सैसव जौवन दुहु मिल गेल। श्रवनक पथ दुहु लोचन लेल।। वचनक चातुरि नहु-नहु हास। धरनिये चान कयल परकास।। मुकुर हाथ लय करय सिंगार। सखि पूछय कइसे सु...
मई दिवस : मानव-समता का त्योहार - महेंद्र भटनागर की कविता
जब तक जग के कोने - कोने में न थमेगा सामाजिक घोर विषमता का बहता ज्वार , हर श्रमजीवी तब तक अविचल मुक्त मनाएगा ' मई - दिवस ' का त्योह...
आवाज ने खोला भेद - पंचतंत्र की कहानियां
किसी नगर में एक धोबी रहता था। अच्छा चारा न मिलने के कारण उसका गधा बहुत कमजोर हो गया था। एक दिन धोबी को जंगल में बाघ की एक खाल मिल गई। उसन...
कल कहाँ जाओगी - पद्मा सचदेव की कहानी
सुबह की पहली किरण की तरह वो मेरे आँगन में छन्न से उतरी थी। उतरते ही टूटकर बिखर गई थी। और उसके बिखरते ही सारे आँगन में ...
सब लोग एक जैसा सोचते हैं - अकबर बीरबल के किस्से
दरबार की कार्यवाही चल रही थी। सभी दरबारी एक ऐसे प्रश्न पर विचार कर रहे थे जो राज-काज चलाने की दृष्टि से बेहद अहम न था। सभी एक-एक कर अपनी र...
मेरी माँ कहाँ - कृष्णा सोबती की कहानी
दिन के बाद उसने चाँद-सितारे देखे हैं। अब तक वह कहाँ था ? नीचे , नीचे , शायद बहुत नीचे...जहाँ की खाई इनसान...
माँझी - महेंद्रभटनागर के गीत
साँझ की बेला घिरी , माँझी ! . अब जलाया दीप होगा रे किसी ने भर नयन में नीर , और गाया गीत होगा रे किसी ने सा...
जैसे को तैसा - पंचतंत्र की कहानियां
किसी नगर में एक व्यापारी का पुत्र रहता था। दुर्भाग्य से उसकी सारी संपत्ति समाप्त हो गई। इसलिए उसने सोचा कि किसी दूसरे देश में जाकर व्यापार...
कवि और धनवान आदमी - अकबर बीरबल के किस्से
एक दिन एक कवि किसी धनी आदमी से मिलने गया और उसे कई सुंदर कविताएं इस उम्मीद के साथ सुनाईं कि शायद वह धनवान खुश होकर कुछ ईनाम जरूर देगा। लेकि...
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया - मिर्ज़ा गालिब
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया दिल जिगर तश्ना-ए-फ़रियाद आया दम लिया था न क़यामत ने हनोज़ फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया सादगी हाये तमन्ना यानी फिर...
मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ - शिवमंगल सिंह सुमन
मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ, पर तुम्हें भूला नहीं हूँ । चल रहा हूँ, क्योंकि चलने से थकावट दूर होती जल रहा हूँ क्योंकि जलने से तमिस्...
तांगेवाले की बड़ - प्रेमचंद की कहानियाँ
लेखक को इलाहाबाद मे एक बार ताँगे मे लम्बा सफर करने का संयोग हुआ। तांगे वाले मियां जम्मन बड़े बातूनी थे। उनकी उम्र पचास के करीब थी, उनकी बड़...
हरा घोड़ा - अकबर बीरबल के किस्से
एक दिन बादशाह अकबर घोड़े पर बैठकर शाही बाग में घूमने गए। साथ में बीरबल भी था। चारों ओर हरे-भरे वृक्ष और हरी-हरी घास देखकर अकबर को बहुत आनन...
चुटकुले - चुटकुले जोक्स
रेलगाडी की बर्थ पर संदूक रख कर एक व्यक्ति बैठने लगा तो पास बैठी मोटी महिला बोली, " इसे यहां से हटा लो, कहीं मेरे उपर गिर गया तो?" ...
तुम हमारे हो - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
नहीं मालूम क्यों यहाँ आया ठोकरें खाते हुए दिन बीते । उठा तो पर न सँभलने पाया गिरा व रह गया आँसू पीते । ता...
सबसे बड़ा हथियार - अकबर बीरबल के किस्से
अकबर और बीरबल के बीच कभी-कभी ऐसी बातें भी हुआ करती थीं जिनकी परख करने में जान का खतरा रहता था। एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा-‘‘बीरबल, संसार ...
शांति - प्रेमचंद की कहानियाँ
स्वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आती है, तो वह रंगरेलियां आंखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकांत में जाकर जरा...