गरीब की मेहनत
"बाबूजी घर में सारा राशन ख़त्म हो गया अब बचा है तो केवल गर्म पानी I " रौशनी ने कहा
"तू चिंता क्यों करती है ?बिटिया ये पाँच सौ रुपये ले राजू राशन वाले की दुकान से राशन ले आ I "
बाबूजी ने पाँच सौ रुपये रौशनी के हाथों में थमा दिए I रौशनी फिर भी उदासी जगाये चेहरे पर खड़ी I
"बाबूजी सरकार ने पाँच सौ रुपये बंद कर दिए हैं I हमारे देश में काला धन ज्यादा हैं न I "
बाबूजी की आँखें बोझिल हो रो उठीं I
"तुझे पता है बिटिया ,मैंने ये पैसे कितनी मेहनत से कमाए हैं और तू कहती है बंद हो गए I "
"मैं सच कह रही हूँ I
"रौशनी बिटिया अब मेरे इन रुपयों की कोई अहमियत ही नहीं रही I क्या हम सब भूखे रहेंगे I "
"बाबूजी नहीं,सरकार नोट के बदले नोट दे रही है बस बैंक में जाना होगा I "
बाबूजी का चेहरा खिलखिला उठा,मुस्कुराते बोले-"ला बिटिया पाँच सौ रुपये मैं बैंक जाता हूँ I "
बाबूजी हौले हौले बैंक गए बड़ी लंबी कतार लगी हुई थी फिर भी हिम्मत नहीं हारी आखिर दो घंटे बाद नंबर आ ही गया I रुपये लेकर घर पहुँचे I
"बिटिया गरीब की मेहनत कभी बेकार नहीं जाती I "
रचनाकार परिचय
नाम- अशोक बाबू माहौर
जन्म -10 /01 /1985
साहित्य लेखन -हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में संलग्न
प्रकाशित साहित्य-विभिन्न पत्रिकाओं जैसे -स्वर्गविभा ,अनहदकृति ,सहित्यकुंज ,हिंदीकुंज ,साहित्य शिल्पी ,पुरवाई ,रचनाकार ,पूर्वाभास,वेबदुनिया आदि पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित I
साहित्य सम्मान -इ पत्रिका अनहदकृति की ओर से विशेष मान्यता सम्मान २०१४-१५ से अलंकृति I
अभिरुचि -साहित्य लेखन ,किताबें पढ़ना
संपर्क-ग्राम-कदमन का पुरा, तहसील-अम्बाह ,जिला-मुरैना (म.प्र.)476111
ईमेल-ashokbabu.mahour@gmail.com9584414669 ,8802706980
जय मां हाटेशवरी...
उत्तर देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
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इस लिये आप की रचना...
दिनांक 19/11/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
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इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
बढ़िया
उत्तर देंहटाएंbahut sunder kahani, jaise es kisan ne ye samajh liya ki garib ki mehnat kabhi bekar nahi jati, vaise hi hamari mehant bhi bekar nahi jayengi, sirf hame sabra karna honga kyoki sarkar jo bhi kadam uthaya hain vo hamari bhalayi ke liye hain.
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