कन्यादान की रस्म क्यों ?

SHARE:

कन्या को जीवन संगिनी के रूप में उसके माता-पिता वर के हाथों में सौंपते हैं । तो फिर कन्यादान का क्या महत्व है ? सोचिये जब कन्या का दान ही कर , दिया गया तो वह पति के मन प्राण और गृह स्वामिनी कैसे हुई ? और फिर पति पत्नी के बीच आत्मिक संबंधों की बात ही कहां रह जाती है ?

कन्यादान की रस्म क्यों ?

 विवाह के अवसर पर गाया जाने वाला एक गीत बहुत प्रचलित है ---"हम तो बाबुल तोरे खूंटे की गैया..जित हाँके ....हंक जाएँ ...!!" --इतना बड़ा अपमान है !ये स्त्रियों का ....गाय की तरह हमें जहां चाहा हांक दिया और जिसे चाहा दान कर दिया !! तो क्या समाज में हमारी स्थिति किसी पशु के समान है ? प्राचीन शास्त्रों से लेकर वर्तमान
कन्यादान
कन्यादान
कानून और संविधान में कौन है जो कन्यादान का अनुमोदन करता है? इसका जवाब पाने से पूर्व यह जान लेना आवश्यक है कि दान किसे कहते हैं ?और दान देने का अधिकारी कौन होता है ?----" किसी भी चल अचल वस्तु को उसके स्वामी द्वारा किसी अन्य को उस वस्तु का मूल लिए बगैर हस्तांतरित कर दिया जाता है ,तो उसे 'दान ' कहते हैं । " -गौर करने वाली बात है ये कि दान में दी जाने वाली वस्तु का पूर्ण स्वामित्व दान देने वाले पर होना आवश्यक है । अर्थात दान की वस्तु 'दानदाता ' की निजी संपत्ति हो , यह आवश्यक है । इसी संदर्भ में आधुनिक संपत्ति हस्तांतरण विधान की परिभाषा देखिए --' यदि एक व्यक्ति के द्वारा ( जिसे दाता कहते हैं ) दूसरे व्यक्ति को (जिसे और अदाता कहते हैं ) कोई चल या अचल संपत्ति इच्छा पूर्वक और बिना किसी प्रकार की आशा के हस्तांतरित की जाए तो उस इस हस्तांतरण को 'दान' कहते हैं । यद्यपि  हमारे प्राचीन शास्त्रों में कहीं -कहीं कंयादान का समर्थन जरूर मिलता है बृहस्पति स्मृति , लिंग पुराण ,याज्ञवल्क्य स्मृति' को छोड़ शेष सभी प्राचीन शास्त्र कन्यादान का विरोध करते हैं ।  हमारा आधुनिक सविधान और वर्तमान कानून भी कन्यादान  के महत्व को नहीं स्वीकारता है। जैसा कि स्पष्ट किया जा चुका है - दान केवल उस वस्तु का ही दिया किया जा सकता है जिस पर दान दाता का स्वामित्व हो या दान में दी जाने वाली वस्तु निजी संपत्ति हो । यदि पुत्री को पिता की संपत्ति मान लिया जाए तो इसका अभिप्राय हुआ कि पिता अपनी ही कन्या का उपभोग करने का उत्तराधिकारी है । किंतु ऐसी कल्पना स्वप्न में भी करना हमारे लिए निंदनीय घृणित और असंभव है । बल्कि असामाजिक दृष्टि से तो यह महापाप है। तो  फिर ऐसी अवस्था में पिता को क्या हक़ है कि वह उस पुत्री का दान करें , जो उसकी संपत्ति ही नहीं ।। क्योंकि वह एक  अभिभावक या पालनकर्ता  के रूप में अपनी संतान का पालन करता है। इस  संदर्भ में मुस्लिम विधान के लिए 'सय्यद अमीर अली' द्वारा दी गई टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण है--"  पिता लड़की का वली मात्र होता है ,जो कन्या की ओर से कानूनी काम करता है। वह किसी भी दृष्टि से उसका स्वामी नहीं होता है। पति भी उसका स्वामी नहीं होता है ।

भारतीय सविधान तथा भारतीय दंड संहिता के अनुसार 18 वर्ष की आयु पूरी करने के पश्चात लड़की अपना वर स्वयं चुनने की स्वतंत्र अधिकारी है। फिर  इसमें पिता द्वारा किया गया कन्या दान का महत्व ही कहां रह जाता है ? कोर्ट मैरिज में भी विवाह के लिए इच्छुक युवक -युवती के हस्ताक्षर तथा गवाह के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं ! यहाँ भी माता-पिता के कन्यादान की आवश्यकता नहीं समझी जाती है। ...

