पुराने कपड़ों की पोटली में दिख गए हैं दो छोटे दस्ताने स्मृति एकाएक पार करती है बेटा कई बरस जब मेरा बेटा पहनता था ये दस्ताने इन दस्तानों में उसकी दादी के नेह की गंध है अपने पोते के नन्हें हाथों के लिए बनाया था उन्होंने यह स्नेह-कवच
स्नेह की गंध
पुराने कपड़ों की पोटली में
दिख गए हैं
दो छोटे दस्ताने
स्मृति एकाएक पार करती है
कई बरस जब
मेरा बेटा पहनता था
ये दस्ताने
इन दस्तानों में
उसकी दादी के
नेह की गंध है
अपने पोते के
नन्हें हाथों के लिए
बनाया था उन्होंने
यह स्नेह-कवच
बेटे की दादी अब नहीं है
पर छोटी-छोटी चीज़ों में बसी
उनकी स्नेह की गंध
आज भी यहीं है
----------०----------
2. कामकाजी पत्नी
-----------------
( पत्नी लीना को
समर्पित )
--- सुशांत सुप्रिय
दफ़्तर से लौटकर
थकी-हारी आती है वह तो
महक उठती है
घर की बगिया
बच्चे चिपक जाते हैं
उसकी टाँगों से जैसे
शावक हिरणी से
उन्हें पुचकारती हुई
रसोई में चली जाती है वह
अपनी थकान को स्थगित करती
दूध-चाय-नाश्ता
ले आती है वह
उसे देखता हूँ
बेटी को पढ़ाते हुए तो
लगता है जैसे
कोई थकी हुई तैराक
बहादुरी से लड़ रही है
लहरों से
' आज खाना बाहर से
सुशांत सुप्रिय |
मँगवा लेते हैं ' --
मेरी बात सुनकर
उलाहना देती आँखों से
कहती है वह --
' मैं बना दूँगी थोड़ी देर में
ज़रा पीठ सीधी कर लूँ '
दफ़्तर के काम से जब
शहर से बाहर
चली जाती है वह तब
अजनबी शहर में
खो गए बच्चे-से
अपने ही घर में
खो जाते हैं
मैं और मेरे बच्चे
सूख जाता है
हमारे दरिया का पानी
कुम्हला जाते हैं
हमारे तन-मन के पौधे
इस घर की
धुरी है वह
वह है तो
थाली में भोजन है
जीवन में प्रयोजन है
दफ़्तर और घर के बीच
तनी रस्सी पर
किसी कुशल नटी-सी
चलती चली जा रही है वह
----------०----------
3. वे मरेंगे
-----------
( वरिष्ठ कवि राजेश जोशी जी
को समर्पित )
--- सुशांत सुप्रिय
जो सीधे होंगे
मिसफ़िट होंगे
वे मरेंगे
यह समय है
वक्र रेखाओं का
जो होंगे
सरल रेखाओं-से
वे मरेंगे
सच बोलने का चलन
नहीं रहा अब
जिनके मन का जल
खारा नहीं होगा
वे मरेंगे
यह युग है
अमावस की
कालिमा का
जिनके भीतर
बचे होंगे
मासूम रोशन बच्चे
वे मरेंगे
------------०------------
प्रेषक : सुशांत सुप्रिय
A-5001 ,
गौड़ ग्रीन सिटी ,
वैभव खंड ,
इंदिरापुरम् ,
ग़ाज़ियाबाद - 201014
( उ.प्र )
मो : 8512070086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com
------------0------------
श्रीमान आपकी लेखनी अत्त्यन्त ही रोचक और शिक्षाप्रद है,ह्रदय से आभार व्यक़्त करता हूँ। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएं