भारत में गरीबी
Poverty in India in Hindi
यदि हम भारत में किसी महानगर में जैसे दिल्ली ,कोल्कता ,मुम्बई ,पुणे ,बंगलुरु या कानपुर आदि तो हम वहां गगनचुंबी इमारते ,बड़ी बड़ी सड़कें ,भरी यातायात और चमकती दुकाने आदि पायेंगें ,लेकिन यदि थोड़ी गहराई से देखा जाय तो पायेंगे की बड़ी संख्या में भिखारी और झुग्गी झोपड़ी वाले बस्तियां भी खूब मिल जायेगी .
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भारत में गरीबी |
अधिकांश किसानों के पास अत्यंत छोटे भूखंड या खेत होते हैं और उनके परिवार इतने बड़े होते हैं कि वे पेटभर भोजन का जुगाड़ भी नहीं कर पाते हैं . अतः वे विकास और प्रगति की किसी गुंजाइश के बिना पिछड़े और गरीब ही बने रहते हैं . उनके बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं और खेतों में मजदूर के तौर पर काम करते हैं .यह दुर्दशा का कभी न ख़त्म होने वाला दुष्चक्र है .
भारत में गरीबी का सबसे दारुण स्वरूप फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों और रद्दी बीनने वालों की ज़िन्दगी में देखा जा सकता हैं . ये बच्चे अनाथ होते हैं और इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता है . वे गली कुचे में रहते हैं ,फुटपाथों पर सोते हैं और भीख माँगकर अथवा चोरी करके अपना गुज़ारा करते हैं .रद्दी बीनने वाले तो संभवतः सबसे गन्दा काम करते हैं .वे कचरे के डिब्बों से छोटी मोटी चीजें दूंधकर निकलते हैं .
ऐसे हालात में सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि भारत के स्वतंत्रता के ७० वार्स से ज्यादा वर्ष बीत चुके हैं किन्तु इन लोगों के जीवन में कोई बदलाव या परिवर्तन नहीं आया है और वे अमानवीय स्थितियों में जीने के लिए अभिशप्त हैं .दूसरी ओर आमिर लोग दिनोंदिन और अमीर होते जा रहे हैं और विलासिता से भरपूर जीवन जी रहे हैं और अनाप - शानाप खर्च कर रहे हैं . हम प्रगति का दावा तो करते हैं किन्तु क्या हम सचमुच में प्रगति या विकास का अर्थ जानते हैं ? इस प्रश्न का उत्तर आज की सरकारों और पढ़े लिखे लोगों को खोजना होगा .
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