कैसे कह दूँ कि मुलाकात नहीं होती है
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शकील बदायुनी |
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
आप लिल्लाह न देखा करें आईना कभी
दिल का आ जाना बड़ी बात नहीं होती है
छुप के रोता हूँ तेरी याद में दुनिया भर से
कब मेरी आँख से बरसात नहीं होती है
हाल-ए-दिल पूछने वाले तेरी दुनिया में कभी
दिन तो होता है मगर रात नहीं होती है
जब भी मिलते हैं तो कहते हैं कैसे हो "शकील"
इस से आगे तो कोई बात नहीं होती है
विडियो के रूप में देखें :
सुन्दर रचना
उत्तर देंहटाएंnice
उत्तर देंहटाएंVery good
उत्तर देंहटाएंदिल की बात कह दी आपने
उत्तर देंहटाएंbahut khub
उत्तर देंहटाएंJism se jism mil bhi jaaye , pr rooh se rooh na mil paye. Toh kya baat huie.!
उत्तर देंहटाएंbahut khoob
उत्तर देंहटाएंbahut khoob
उत्तर देंहटाएं#HindiKunj
उत्तर देंहटाएंबहुत ही सुंदर लिखा है आप ने.
Bhut khood.
उत्तर देंहटाएंBhut khoob
उत्तर देंहटाएंNICE
उत्तर देंहटाएंVERRY NICE
उत्तर देंहटाएंदिल का राज कविता बन कर बेला
उत्तर देंहटाएंबहुत खूव
उत्तर देंहटाएंबहुत खूव, शकील साहव की बात ही निराली है।
उत्तर देंहटाएंबहुत खूब शकील बदायुनी जी
उत्तर देंहटाएंकैसे कह दू कि मुलाक़ात नहीं होती बहुत हि सुन्दर रचना है मजा aagaya
उत्तर देंहटाएंI just read you blog, It’s very knowledgeable & helpful.
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Bhaut aachA lekhe h sakil ji
उत्तर देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना है,
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