नाटकों का तुलनात्मक अध्ययन

SHARE:

डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल एक सक्रिय नाटककार, अनुभवी निर्देशक, लोकप्रिय अभिनेता और एक कुशल रंगशिल्पी के रूप में लगभग तीन दशकों तक रंगमंच के माध्यम से हिन्दी रंग जगत के सामने आते रहे है|

डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल और डॉ. शंकर शेष के नाटकों का तुलनात्मक अध्ययन 

डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल एक सक्रिय नाटककार, अनुभवी निर्देशक, लोकप्रिय अभिनेता और एक कुशल रंगशिल्पी के रूप में लगभग तीन दशकों तक रंगमंच के माध्यम से हिन्दी रंग जगत के सामने आते रहे है| "एक कुशल नाट्य-शिल्पी और रंगचेतना निर्देशक के रूप में उनके नाटक "मादा कैक्टस", "रातरानी", "कंलकी" और "कफ़र्यु" जैसे गंभीर और विचारोत्तेजक नाटकों में नाटक के स्वरूप, उसके रूपबंध और दृश्यबंध, नाटक की रंगदृष्टि और शील तथा विशेषकर शैलियों व रंगान्वेष्ण के साथ ही रंगकर्म की पूरी समझ को विक्सित करने का प्रयास भी है|"1
डॉ. लाल की भांति डॉ. शेष भी समकालीन प्रयोगधर्मी नाटककारों में अपना विशिष्ट स्थान रखते है| उनके नाटकों में भी युगीन संदर्भों का सार्थक प्रयोग हुआ है| मिथकीय संदर्भों से जुड़े शंकर शेष के नाटकों में युगीन यथार्थ और
के. महालक्ष्मी
के. महालक्ष्मी
आधुनिक बोध के साथ रंगमंचीय व्यवस्था का चित्रण भी है| शेष जी की दृष्टी में से रंगमंच निर्माण की प्रक्रिया एक संस्कार था|
डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल अपने नाटकों में नए भी है, पुराने भी| उनके नाटकों में परम्परा और परिवेश की अभिव्यक्ति भी है| उनके नाटक सामाजिक और वैयक्तिक दोनों ही प्रकार की समस्याओं का यथार्थ चित्रण करते हैं| 
एक ओर डॉ. लाल अपने नाटकों के माध्यम से प्रमुखता प्रधान की है, तो दूसरी ओर उन्होंने ग्रामीण परिवेश की समस्याओं को भी अपने नाटकों का विषय बनाया है| ग्रामीण जीवन की विभिन्न विसंगतियों पर आधारित उनका नाटक "अंधाकुआँ" है| "अंधाकुआँ" की परम्परा में "सूखा सरोवर", "कलंकी", "रक्तकमल", "नरसिंह कथा", "संस्कार ध्वज", "पंचपुरुष", "चतुर्भुज राक्षस", "एक सत्यहरिश्चंद्र", "गंगामाटी", "सगुन पंछी", "राम की लड़ाई" और "कजरीवन" नाटक आते हैं| वहीँ महानगरीय जीवन की विभिन्न विसंगतियों पर आधारित उनका "मादा कैक्ट्स" और उसकी परम्परा में "सुन्दर रस", "दर्पण", "रातरानी", "मिस्टर अभिमन्यु", "अब्दुल्ला दीवाना", "कर्फ्यू", "व्यक्तिगत", "सबरंग मोहभंग" जैसे नाटक आते हैं|
डॉ. लाल के नाटकों को मुख्यत: दो धाराओं में विभाजित किया जा सकता है- समसामयिक चिन्ताओं की अभिव्यक्ति और स्त्री-पुरुष संबंधों का अन्वेषण | सम-सामयिक चिंता के कई धरातल है, जैसे व्यक्तिगत, सामाजिक, नैतिक, आर्थिक, जाती-वर्ग-वर्ण, पूँजीवादी-समाजवादी संघर्ष आदि विषयों से संबंध्| डॉ. लाल के नाटकों में नारी घर की शोभा ही नहीं, उसका मूलाधार है| नर-नारी के पारंपरिक सहयोग एवं आत्मिक सम्मलेन से ही जीवन रसमय तथा परिपूर्ण होता है| अत: इस प्रकार के विषय मुख्य रूप से डॉ. लाल के नाटकों के कथ्य के विषय रहे है|
डॉ. लाल की भांति डॉ. शेष ने भी अपने नाटकों में परम्पराओं और परिवेश को अभिव्यक्त किया है| लाल ने यूगीन जीवन को उसकी तमाम समस्याओं और विसंगतियों के साथ प्रस्तुत किया है| डॉ. शेष ने भी डॉ. लाल की भांति एक ओर महानगरीय परिवेश की समस्याओं को अपने नाटकों के कथ्य का विषय बनाया है, तो दूसरी ओर ग्रामीण जनता के साथ-साथ आदिम जातियों, शोषित वर्ग व निम्न वर्ग के लिए अपने एशों-आराम भरे जीवन का परित्याग कर उनकी समस्याओं का चित्रण किया है|
