tag:blogger.com,1999:blog-6755820785026826471.post2643196100419374077..comments2024-03-29T10:40:26.662+05:30Comments on हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: रागदरबारी उपन्यासHindikunjhttp://www.blogger.com/profile/17430170217452544378noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6755820785026826471.post-81572906613144311512018-06-17T11:48:21.866+05:302018-06-17T11:48:21.866+05:30राग दरबारी, श्रीलाल शुक्ल जी ने गांव की राजनिति, प...राग दरबारी, श्रीलाल शुक्ल जी ने गांव की राजनिति, परिवेश और भाषा का बहुत ही सुन्दर तरीके से लिखा है.... ऐसे उपन्यास अतीत में ले जाने में और फिर से उन्हें मन में जीवन्त करने की ताकत रखते हैं Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05807422788370202413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6755820785026826471.post-71520500567800856322018-06-17T11:47:21.825+05:302018-06-17T11:47:21.825+05:30राग दरबारी, श्रीलाल शुक्ल जी ने गांव की राजनिति, प...राग दरबारी, श्रीलाल शुक्ल जी ने गांव की राजनिति, परिवेश और भाषा का बहुत ही सुन्दर तरीके से लिखा है.... ऐसे उपन्यास अतीत में ले जाने में और फिर से उन्हें मन में जीवन्त करने की ताकत रखते हैं Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05807422788370202413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6755820785026826471.post-14842122439829133722014-11-26T20:54:20.187+05:302014-11-26T20:54:20.187+05:30दूर दरसन निकट भया, घर भीतर दे गार ।
ताते तो सुनहा...दूर दरसन निकट भया, घर भीतर दे गार । <br />ताते तो सुनहा भला, भूँके बैठ द्वार ।२०६१ । <br />भावार्थ : -- पहले दूरदर्सन दूरदर्शी था अच्छी अच्छी बातें बताता था अब तो यह अश्लिल दर्शन हो कर घर के भीतर ही दुर्वादन करता है, इससे तो कुत्ता ही भला है जो घर के बहार बैठ कर तो भूँकता है ॥ Neetu Singhalhttps://www.blogger.com/profile/14843330374912315760noreply@blogger.com