रमाशंकर यादव 'विद्रोही'

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आज एक कवि मर गया आपका, हमारा, पूरी दुनिया का लेकिन मोहनजोदड़ों के तालाब की सीढ़ी पर पड़ी उस औरत की लाश के पास आज भी बसती है उसकी कविता कुएं में कूद कर चिता में जलती उन औरतों की समाधि में आज भी बसती है उसकी कविता सती होने वाली उन महारानियों की

कवि रमाशंकर यादव 'विद्रोही' की  याद में
आज एक कवि मर गया
आपका, हमारा, पूरी दुनिया का
लेकिन मोहनजोदड़ों के  तालाब की सीढ़ी पर  पड़ी उस औरत 
की लाश के पास आज भी बसती है उसकी कविता
कुएं में कूद कर चिता में जलती उन औरतों
की समाधि में आज भी बसती है उसकी कविता
सती होने वाली उन महारानियों   की 
मजबूरियों  में आज भी बसती है उसकी कविता
बड़ी होकर चूल्हें में लगा दी जाने वाली
लड़कियों की सिसकियों में आज भी बसती है उसकी कविता
आसमान में धान बोने वाले किसान के
दिल में सूलगते आभाव की आग में 
आज भी बसती है उसकी कविता
आज एक कवि मर गया
आपका, हमारा, पूरी दुनिया का
लेकिन कहीं न कहीं भटकती है उसकी कविता
इतिश्री सिंहा राठौर
 जेएनयू की गलियों में, दीवारों में
और हवाओं तक में
जिसको आग से बचा न सके हम पर
हमेशा दहकती रहेगी उसकी कविता
सच्च में यह 'विद्रोही' बड़ा ही तगड़ा कवि था
सभी को अपनी कलम से मारने के बाद ही मरा
                                  






कवि विद्रोही को मैंने सिर्फ तस्वीरों में ही देखा.  पहले कभी मैंने उनकी कविता नहीं पढ़ी लेकिन हां आपने जेएनयू के दो-तीन दोस्तों से उनके बारे में सुना था. शायद उनकी मौत न होती तो उनके बारे में ज्यादा जानने का मौका तक न मिलता और उसी दिन ही मैंने उनकी कविताएं पढ़ी . कविताओं को पढ़कर पता नहीं क्यों मन में खलबली से मच गई और उनके बारे में लिखे बिना रह नहीं पाई. यह कविता उनकी ही कुछ कविताओं से प्रेरित है. पता है मुझे कि दूसरा 'विद्रोही'  फिर से जन्म न लेगा  लेकिन इस कविता के माध्यम से कहीं न कहीं मैंने उनकी भावनाओं को जुड़ने का प्रयास किया.

COMMENTS

Leave a Reply: 4
  1. जय मां हाटेशवरी....
    आप ने लिखा...
    कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
    हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
    दिनांक 13/12/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की जा रही है...
    इस हलचल में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
    टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    कुलदीप ठाकुर...

    जवाब देंहटाएं
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