कन्यादान के विरोध में सर्वाधिक प्रबल आवाज श्री कृष्ण की है । महाभारत में प्रसंग है --' कृष्ण की बहन सुभद्रा मन ही मन अर्जुन के प्रति आसक्त थी । तब श्री कृष्ण की सहायता से ही अर्जुन तथा सुभद्रा का गंधर्व विवाह संपन्न हुआ था । ( गंधर्व विवाह लगभग आजकल के कोर्ट  मैरिज की तरह होता था ) ।  बलराम ने सुभद्रा और अर्जुन के विवाह  पर असहमति प्रगट करते हुए कहा था, --"  कि ब्राम्ह विवाह  के अनुसार जबतक कन्यादान नहीं हो जाता वह विवाह नहीं माना जाता ।"  इस पर  श्री कृष्ण ने बलराम से पूछा ....." प्रदान मपी कन्याया: पशुवत को नुमन्यते ?" अर्थात - "  पशु की भांति कन्या के दान का अनुमोदन कौन करता है?  कन्यादान के विरोध के स्वर में मनुस्मृति और नारद स्मृति भी पीछे नहीं है ।

अब जरा विवाह अन्य रस्म तथा वैदिक मंत्रों  पर विचार करें । हमारे यहां विवाह की सर्वाधिक महत्वपूर्ण कड़ी है -' सप्तपदी ' ! जिसके बिना वास्तव में कोई भी युवक एवं युवती को पति- पत्नी के रुप में स्वीकार नहीं किया जा सकता ।  यहां तक कि यदि 'सप्तपदी ' (सात फेरे )  होने से पूर्व यदि कोई हादसा घटित हो जाये , या  विवाह में व्यवधान उपस्थित हो जाता है, तो  ऐसी स्थिति में कन्या को कभी भी विवाहिता नहीं माना गया , बल्कि उस का दूसरा विवाह करने की अनुमति भी प्राचीन शास्त्र देता है।

 कहने की आवश्यकता नहीं , कि आधुनिक कानून  भी विवाह विच्छेद या तलाक के समय यही प्रश्न पूछता है - "कि सप्तपदी ' हुई या नहीं ?  कन्यादान के बारे में तो कानून कोई सवाल ही नहीं उठाता ।  दूसरी बात ये  है , कि कन्यादान के बाद चूँकि पति को कन्या का स्वामित्व प्राप्त नहीं होता , तो फिर कन्यादान का क्या महत्व है ? अब विवाह के समय पढ़े  जाने वाली वैदिक मंत्रों की ओर भी ध्यान दें ।इन वैदिक मंत्र में - पत्नी को पति की दासी ना बताकर गृह स्वामिनी का दर्जा दिया गया है। इन मंत्रों में यह स्पष्ट आदेश है कि  अपनी  पत्नी के बिना पति कोई भी विविध धार्मिक कार्य या अनुष्ठान पूर्ण नहीं कर सकता । इसी तरह सावित्री की कन्या सूर्या के विवाह में पढ़ा गया एक मंत्र तब से आज तक प्रत्येक शास्त्र सम्मत हिंदू विवाह में दुहराया जाता है --
सम्राज्ञी श्वसुरे भव , सम्राज्ञी श्वश्रवा भव ।
ननान्दिर सम्राज्ञी भव , सम्राज्ञी आदि देवुयु ।।"
अर्थात - " (तू )ससुर की सम्राज्ञी  हो ,ननद एवं देवर की सम्राज्ञी हो । "
तो क्या दान में दी हुई वस्तु अपने प्रियजनों की सम्राज्ञी हो सकती है ? दान में दी जाने वाली प्रत्येक  वस्तु का सबसे दुर्बल पक्ष यही होता है,  कि वह दान लेने वाले के बराबर कभी नहीं हो सकता । वह सदैव एक निम्न वस्तु मानी जाती है । तो यह दान में प्राप्त कन्या कभी भी ससुराल जनों के बीच बराबरी के स्थान पर सकती है ? ...उसे
डॉ निरूपमा वर्मा
डॉ निरूपमा वर्मा
परिवार के अभिन्न  व्यक्ति के रुप में स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि वह  दान में प्राप्त है । ....उसका स्थान ससुराल में सदैव नीचे ही होना चाहिए । जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है , हमारे यहां बहू को लक्ष्मी की रुप में इज्जत दी जाती है और यहां बहू को उसका स्थान नीचा  नहीं बल्कि बराबरी का होता है।  सच तो ये है कि यदि ऐसा होता तो वर  अपनी होने वाली पत्नी से विवाह की वेदी  पर लिए गए वचनों में यह कभी नहीं कहता---" मैं अपने सौभाग्य के लिए तुम्हारा हाथ पकड़ता हूं । .. हम दोनों साथ-साथ वृद्धावस्था को प्राप्त हों ...भग , अर्मया, सविता और पुरधि नामक देवताओं की कृपा से मेरे घर की स्वामिनी बनने के लिए तुम मुझे प्राप्त हुई हो.." ।।

हमारे किसी भी वैदिक मंत्र में वर द्वारा यह नहीं कहलाया  गया है ----"कि मैं (वर ) तुम्हे (कन्या को ) दान के स्वरुप स्वीकार करता हूँ ।"  

ऐसा तो किसी शास्त्र में नहीं कहा गया है ,फिर  कन्यादान  की रस्म क्यों की जाती है? आखिर  इसका औचित्य क्या है ?

कन्या को जीवन संगिनी के रूप में उसके माता-पिता वर के हाथों में सौंपते हैं ।  तो फिर कन्यादान का क्या महत्व है ? सोचिये  जब कन्या का दान ही कर ,  दिया गया तो वह पति के मन प्राण और गृह स्वामिनी कैसे हुई ? और फिर पति पत्नी के बीच आत्मिक संबंधों की बात ही कहां रह जाती है ? क्योंकि दान में प्राप्त भी वस्तु को पति चाहे दासी के रूप में मान दे या  वेश्या का स्थान दे । क्या फर्क पड़ता है ! किन्तु हम जानते हैं हमारे भारतीय समाज में पति पत्नी के मध्य एक आत्मिक संबंध जुड़ा हुआ है । दोनों एक दूसरे के पूरक है । जीवन साथी है । परिवार को कायम रखने वाला एक अटूट रिश्ता है।  पत्नी , पति की दासी नहीं अर्धांगिनी मानी गई है । इसका सबसे उत्तम उदाहरण शिव - पार्वती का है । जब पार्वती ने शिव जी के साथ विवाह किया,  तब उन्होंने यह इच्छा प्रकट  की -- कि वे पति से भिन्न या अलग होकर नहीं रहना चाहती है।  इस पर शिव जी ने पार्वती को अपने बाएं हिस्से में समाहित कर लिया , तभी से स्त्रियों को 'वामा ' कहा जाता है।  जरा सोचिए यदि पत्नी को दान की वस्तु मानकर ग्रहण किया जाता तो शिव जी  क्या कभी पार्वती को अपने अस्तित्व का वाम (बायां) हिस्सा मानते ?  और पत्नी को अर्धांगिनी का उच्चतम स्थान देते ?

फिर हम क्यों सुंदर और पवित्र रिश्ते के  साथ दान जैसे पदस्थ हीन ,शब्द का उच्चारण करके विवाह ,दाम्पत्य तथा परिवार की समस्त उच्च स्तरीय मान्यताओं पर आघात क्यों किया जाए?

डॉ निरूपमा वर्मा
जन्म 13/5/1953 . शिक्षा - एम ए , एम् फिल. , पीएचडी । रविशंकर वि.वि. रायपुर , छत्तीसगढ़ । 6,वर्ष जवाहर लाल नेहरू डिग्री कॉलेज एटा में समाज शास्त्र की व्याख्याता रही । पाँच वर्ष , जिला उपभोक्ता फोरम की न्यायिक सदस्य । तीन वर्ष जिला बाल किशोर न्यायालय की बोर्ड में सदस्य । साहित्यिक ...समसामयिक लेखों का विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन । आकाशवाणी से अनेक विषयों पर वार्ताएं प्रसारित । कुछ कहानी भी प्रकाशित । शोध प्रबंध - पुस्तक रूप में प्रकाशित । अखिल भारतीय भाषा से सम्मलेन से सम्बद्ध । तथा सामाजिक कार्य कर्ता ..। सम्मान -- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा " नारी सम्मान ।" दैनिक जागरण ,पत्र समूह द्वारा -'नारी सशक्तिकरण सम्मान '। दैनिक अमर उजाला ,द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु सम्मान ।  तथा हिंदुस्तान प्रकाशन समूह द्वारा --' सशक्त नारी सम्मान ' से सम्मानित । पता-निरुमन विला वर्मा नगर ,आगरा रोड एटा (उत्तर प्रदेश ) -207001 email-- drnirupama.varma@gmail .com मोबाईल ---9412282390

COMMENTS

Leave a Reply: 6
  1. कन्यादान का शाब्दिक अर्थ होना चाहिए -कन्या के लिए दिया जाने वाला दान। विवाह के समय हमारे क्षेत्र ( सहारनपुर) में वैदिक विधि से होने वाले विवाह में पंडित जी द्वारा घोषणा की जाती है-कन्यादान करने की । उस समय उपस्थित व्यक्तियों की जैसी सामर्थ्य है, उसके अनुरूप रुपया-पैसा आभूषण थाली में रख दिया जाता है्। इस थाली को परिवार का व्यक्ति सबके बीच में घुमाता है।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके द्वारा लिखा गया लेख “कन्यादान की रस्म क्यों” पढ़ा काफी प्रेरणादायक , समाज को नई राह दिखाने वाला, इस रस्म पर गम्भीरता से विचार करने वाला लेख है।

    जवाब देंहटाएं
  3. इस शब्द का आरंभ कहां से और कैसे हुआ माना जा सकता है ?