उनके "मूर्तिकार", "रत्नगर्भा", "बिन बाती के दीप" नाटक में पारिवारिक समस्या, "नयी सभ्यता: नए नमूने", "तिल का ताड", "बंधन अपने-अपने", "चेहरे", "मूर्तिकार" में वैवाहिक समस्या, "बंधन अपने-अपने", "अरे! मायावी सरोवर" में एकाकीपन, "बाढ़ का पानी में, जातिवाद, "तिल का ताड", "घरौदा में घर का समस्या", "आधी रात के बाद" में पत्रकारों की समस्या, ब्लैक मारकेटिंग, काला पैसा, नकली दवाइयों के व्यापर की समस्या", "रत्नगर्भा", "चेहरे", "कोमल गांधार", "आदि रात के बाद" में जुए-शराब की समस्या", "नए सभ्यता: नए नमूने", "तिल का ताड", "मूर्तिकार", "में बेरोजगारी की समस्या", "एक और द्रोणाचार्य", "बंधन अपने-अपने", "अरे! मायावी सरोवर" में शैक्षणिक भ्रष्टाचार की समस्या, "घरौदा", "आधी रात के बाद" में भवन निर्माताओं द्वारा ठगी की समस्या", "रत्नगर्भा" में सौन्दर्य शक्ति की समस्या, "एक और द्रोणाचार्य", "कालजयी", "कोमल गांधार", "राक्षस" में राजनितिक भ्रष्टाचार, न्याय प्रणाली पर मूल्य निक्षेप का आक्षेप", "बिन बाती के दीप", "बंधन अपने-अपने", "घरौदा", "कोमल गांधार" में निर्मम निष्ठुर महत्वाकांक्षाओं की समस्या तथा "चेहरे" व "रक्तबीज" नाटक में नैतिक मूल्यों के हनन की समस्या आदि समकालीन युग का समूचा परिदृश्य उजागर करती है|
डॉ. शेष के नाटकों को भी मुख्यता: दो धाराओं में विभाजित किया जा सकता है- समसामयिक चिन्ताओं की अभिव्यक्ति और स्त्री-पुरुष संबंधों का अन्वेषण| डॉ. शेष के नाटकों में भी समसामयिक चिन्ता के कई धरातल है, जैसे-महंगाई; भ्रष्टचार, बेरोजगारी, जातिवाद, अवसरवाद, मानव को अपाहिज करने वाली व्यवस्था, मनुष्य का विघटन, स्वार्थपूर्ण राजनीती, समाज से अस्पृश्यता, जाती-वर्ग भेद समाप्त कर गाँधीनादी मूल्यों की स्थापना करना, शाषकों द्वारा शोषितों पर किया जा रहे अत्याचार, मूल्यहीनता तथा क्षण के मोह के कारण मनुष्य का पतन को अपने "बिन बाती के दीप", "फंदी", खजुराहो का शिल्पी", "एक और द्रोणाचार्य" आदि नाटकों में किया है| ''स्त्री-पुरुष संबंधों को जांचने परखने व उ  नए परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने का भी प्रसास डॉ. शेष ने अपने "बिन बाती के दीप", "मूर्तिकार", "रत्नगर्भा" आदि नाटकों के माध्यम से किया है| जीवन के स्वस्थ सूत्र स्पष्ट करते हुए उन्होंने स्त्री-पुरुष संबंधों के परस्पर समर्पण और विशवास की भावना को महत्व दिया है तथा दोनों के बिना जीवन ससंभव है|"2
समय परिवर्तन के साथ-साथ उनके पात्रों की स्थिति में भी पूर्णत: परिवर्तन होता है|विशेषकर नारी जीवन, उसकी अस्मिता पर बल दिया जाने लगा है| इसका एक मात्र कारण या सम्पूर्ण श्रेय स्वयं नारी को ही जाता है आज वह अपनी चेतना को जगाकर अपने अधिकार व अस्तित्व के प्रति जागरूक हुई है| उसमें आत्मबल, आत्मविश्वास, विद्रोह व विरोध करने का साहस उत्पन्न हो गया है जिसके फलस्वरूप नारी आज पुरुष की सहकर्मी बन गई है| लाल और शेष के नाटकों में नारी के दोनों रूपों का चित्रण है| एक ओर तो वह त्यागमय, समर्पित व पुरुष की प्रेरकशक्ति के रूप में उभरती है, तो दूसरी ओर वह विवाहित होते हुए भी पुरुष की दासता, अन्याय व अत्याचारों के विरुध्द विद्रोह करती हुई दृष्टिगत होती है| एक ओर डॉ. लाल की सूका जो अपने पति के अत्याचारों को सहन करते हुए उसके बीमार होने पर उसकी समर्पित भाव से सेवा करते हुए अपने त्यागमय रूप का परिचय देती है| वह स्वयं कहती है- "अन्धाकुआ यही है जिसके संग मई ब्याही गई हूँ| जिसमें एक बार मै गिरी और ऐसी  गिरी कि फिर न  उबरी| न कोई मुझे निकल पाया, न मै खुद निकल सकी और न कभी निकल ही पाऊँगी| बस धीरे-धीरे इसी में चुककर मर जाऊँगी|"3
