जब मेरी बेटी की बारी आई तो वह बड़े आत्मविश्वास से टेबिल पर पहुंची मेरी सांसे रुकी हुई थी ब्लड प्रेशर बढ़ गया था। अभिवादन के साथ उसका साक्षात्कार शुरू हुआ टेंशन के कारण मैं पसीने में सरोबोर था ऐसा लग रहा था कि मेरा इंटरव्यू हो रहा था। मेरी बेटी ने 10 मिनिट तक तो उनके सवालों के जबाब दिए फिर अचानक एक सवाल पर उन सबके बीच मे डिस्कशन शुरू हो गया।
यस आई विल
Yes I Will
कानपुर आई आई टी का लेक्चर हाल था। एम टेक के एडमिशन के साक्षात्कार चल रहे थे।लेक्चर हाल के सामने एक डाइस था जिस पर अलग अलग ब्रांच के लिए टेबिल लगी थी सामने एक विशालकाय स्क्रीन था जिस पर पारदर्शी तरीके से सबके सामने इंटरव्यू चल रहा था।
मेरी बेटी बहुत निश्चिंत थी उसमें आत्मविश्वास था कि उसका सिलेक्शन होगा लेकिन मेरा टेंशन के मारे बुरा हाल था ए सी में भी पसीना आ रहा था।
*पापा बहुत जबरदस्ती टेंशन मत लो मेरा होगा ये पक्का है* उसने बड़े आत्मविश्वास से कहा ।
"लेकिन चार सौ बच्चे है तुम से भी रेंक में आगे मुझे तो घबड़ाहट हो रही है।"मेरी आदत थी कि ऐसे अवसर पर मुझ पर नकारत्मकता असर करने लगती है।
"नही पापा आप मत टेंशन लो मेरा सिलेक्शन होगा " उसने फिर आत्मविश्वास से मेरा मनोबल बढ़ाया।
उस इंटरव्यू में अभियांत्रिकी के देश भर के विशेषज्ञ बैठे थे वो प्रतिभागी छात्रों को बहुत शालीन किन्तु कठोर तरीके से जांच रहे थे और इंटरव्यू में जम कर खिंचाई हो रही थी।चूंकि मुझे सब्जेक्ट से संबंधित सवाल समझ मे नही आ रहे थे किंतु प्रतिभागियों के चेहरे के तनाव से हर चीज समझ मे आ रही थी कि क्या हो रहा है।
जब मेरी बेटी की बारी आई तो वह बड़े आत्मविश्वास से टेबिल पर पहुंची मेरी सांसे रुकी हुई थी ब्लड प्रेशर बढ़ गया था।
अभिवादन के साथ उसका साक्षात्कार शुरू हुआ टेंशन के कारण मैं पसीने में सरोबोर था ऐसा लग रहा था कि मेरा इंटरव्यू हो रहा था।
मेरी बेटी ने 10 मिनिट तक तो उनके सवालों के जबाब दिए फिर
अचानक एक सवाल पर उन सबके बीच मे डिस्कशन शुरू हो गया।
साक्षात्कार में बैठे सभी लोग एकमत से उस प्रश्न के उत्तर से सहमत नही दिखे लेकिन मेरी बेटी उस उत्तर पर अडिग रही उसने अपने पक्ष में बहुत दलीलें दी लेकिन साक्षात्कार पैनल उनसे संतुष्ट नही दिखी।
जो मुख्य साक्षात्कार कर्ता थे उन्होंने आखिरी में कहा "आई एम नॉट स्योर यु विल एबल टू गेट दिस सीट"।
मेरी बेटी ने बहुत शांत स्वर में सिर्फ दो शब्द कहे
"सर आई विल"
मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि आखिर उसने इतने विद्वानों से बहस क्यों कि मैंने उसे बाहर आ कर बहुत डांटा "तुम आखिर अपने आप को तोप चंद समझती हो क्या जरूरत थी उन विद्वानों से बहस करने की अब हो गया एडमिशन हाथ से खो दी सीट"
मैं बहुत गुस्से में था।
"पापा मैं सही थी इसलिये अपनी बात उन्हें समझाने की कोशिश कर रही थी आपने ही कहा था कि अगर तुम सही हो तो उस पर अडिग रहो और आप टेंशन मत लो मेरा एडमिशन होगा"
उसने पूरे आत्मविश्वास से कहा।
"क्या खाक होगा जब विभागाध्यक्ष ने ही बोल दिया तुम्हे ये सीट नही मिलेगी।" मैंने टूटे स्वर में कहा।
अगले ही दिन आई आई टी कानपुर से ईमेल आया "वेलकम टू आई आई टी कानपुर यु आर सिलेक्टेड फ़ॉर एम टेक इन सिग्नल प्रोसेसिंग कोर ब्रांच प्लीज पे द फीस।"
- सुशील शर्मा
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