आदत
अजीब सा शख्स हैं कुछकभी कहता है
कभी कहता ही नही,
खामोश हो दरिया
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रूबी श्रीमाली |
सफर ही कुछ
ऐसा है जिंदगी का,
हमसफर हो कोई
ये जरूरी तो नही
तन्हा क्या यहॉ
लोग रहते नही,
दूंढ लेते है हम अक्सर
तन्हाई में भी खुशिया
कौन कहता है
तन्हा कोई खुश
रहता नही,
गुलाब गुलाब
होता है,
क्या सुख जाने पर
कोई गुलाब उसे
कहता नही,
दिल लगाने की
बात कहते हैं वो,
उन्हें क्या खबर
हम सिवा अपने
दिल किसी से
लगाते नही,
वक़्त से हुआ करती है
आजमाइश यहाँ,
हम तो यहाँ
किसी को
आजमाते नही,
रिश्ता प्यार का हो
या नफरत का
हम गैरो की तरह
कोई रिश्ता
निभाते नही,
आदत सी बन गई
निभाने की
अब तो अपनी
ये आदत जिंदगी से
अब तो जाती नही,
रूबी श्रीमाली
बघरा,मुज़फ्फर-
-नगर,251306
बहुत सुन्दर रचना
उत्तर देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति जी
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