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चन्द्रकान्ता |
वहाँ दूब की घास
एक सुसंबद्ध पंक्ति में
बिखरी हुई
और सरसों के चमकीले पीले
फूलों से श्रृंगारित एक अंतहीन पथ
उस स्वप्न में
किसी मजदूर की श्रम निधि
की भांति ओजस्व था
अचानक!
एक धूल से सनी आंधी गुजरी
और दूब विलुप्त हो गयी
धूल के स्थूल कणों के मध्य
वहां अब केवल कुछ अवशेष रह गए थे
और एक कंटीली झाड़ी
जिस पर एक चिड़िया बैठी थी .. अकेली
वह ख्वाहिश
पहले भी एक रोज़
मुझे छूकर गुजरी थी, ख्वाबों में
अहिस्ता से
तब मैंने उसके जूडे में
अपनें बागीचे का सबसे प्यारा फूल
साधिकार पिरो दिया था
मेरा स्नेह - स्पर्श पाकर
वह धीमे से लजाई थी
जैसे तितलियों की गंध पाकर
प्रफ्फुलित हो
पुष्प क्रीड़ा करते हैं
और मेघों की आहट पर
झींगुर नाचने लगते हैं
अहाते में
उसकी खुशबू
इतनी ताज़ा है जैसे
गोबर से लीपे हुए छप्पर की सौंध
और चूल्हे की आंच पर
धीमे - धीमे पकते
बेसन की
खटाती सी महक
वह एक अधूरी ख्वाहिश थी
जिसका अपूर्ण रह जाना तय था
जो सपनों तक जाने वाली
सुनहरी सीढ़ी तक पहुँचने के
ठीक एक क्षण पहले
थोडा ठहरी और
परवर्ती क्षण जमीन पर गिर पड़ी
किन्तु, वह गिरना खूबसूरत था
वह एक स्त्री का स्वप्न था
जहाँ गिरकर उसनें चलना सीखा था | |
एक सुसंबद्ध पंक्ति में
बिखरी हुई
और सरसों के चमकीले पीले
फूलों से श्रृंगारित एक अंतहीन पथ
उस स्वप्न में
किसी मजदूर की श्रम निधि
की भांति ओजस्व था
अचानक!
एक धूल से सनी आंधी गुजरी
और दूब विलुप्त हो गयी
धूल के स्थूल कणों के मध्य
वहां अब केवल कुछ अवशेष रह गए थे
और एक कंटीली झाड़ी
जिस पर एक चिड़िया बैठी थी .. अकेली
वह ख्वाहिश
पहले भी एक रोज़
मुझे छूकर गुजरी थी, ख्वाबों में
अहिस्ता से
तब मैंने उसके जूडे में
अपनें बागीचे का सबसे प्यारा फूल
साधिकार पिरो दिया था
मेरा स्नेह - स्पर्श पाकर
वह धीमे से लजाई थी
जैसे तितलियों की गंध पाकर
प्रफ्फुलित हो
पुष्प क्रीड़ा करते हैं
और मेघों की आहट पर
झींगुर नाचने लगते हैं
अहाते में
उसकी खुशबू
इतनी ताज़ा है जैसे
गोबर से लीपे हुए छप्पर की सौंध
और चूल्हे की आंच पर
धीमे - धीमे पकते
बेसन की
खटाती सी महक
वह एक अधूरी ख्वाहिश थी
जिसका अपूर्ण रह जाना तय था
जो सपनों तक जाने वाली
सुनहरी सीढ़ी तक पहुँचने के
ठीक एक क्षण पहले
थोडा ठहरी और
परवर्ती क्षण जमीन पर गिर पड़ी
किन्तु, वह गिरना खूबसूरत था
वह एक स्त्री का स्वप्न था
जहाँ गिरकर उसनें चलना सीखा था | |
सुश्री चंद्रकांता स्वतंत्र रचनाकार एवं आयल आर्टिस्ट हैं व दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं.लेखिका ग्रामीण विकास और मानवाधिकार विषय से परास्नातक हैं. लेखिका मन की 'उन्मुक्त अभिव्यक्ति' को बेहद महत्वपूर्ण मानती हैं तथा असुंदर और निषेध समझे जाने वाले विषयों पर लिखना पसंद करती है .लेखन 'व्यक्ति मन की सृजनात्मक अभिव्यक्ति' के साथ ही एक बड़ा सामजिक दायित्व भी है जिसका काम समाज को परिवर्तित होती अभिरुचियों के अनुरूप नयी दिशा देना है.
VERY GOOD EMOTIONS. REGARDS
उत्तर देंहटाएंati sunder
उत्तर देंहटाएंकविता अच्छी लगी. जूडे में फूल पिरोने की जगह टांक दें तो बेहतर होगा .....
उत्तर देंहटाएंरावेल पुष्प
कोलकाता
Nice poem
उत्तर देंहटाएंNice poem
उत्तर देंहटाएंअदभुत .. उस भारतीय नारी का चरित्र चित्रित है जो आज भी अपना जन्म सेवा के लिए ही मानती है ..
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