तेरे तन की मैली माटी,
लगे जीवन की सोंधी खुशबु,
माँ तेरे अहसानों का,
व्याखान मैं कैसे कर दू,
लगे जीवन की सोंधी खुशबु,
माँ तेरे अहसानों का,
व्याखान मैं कैसे कर दू,
तू जीवन दाता है,
तेरे से सीखा हर एक ज्ञान,
मेरे लिए तू जग हारी,
लोग क्या कहे इससे अंजान,
तेरे से सीखा हर एक ज्ञान,
मेरे लिए तू जग हारी,
लोग क्या कहे इससे अंजान,
तेरी महानता का माँ,
ये जग क्या औरो को बताएगा,
जिसको हमने भगवान कहा,
ओ भी तेरी महानता कहा जान पायेगा.
ये जग क्या औरो को बताएगा,
जिसको हमने भगवान कहा,
ओ भी तेरी महानता कहा जान पायेगा.
तू जननीं, दुःख की गठरी,
क्या कहकर इतना उठाती है,
तेरे लिए कर दूं जीवन अर्पित,
ये भी नहीं कुछ काफी है,
क्या कहकर इतना उठाती है,
तेरे लिए कर दूं जीवन अर्पित,
ये भी नहीं कुछ काफी है,
जब मैं रोया रात रात भर,
तुने भी अपनी नींद गवाई माँ,
कैसे मैं दू तुमको वापस ओ दिन ,
तेरे लिए कुछ भी कर जाऊं माँ.
तुने भी अपनी नींद गवाई माँ,
कैसे मैं दू तुमको वापस ओ दिन ,
तेरे लिए कुछ भी कर जाऊं माँ.
अपनी कृपा प्यारी बोली से,
तू आशीर्बाद सदा देती रहना,
तेरे अहसानों का कोई मोल नहीं,
बस मुझे है इतना कहना,
तू आशीर्बाद सदा देती रहना,
तेरे अहसानों का कोई मोल नहीं,
बस मुझे है इतना कहना,
माँ की महानता का तो सचमुच कोई मोल नहीं है
उत्तर देंहटाएंआपकी कविता उत्कृष्ट भावना से ओत-प्रोत है
दीपक जी बहुत अच्छा चित्रण किया आपने माँ के रिश्ते के किरदार का आप सच में सागर से मोती चुनने में सक्षम हैं . ईश्वर आपको खूब तरक्की दे
उत्तर देंहटाएंBahut hi khub-surat kavita likhi aap..ne dil ko chune wal
उत्तर देंहटाएंor ma ke bare mai to jitna likha jaye utna kam hai..
maa tere Aanchal ki,wo dhandi chaun..aaj bhi.. mere dilo-dimag mai dhandak pahuchati hai..maa tuje salaam.....