tag:blogger.com,1999:blog-6755820785026826471.post1864629659454663486..comments2024-03-29T10:40:26.662+05:30Comments on हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: घर के पिछवाड़े खेतीबाड़ी/विचार मंथनHindikunjhttp://www.blogger.com/profile/17430170217452544378noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6755820785026826471.post-38675570340947612932011-03-12T17:43:38.208+05:302011-03-12T17:43:38.208+05:30मनोज सुपुत्र
आशीर्वाद
लेख अच्छा लगा
इन्ही...मनोज सुपुत्र <br /> आशीर्वाद <br /> लेख अच्छा लगा <br /> इन्ही ताजा घर की उगी सब्जियों को तरसते हैं अमेरिका मेंगुड्डोदादीhttps://www.blogger.com/profile/10381007322183223193noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6755820785026826471.post-43305106309719656282011-03-10T13:39:32.881+05:302011-03-10T13:39:32.881+05:30जब वैश्वीकरण के चक्कर में दुनिया ही समतल हो गई (बस...जब वैश्वीकरण के चक्कर में दुनिया ही समतल हो गई (बस अमेरिकी संस्कृति, खान पान, फिल्में, आदि ही श्रेष्ठ हैं) तो घर द्वार, बाग बगीचे क्यूँ न समतल हों। यह भी उसी समतल आग्रही वैश्वीकरण की ही दें हैं और आधुनिकता की हमारी परिभाषा भी आयातित ही है।Anonymousnoreply@blogger.com