डॉ. शेष के नाटकों में चित्रित नारियों का चरित्र समर्पित, अनुभवी, प्रेरणाप्रद और त्यागमय बनकर प्रस्तुत हुआ है| वह अपने चरित्र और अधिकारों के प्रति स्वस्त: जागरूक है| उसे अपने पति को सही राह पर लाने के लिए अधिकार और सहयोग चाहिए प्यार से बने अपने घरौदे को बचाने के लिए इतना ही नहीं डॉ. शेष के "खजुरहो का शिल्पी" नाटक में तो एक लड़की को गोद लिया गया है जो उनके नारी संबंधी पात्र की विशिष्टता को उजागर करता है| 
उसी प्रकार डॉ. शेष के "रत्नगर्भा" नाटक की "इला" अपने पथभ्रष्ट पति को सही राह पर लाने हेतु अपनी बहन को अपने ही पति से विवाह करने के लिए तैयार कर अपने त्याग व बलिदान का परिचय देती है, यथा-
"इला - तू अपने जीजा से ब्याह कर ले|
माया - पागल होई हो दीदी! अपनी बहन को सौत बनाकर रखोगी?
इला - इसे तू पागलपन समझती है मै नहीं| मै जानती हूँ, इसके लिए तुझे त्याग करना पड़ेगा| संभवत: तुम्हें अपनी सभी आकांक्षों का त्याग करना पड़ेगा| परन्तु मेरा पति इस पतन के गर्त से अकाशी ऊपर उत जाएगा उसमें इंसानियत की पुन: प्राण-प्रतिष्ठा हो जाएगी| अपने पति को मनुष्य बनाने के लिए मै बड़ों से बड़ा त्याग कर सकती हूँ, माया|"4
अर्थात् उनके पात्र मानवीयता व इंसानियत से लबालग भरे हुई है|
डॉ. शंकर शेष व्यक्ति और जीवन समस्याओं को सामग्र रूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से मनोरंजन के साथ आदर्शों की झलक और सही जीवन की प्रस्तुति करते है| उनके नाटकों में मात्र पारम्परिक आदर्शवादित न होकर वस्तुस्थिति का स्पष्ट दर्शन होने से नाटक की समस्या के साथ उनके नाटक दर्शकों से जुड़ जाते हैं क्योंकि शेष का ध्यान समसामयिक समस्याओं और युग चेतना के चित्रण में अधिक रमा है| शेष की दृष्टी व्यक्ति से समाज की ओर अधिक मुंडी है इसलिए मनोवैज्ञानिक उलझनों के साथ ही पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक त्रुटियों का यथातथ्य चित्रण मिलता है| डॉ. शेष जीवन की अनेक विसंगतियों और मानव मन की छटपटाहट को मूर्त रूप देने, जीवन विषयक या मानवीयता के धारातल पर यूगीन प्रश्न उपस्थित करने वाले नाटककार है| डॉ. शेष ने हिन्दी नाट्य-साहित्य को आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं रंगमंच आदि के माध्यम से प्रतिष्ठा देने की अहर्निश तथा भरसक कोशिश की है|
उद्देश्य की दृष्टी से डॉ. लाल व डॉ. शेष के नाटकों का उद्देश्य मानव-जीवन की विभिन्न समस्याओं, कठिनाइयों व संघर्षों की व्यंग्यपूर्ण झांकी दिखाना तथा तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को लेकर उनके यथार्थ चित्रण एवं स्पष्टीकरण के पश्चात उनका समाधान प्रस्तुत करना व उससे सम्बंधित प्रश्नों को उठाना ही उन दोनों के उद्देश्य रहा है| आधुनिक व्यक्ति, समाज तथा सामाजिक संस्थाओं के टूटन, विघटन एवं खोखलेपन का चित्रण व नारी तथा शोषित वर्ग के प्रति उनके संवेदना और स्त्री-पुरुष संबंधों का अन्वेषण ही लाल और शेष के नाटकों के दो प्रमुख उद्देश्य रहे| इसके अतिरिक्त शेष के नाटकों की  यह भी एक विशेषता है कि उनके अधिकांश नाटकों के कथ्य नाटक के अंत में एक प्रश्न छोड़ जाते हैं| नाटक के चरित्र भी उन प्रश्नों में उलझते रहते है और नाटक के दर्शक, पाठक भी| दोनों ही नाटककार अपने नाटकों के माध्यम से लोक को जागरूक कर उनमें संघर्ष चेतना का संचार करना चाहते है|
संक्षेपत: कहा जा सकता है कि डॉ. लाल एवं डॉ. शेष दोनों नाटककारों के नाटक में सम्पूर्ण नाट्य-साहित्य स्त्री-पुरुष संबंधों के विविध रूपों, लोकजीवन, लोकभावनाओं के सजीव चित्रों, वर्त्तमान परिवेश और प्रश्नों, समकालीन जीवन के विवध अनुभवों, मनुष्य के अन्तर्मन में छिपे सत्यों को अभिव्यक्त करते है| दोनों ही समकालीन नाट्य-साहित्य के रंगमंच से रंगभूमि की ओर ले जाने वाले एक अविरल, प्रतिभा संपन्न, कर्मयोगी एवं रंग्योगी नाटककार के रूप में प्रस्थापित है और सदैव रहेंगे|

