद्य की एकमात्र पहचान है। साधारण एवं व्यंगात्मक शैली का प्रयोग कर इन्होने अपनी रचनाओं को जन-मानस के निकट पहुँचा दिया।

रचना कर्म :
कहानी संग्रह : भाग्य रेखा ,पहला पाठ ,भटकती राख,शोभायात्रा ,निशाचर ,पटरियाँ आदि।
उपन्यास : झरोखे ,कडियाँ ,तमस ,बसंती आदि। तमस पर इन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार (१९७५ ) भी मिल चुका है।

COMMENTS

Leave a Reply: 8
  1. भीष्म साहनी जी के जीवन का एक पक्ष और वे एक अभिनेता भी य्हे उन्होने फिल्म मोहन जोशी हाज़िर हो " मे अभिनय भी किया था ।तमस के लिये तो वे जाने ही जाते हैं ।

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  2. achcha laga

    jankari achchi lagi

    gagar men sagar ki shaili ,veri good...

    thanx...

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  3. बहुत अच्छा किया भीष्म जी के बारे में लिख कर.

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  4. vishma sahani jivan darshan samaj sambandhi yatharthbadi sahityakar hai..jinhone apni lekhani ke madhyam se tatkalin dasha se sakshatakar karwata hai.....aapka lekh aatayanya sarahniya hai aur saath hi web ki duniya me ek sahi disha........dhanyabad

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  5. mujhe diyi hui jankari achi lagi
    lekin mujhe aur jankari chahiye

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  6. mujhe ye jankari achi lagi
    lekin mujhe sri bhishm sahni ke bre me aur jankari chahiye

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