    जवाब देंहटाएं
  4. कितनी तरह की कन्या होती हैं और कन्या किस उम्र में दान के लिये योग्य होती हैं?१३ वर्ष की अवस्था तक ही कन्यादान होता हैं,इससे उपर जबतक कन्या पिता के घर में रहती हैं,पिता के पुण्योंको स्वाहा करती हैं।इन बातोंको इंटरनेट से हरामखोर कॉम्युनिस्टोंने गायब कर दिया हैं।अब मुझे कल्याण मासिक में ही खोजना होगा।क्या किसीको कन्यादान पर जानकारी हैं? केवल १० वर्ष की आयुतक की कन्याओं का वर्णन मिलता(कन्यापुजन में)आगे का वर्णन किसी को पता हो तो बताये। ११,१२,१३ की आयु तक ही कन्या का दान होता हैं,बाद में वह पुण्य (कन्यादान का)मिलता नहीं हैं।उसके पिछे भी शास्त्रीय कारण हैं।अज्ञानी लोगों को वह पता नहीं हैं इसलिए उसका विरोध कर रहे!जब पिता के घर में कन्या मासिक धर्मोपरांत अगर रहती हैं तो उसकी उफनती वासनाओंकी तृप्ति के लिये वह गलत मार्ग का चयन कर सकती हैं, इसलिए उसका उससे पहले ही कन्यादान किया जाता है। आज समाज के पतन का कारण ही अधिक वयस तक कन्याओंका घर में रहना और उच्छृंखलता हैं।अगर लडकी का चरित्र ही बिगड जाये, आधुनिकता के नाम पर तो वह अच्छी सुशील पत्नी वह माता कहां से बनेगी??

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,34,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",6,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,17,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,15,कमलेश्वर,6,कविता,1408,कहानी लेखन हिंदी,13,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,5,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,4,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,3,केशवदास,4,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",14,गीतांजलि,1,गोदान,6,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,2,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,29,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,68,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,4,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,25,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,3,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,23,नाटक,1,निराला,35,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,38,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,174,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,133,प्रयोजनमूलक हिंदी,21,प्रेमचंद,39,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,3,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,5,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,6,भक्ति साहित्य,138,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,4,महादेवी वर्मा,18,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,10,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,11,यशपाल,13,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,5,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,2,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,8,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,1,रीतिकाल,3,रैदास,2,लघु कथा,117,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,33,विद्यापति,6,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,5,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,5,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,52,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,28,सआदत हसन मंटो,9,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,221,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,17,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,69,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",9,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,20,सूरदास,15,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,2,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,343,हिंदी लेख,504,हिंदी व्यंग्य लेख,3,हिंदी समाचार,164,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,85,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,18,hindi essay,335,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,94,hindi stories,656,hindi-kavita-ki-vyakhya,15,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,13,kavyagat-visheshta,22,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,9,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,32,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: कन्यादान की रस्म क्यों ?
कन्यादान की रस्म क्यों ?
कन्या को जीवन संगिनी के रूप में उसके माता-पिता वर के हाथों में सौंपते हैं । तो फिर कन्यादान का क्या महत्व है ? सोचिये जब कन्या का दान ही कर , दिया गया तो वह पति के मन प्राण और गृह स्वामिनी कैसे हुई ? और फिर पति पत्नी के बीच आत्मिक संबंधों की बात ही कहां रह जाती है ?
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi52QX8bWmpBNVpNG5-to-BYHun8sl6jXeJxNy2t0FxaCjsbdIbUREuDFpX61ekKd0KXs8hCBqSQZgNzU96P1vLqF05q0QeGMZwDV0CnzWV-yF4OtaOpMgzBUK21bl8njwfh9-l0-NK8BP8/s320/52127-marriage-500.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi52QX8bWmpBNVpNG5-to-BYHun8sl6jXeJxNy2t0FxaCjsbdIbUREuDFpX61ekKd0KXs8hCBqSQZgNzU96P1vLqF05q0QeGMZwDV0CnzWV-yF4OtaOpMgzBUK21bl8njwfh9-l0-NK8BP8/s72-c/52127-marriage-500.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2016/12/kanyadan.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2016/12/kanyadan.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका