सामाजिक बदलाव

SHARE:

आधुनिकता की दौड़ में चारित्रिक पतन होता जा रहा है। और दिलों की दूरियां बढ़ती जा रही हैं। आधुनिकता की दौड़ में लोगों को लगता है। कि WhatsApp पर मैसेज भेज कर हम अपना फर्ज पूरा कर रहे हैं। कुछ बचा हुआ वक़्त फ़ेसबुक पर एवम ईमेल पर बिताते हैं। अब इस्टाग्राम भी आ गया है। उस पर अपना वक़्त बिताते हैं। शायद वह भूल रहे हैं।

मौलिकता और समाज में बदलाव

खो गई मौलिकता खो गए संस्कार। इस तरह के भाव सबके मन में आने लगे हैं। चारों तरफ अब इसी तरह की
मौलिकता और समाज में बदलाव
चर्चाएं  आम हो रही हैं। क्या यह सब दूसरों पर ही निर्भर करता है। क्या यहां अपना कोई रोल नहीं है। अगर है ,तो इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। हमारा स्वाभाव ऐसा हो गया है , कि एक दूसरे पर कीचड़ उछालने को तैयार रहते हैं।  आज के बदलते बदलाव में भी एक बड़ा सवाल है।  जिसका जवाब ढूंढना हम सबका ही दायित्व बनता है।  इस परिपेक्ष में गेंद को दूसरे के पाले में फेंकने से कोई लाभ न होगा।  हमें चाहिए कि वक्त रहते अपने आप को सही परिपेक्ष में खुद को बदल डाले और बदलाव इस तरह  होना चाहिए कि जो समाज में एक सकारात्मक सोच उत्पन्न करे। अगर ऐसा हो रहा है, तो हम समझेंगे बदलाव हो रहा है।  सामाजिक तौर पर यह भी संभव न होगा कि पड़ोसी तो बदल जाए। पर हम जैसे के तैसे रहें।  यह भी पूरी तरह से संभावना होगी कि हमें तो इस सब की शुरुआत खुद से ही करनी होगी।
इस  तरह से हम बदलते समाज में बदलाव अपने आप आने लगेगा। हम सभी को अपने कार्यों के प्रति भी वचनबद्ध होना होगा। तथा अपना बहुमूल्य समय समाज के उत्थान की दिशा में लगाना होगा। जितना हम बदलेंगे समाज भी उसी अनुसार बदलता चला जाएगा। बदलाव से मेरा मतलब सिर्फ इतना है कि जहां बदलाव जरूरी है।  वहां बदलाव करना जरूरी है। लोगों में इस तरह की जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।  अगर बदलाव की भावना को सिर्फ हम दूसरों पर थोपना चाहते हैं। विचारों तथा बोलने की बातें सिर्फ बोलने पर भर के लिए हैं।  तो  समाज में बदलाव की आशा हमें छोड़ देनी चाहिए।  लोग कहते हैं कि बड़े-बड़े लोगों ने विचार दिए, तो उन्होंने अपने ऊपर होने वाले असर को भी महसूस किया है। तभी ये विचार हमारे बीच में आए हैं। लेकिन आज के वक्त में हर कोई ऐसे बदलाव महसूस कर रहे हैं।  शायद आप भी कर रहे होंगे कि कुछ लोगों ने बड़े-बड़े विचारों को बोलने के लिए कागज पर उतर लिया है , लेकिन हकीकत में देखा जाए तो वह लोग उन विचारों के आसपास भी नजर नहीं आते।  इन लोगों ने विचारों को बोलने भर के लिए अपनी जेब में रखा है।  इस तरह के लोग भी समाज के में  कोई बदलाव नहीं ला सकते। हमें तो केवल बोलने भर  से मतलब है।  
अगर हकीकत में सोचें कि बदलाव समाज पर आता है।  तो हम सबको चाहिए पहले खुद में बदलाव लाएं  और उसके परिणाम संदर्भ के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत करें। लोग इस तरह के विचारों को हाथों-हाथ लेंगे।  जिनसे परिणाम साक्षात रुप में प्रस्तुत किए गए हो उदाहरण भी ऐसे हो जो हम लोगों में से हों। जो दिखें  नजर आए भी अपने देश या प्रदेश के हों।  अपने देश का या प्रदेश में प्रस्तुत करें।  फिर देखो बदलाव कैसे नहीं होता।  मौलिकता और संस्कार के लिए कोई कैप्सूल नहीं है।  जिसे खिलाया जाए और उसके परिणाम दिखने लगें , क्योंकि हमारे बीच में से ही कुछ लोगों को बदलना होगा फिर देखिए बदलाव इतनी तेजी से होगा। कि हम उस की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।  जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं।  हम उस दिन अमुक समय पर अगर भूकंप आता है।  तो सबको पता लग जाता है। क्योंकि उस भूकंप को हर कोई महसूस करता है। तथा जब भी भूकंप आता है।  