संदर्भ
1.लवकुमार लवलीन           समकालीन रंगधर्मी नाटककार               पृ-47
2.डॉ. नरनारायण राय          लक्ष्मीनारायणलाल                        पृ-170-171 
3.डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल       अन्धाकुआ                              पृ-129
4.डॉ. हेमंत कुकरेती            शंकर शेष समग्र नाटक भाग-1  रत्नगर्भा      पृ-64





    
रचनाकार परिचय नाम: के. महालक्ष्मी
पता    :  १४ मानसरोवर अपार्टमेंट
          बालाजी नगर
          पाडीकुप्पम रोड
          अन्ना नगर वेस्ट
          चेन्नई - ४०
व्यवसाय  : अध्यापिका चेन्नै पब्लिक स्कूल
शोथार्ती   : पीएच.डी, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा 

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,34,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",6,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,17,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,15,कमलेश्वर,6,कविता,1408,कहानी लेखन हिंदी,13,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,4,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",14,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,2,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,29,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,68,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,4,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,25,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,23,नाटक,1,निराला,35,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,38,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,174,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,133,प्रयोजनमूलक हिंदी,21,प्रेमचंद,39,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,3,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,5,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,6,भक्ति साहित्य,138,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,4,महादेवी वर्मा,18,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,10,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,11,यशपाल,13,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,5,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,1,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,117,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,33,विद्यापति,6,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,52,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,28,सआदत हसन मंटो,9,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,221,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,17,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,69,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",9,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,20,सूरदास,15,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,343,हिंदी लेख,504,हिंदी व्यंग्य लेख,3,हिंदी समाचार,164,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,85,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,18,hindi essay,335,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,94,hindi stories,656,hindi-kavita-ki-vyakhya,15,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,13,kavyagat-visheshta,22,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,9,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,32,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: नाटकों का तुलनात्मक अध्ययन
नाटकों का तुलनात्मक अध्ययन
डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल एक सक्रिय नाटककार, अनुभवी निर्देशक, लोकप्रिय अभिनेता और एक कुशल रंगशिल्पी के रूप में लगभग तीन दशकों तक रंगमंच के माध्यम से हिन्दी रंग जगत के सामने आते रहे है|
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgYMZ_jIMqo5KVzuID3c0H2oNduP_mQ7mDtEnVIyoNujRS93czHlObG5LJkMSiOhgvwjEYGTqvePhldel_NuBYT4GtMr97gFxrU_98wfPhU5E67k4pgZ5wSCLczKd_g0ekuvbe6wMNO8iGz/s200/image1.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgYMZ_jIMqo5KVzuID3c0H2oNduP_mQ7mDtEnVIyoNujRS93czHlObG5LJkMSiOhgvwjEYGTqvePhldel_NuBYT4GtMr97gFxrU_98wfPhU5E67k4pgZ5wSCLczKd_g0ekuvbe6wMNO8iGz/s72-c/image1.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2017/07/laxmi-narayan-lal-shankar.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2017/07/laxmi-narayan-lal-shankar.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका