प्रकृति
यह वृक्ष हमें देते जीवन इनको ऐसे ना काटो तुमतुम कद्र करो इन वृक्षो की इनकी आवश्यकताओ को पहचानो तुम
अगर नहीं रहेंगे यह सब तो तुम चारों ओरो को भागोगे
इतने व्याकुल हो जाओगे अपने ही प्राणो को भी त्यागोगे
क्या नहीं चाहते तुम कि इस दुनिया का कल्याण हो
इस प्रकृति में जन्म लिया इन बातों का तुम्हें ध्यान हो
अपने पूरे जीवन काल में तुम्हें इतने वृक्ष लगाना है
इस दूषित हो चुकी प्रकृति को तुम्हें फिर से स्वच्छ बनाना है
यह सोच ना हो मुझ में केवल यह सोच हर व्यक्ति की
वह स्वच्छ प्रकृति कितनी सुंदर कितनी मनमोहक लगती थी
हर ओर थे वृक्ष लहलहाते खेत खलिहान थे
हर और चिड़िया चहचहाती वह बड़े-बड़े बागान थे
अब देखो किसी भी और बस प्रदूषण ही दिखता है
यह अस्वस्थ करने वाला भोजन हर चौराहे पर बिकता है
क्या चाहते हो तुम भी कि सुबह-सुबह फूलों की खुशबू घर आंगन को महकाए
वह विलुप्त हो चुकी चिड़िया फिर पेड़ों पर चहचाहे
तुम कर सकते हो इसको संभव अपनी क्षमता पर अभिमान करो
एक दूसरे का हाथ थाम कर इस प्रकृति का अवधान करो
तुम हरा-भरा कर दो इस प्रकृति को बस यह एक कार्य महान करो
तुम प्रदूषण को ना फैलाओ इस प्रकृति पर अवलेप करो
आज ही बढो लक्ष्य की ओर,एक कदम स्वच्छ की ओर
- राजकुमार पटेल
राजकुमार पटेल जी आपकी प्रकृति यह रचना बड़ी अच्छी हैं, प्रकृति हमें बहुत कुछ देती हैं वो भी निस्वार्थ भाव से हमें भी उस प्रकृति का संरक्षण करना चाहियें.
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