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मैंने पहचाना नहीं तुम्हे
पर साथ सर्वदा तेरी है
प्रेम कहीं था छिपा हुआ
जीवन की हेरा फेरी है
पदचिन्हों से पाया मैंने
मैं ही था अकेले राहों में
अहंकार की सुनता मैं
पलता उसकी ही पनाहों में
जब थक कर बैठा एक दिन तो
ईश्वर को था मैं कोस रहा
बोला ईश्वर ने प्रेम पूर्वक
बस यही मुझे अफसोस रहा
जब तुम मुश्किल में घिरे हुए
लाचार हो गए जीने में
मैं कंधो पर लिए बढ़ता था
बस प्रेम लिए निज सीने में
तुमको था लगता ऐसा की
दो कदम जो थे वो तेरे थे
तुम तो हताश मेरे कन्धों पे
पदचिन्ह मात्र वो मेरे थे.............
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ijonkzmkrdezign
218168578325095
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तुमको था लगता ऐसा की
उत्तर देंहटाएंदो कदम जो थे वो तेरे थे
तुम तो हताश मेरे कन्धों पे
पदचिन्ह मात्र वो मेरे थे.............
bahut hi achi lagi abhivyakti. We always walk on the footsteps of time that leaves the imprints for us to follow