तो उसका परिणाम हमें अगर पंखा बंद है। तो हिलने लगता है, हमारा सोने का पलंग भी कम्पन्न करने लग जाता है। अगर भूकंप की तीव्रता अधिक होती है। तो उसके परिणाम सबसे पहले कमजोर दीवारों पर प्लास्टर क्रेक होकर दिखने लगता है।  कमजोर इमारतें तथा पुल धरासायी  हो जाते हैं।  चलती हुई  कार अचानक दिशा बदलने लगती है।  भूकंप का डर हमारे अंदर घर करने लगता है। कुछ जगह पर तो भगदड़ मच जाती है।  लोग खाली स्थान पर या पार्क में एकत्र होने लगते हैं। यानी जान पर बन आती है। उस समय जिसकी समझ में जो आता है। करता है।  न जाने कितनी जान और माल की हानि होती है।  इसी तरह से अच्छे विचार अपनाएँ जाएं तो उनसे उत्पन्न होने वाले परिणाम भी बहुत सुखद होंगे।  मौलिकता तथा संस्कार कब पनपना अपने आप शुरू हो जाएगा।  ये खुद को भी पता न लगेगा। फिल्में भी हमारे समाज का आईना होती हैं।  या अच्छी फिल्में अच्छा परिणाम समाज में डालते हैं। वह सारे लोग अपने-अपने हीरो के फॉलोवर   होते हैं।  जैसा हीरो  करेगा।  फॉलोवर  भी वैसा ही करते हैं। परिणाम स्वरुप हमें समाज बदलता नजर आएगा।  और समाज एक नया आकार लेगा। 
संयुक्त परिवार  से ये  सब सीखने को मिलता था। तथा पीढ़ी दर पीढ़ी एक दूसरे के गुण दूसरी पीढ़ी में जा रहे थे।  जिससे सामाजिक बंधन बहुत ही मजबूत रहता था। लेकिन आज हम क्या देख रहे हैं।  कि दिन प्रतिदिन ऐसे संयुक्त परिवार की नींव कमजोर होती जा रही है। आजकल फ्लैट कल्चर शहरों में बढ़ता जा रहा है। जिसे हम एकल परिवार भी कहते हैं।  जहां पर किसी की मर्यादा और पहनाव की रोक-टोक सब बंद हो चुकी है। समाज
कमलेश संजीदा
में वस्त्रों के नाम पर नया फैशन का चलन हो चुका है। वस्त्र इस तरह के आ चुके हैं कि जिनकी व्याख्या करना भी  शायद उपयुक्त न होगा। शारीरिक प्रदर्शन शुरू हो चुका है। शरीर को दिखाना एक फैशन बन चुका है।
महिलाओं में तो कपड़े और भी कम होते जा रहे हैं। जिसका फर्क हम सब लोगों के दिमाग पर भी पड़ रहा है।  और एक तरह से नई विकृति को जन्म देता है।  सुंदर दिखना अलग है।  लेकिन सुंदर दिखाना खुद को आना है।   जिसका परिणाम होता है।  कि आए दिन हमारे आस पास बहुत सारी ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।  जिनके बारे में हम सोचते भी नहीं हैं।  हमारे दिमाग में विकृति आने लगी है।  और संस्कार विलुप्त होने लगे हैं। लोग भी  विक्षिप्त होने लगे। तथा आपस की  बंधन भावनाओं को भूलते जा रहे हैं। अगर रिश्ते नाते जैसी दूरियों से मुक्त होते जा रहे हैं।  हम एक दूसरे के एहसासों से वंचित होते जा रहे हैं। रिश्ते कैसे जिए जाए सब भूलते जा रहे हैं। कौन हमारा क्या लगता है।  किसके  साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।  यह बातें भी कोई सिखाने वाला नहीं हैं। रिश्तों की अहमियत  उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाये या कैसा करना चाहिए।  .
घर से बाहर जाओ तो कुछ दोस्त और घर आओ तो किसी को भी बात करने की फुरसत नहीं है। टीo वीo भी आज के वक्त में एक बीमारी सी बन चुकी है। घर में घुसे नहीं की  टीo वीo देखना शुरू हो गए। टीo वीo से हटे तो लैपटॉप पर लग गए। और लैपटॉप से हटे तो मोबाइल फोन पर लग गए। आसपास कुछ लोग बैठे भी हों तो भी एक दूसरे से न तो बातें करते हैं। न ही  कोई एक दूसरे में  इंटरेस्ट लेता है। रही बची कसर WhatsApp ने पूरी कर दी है।  लोग पूरे -पूरे दिन WhatsApp पर लगे रहते हैं।  और अपने दिल की बातें, वीडियो , मैसेज  तथा फोटो क्या -क्या आपस में भेजते रहते  हैं।  दिनभर मैसेज पर मैसेज भेजते रहते हैं।  और उनके मैसेज पढ़ते रहते हैं। अगर वही लोग सामने आ जाएं तो उनके साथ वह बातें भी नहीं करते।  क्या जमाना आ गया है। इसी तरह से अपने समय को हर कोई बरबाद करने में लगे हुए हैं।  किस रिश्ते को कैसे जिया जाए, यह सब कहानियाँ  जैसी होती जा रहीं हैं।  एक दूसरे से मिलना जुलना भी कम हो गया है।

भारतीय दंड संहिता में कहा गया है कि IPC Section 497 states, "Whoever has sexual intercourse with a person who is and whom he knows or has reason to believe to be the wife of another man, sex without the consent or connivance of that man, such sexual intercourse not amounting to the offence of rape, is guilty of the offence of adultery."
आधुनिकता की दौड़ में चारित्रिक  पतन होता जा रहा है। और दिलों की दूरियां बढ़ती जा रही हैं। आधुनिकता की दौड़ में लोगों को  लगता है।  कि WhatsApp पर मैसेज भेज कर हम अपना फर्ज पूरा कर रहे हैं। कुछ  बचा  हुआ वक़्त फ़ेसबुक पर एवम ईमेल पर बिताते हैं।  अब इस्टाग्राम भी आ गया है।  उस पर अपना वक़्त बिताते हैं। शायद वह भूल रहे हैं।  जो आत्मीयता  सामने दिखाई जा सकती हैं। वह मैसेज के सहारे नहीं दिखाई जा सकती। आप अपने आप में परिवर्तन लाइए और अपने परिवार और रिश्तेदारों की तरफ ध्यान दीजिए। अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित दीजिए। अपने समाज पर ध्यान दीजिए। और अपना सामाजिक , मानसिक ,स्वस्थिक पूर्ण विकास कीजिए।  तभी आप एक जिम्मेदार नागरिक बन सकते हैं। और देश के उत्थान में अपना विशेष सहयोग दे सकते हैं वरना समाज में विकृति पर विकृति होती चली जाएंगी। और हम गलतियां एक दूसरे पर मढ़ते चले जाएंगे।  जिसका भविष्य में कोई भी परिणाम नजर नहीं आएगा और हमारे रिश्ते हमारा समाज सब बिगड़ता चला जाएगा।  जब तक हम अपने अंदर झाँक कर नहीं देखेंगे। कि हम क्या कर रहे हैं। तब तक हम को पता ही नहीं लगेगा।  कि हम किस रास्ते पर जा रहे हैं।  और  क्या कर रहे हैं।  किस संस्कृति को अपना रहे हैं। हम जिस संस्कृति की ओर बढ़ रहे हैं। 
जिस संस्कृति की हम बात कर रहे हैं। यह हमारी संस्कृति नहीं है। यह विदेशी संस्कृति है।  और इससे हमारा कोई विकास नहीं हो सकता और हकीकत में देखा जाए।  तो इससे हमारा कोई सरोकार नहीं है। अब हमें चाहिए कि हम अपने से बड़ों का आदर करें।  अपने से बड़ों को सम्मान दें। अपने से बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लें। चोटों को प्यार करें। तभी हम अपनी संस्कृति को समर्पित हो सकते हैं।  और इस समाज में भविष्य में बदलाव को अंगीकृत कर सकते हैं।  वरना वह दिन दूर नहीं कि हमारे बच्चे भी हमें पहचानने से इंकार करेंगे।  और हम अपनी पहचान बताने के लिए उनके सामने नए-नए प्रमाण  या पुराने प्रमाण फोटो के रूप में वीडियो के रूप में ऑडियो के रूप में उनके सामने प्रस्तुत करना होगा।  तब वे  जाकर कहीं हमें पहचानेंगे और पहचानने के बाद भी हमें वह  सम्मान नहीं मिलेगा। 
अगर हमें सामाजिक दृष्टि से अपने समाज को बचाना है। अपने आप को बचाना है। तो क्या सही है।  क्या गलत है।  इस सब का विचार करके ही आगे बढ़ना चाहिए।  और विचारों को फॉलो करना चाहिए।  वरना हम जिस रास्ते पर जा रहे हैं। ऐसी जगह पर पहुंच जाएंगे।  जहां से लौटकर आना हमारे लिए नामुमकिन होगा। अगर हम सामाजिक वैल्यू की बात करते हैं।  तो सामाजिक वैल्यू हमारे चाल चलन पर ही डिपेंड करते हैं। जिस तरह से हम व्यवहार करेंगे। उसी तरह से हमें इस समाज से व्यवहार मिलेगा। जिस तरह से हम समाज को देखेंगे समाज भी हमें उसी तरह से देखेगा।  और उसी तरह से सम्मान देगा। अगर हम सम्मान देंगे।  तो हमें अपने आप ही सम्मान मिलेगा।  अगर हम किसी की बेइज्जती करेंगे।  सबके सामने दिखाएंगे। तो बदले   में वही हमें मिलेगा।  जो हम समाज को देंगे।  वही बदले में हमें मिलेगा। अगर हमने  अपने आप को नहीं बदला , तो शायद बहुत देर हो जाएगी। और हमारे लिए हमारी संस्कृति वापस पाना भी बहुत मुश्किल हो जाएगा।


