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मेरा बचपन (बाल कविता)
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सुशील शर्मा
बचपन रंग रंगीला है।
कितना लगे सुरीला है।
नन्ही के संग दौड़ा दौड़ी
मुन्नी के संग कान मरोड़ी
तितली के पीछे दौड़ा मैं
मछली के पीछे तैरा मैं।
मेरा पाजामा ढीला है।
नानी का में सबसे प्यारा
दादी का में राज दुलारा
जब भी पापा ने डांट लगाई।
दादा ने की उनकी खिंचाई।
मेरा चेहरा भोला है।
बचपन रंग रंगीला है।
चलो नदी में कूद लगाये
पेड़ो पर झट से चढ़ जाएँ
चलो आम पर पत्थर मारें।
करें जोर से चीख पुकारें।
खेत में सरसों पीला है
बचपन रंग रंगीला है।
चलो पानी में नाव चलाएं
कान पकड़ कर दौड़ लगाएं
कक्षा में हम धूम मचाएं
इसको पीटें उसे नचायें
देखो मिठ्ठू बोला है।
बचपन रंग रंगीला है।
कितना लगे सुरीला है।
nice, ab to bachapan sirf mobail aur internet me hi fasa hain.
उत्तर देंहटाएंबहुत सही ज्ञानी जी....
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