- कमलेश संजीदा उर्फ़ कमलेश कुमार गौतम 
गाज़ियाबाद,उत्तर प्रदेश
Email. kavikamleshsanjida@gmail.com

COMMENTS

Leave a Reply: 4
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,34,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",6,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,17,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,15,कमलेश्वर,6,कविता,1408,कहानी लेखन हिंदी,13,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,4,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",14,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,2,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,29,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,68,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,4,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,25,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,23,नाटक,1,निराला,35,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,38,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,174,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,133,प्रयोजनमूलक हिंदी,21,प्रेमचंद,39,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,3,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,5,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,6,भक्ति साहित्य,138,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,4,महादेवी वर्मा,18,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,10,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,11,यशपाल,13,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,5,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,1,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,117,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,33,विद्यापति,6,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,52,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,28,सआदत हसन मंटो,9,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,221,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,17,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,69,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",9,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,20,सूरदास,15,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,343,हिंदी लेख,504,हिंदी व्यंग्य लेख,3,हिंदी समाचार,164,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,85,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,18,hindi essay,335,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,94,hindi stories,656,hindi-kavita-ki-vyakhya,15,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,13,kavyagat-visheshta,22,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,9,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,32,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: सामाजिक बदलाव
सामाजिक बदलाव
आधुनिकता की दौड़ में चारित्रिक पतन होता जा रहा है। और दिलों की दूरियां बढ़ती जा रही हैं। आधुनिकता की दौड़ में लोगों को लगता है। कि WhatsApp पर मैसेज भेज कर हम अपना फर्ज पूरा कर रहे हैं। कुछ बचा हुआ वक़्त फ़ेसबुक पर एवम ईमेल पर बिताते हैं। अब इस्टाग्राम भी आ गया है। उस पर अपना वक़्त बिताते हैं। शायद वह भूल रहे हैं।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgmDTVn2U0uDtfE8Wt7cuTiXwjDXLKM-8_KOKzdVqCeDvRul1PGTpmvB4KiOBdKuka-85FqaYs-S4wlh-b_rxoN6-rb6OxD3EM0g72BHkCEKlISPgnSpyShkv5wUqWkNl776NKHH6Pslgc3/s320/Self-Esteem-quotes-on-Building-Confidence-770x492.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgmDTVn2U0uDtfE8Wt7cuTiXwjDXLKM-8_KOKzdVqCeDvRul1PGTpmvB4KiOBdKuka-85FqaYs-S4wlh-b_rxoN6-rb6OxD3EM0g72BHkCEKlISPgnSpyShkv5wUqWkNl776NKHH6Pslgc3/s72-c/Self-Esteem-quotes-on-Building-Confidence-770x492.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2018/02/samaj-maulikta.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2018/02/samaj-maulikta.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका