
इस शहर में जी का लगाना क्या
वहशी को सुकूं से क्या मतलब,
जोगी का नगर में ठिकाना क्या
इस दिल के दरीदा दामन में
देखो तो सही, सोचो तो सही
जिस झोली में सौ छेद हुए
उस झोली को फैलाना क्या
शब बीती चाँद भी डूब चला
ज़ंजीर पड़ी दरवाज़े पे
क्यों देर गये घर आये हो
सजनी से करोगे बहाना क्या
जब शहर के लोग न रस्ता दें
क्यों बन में न जा बिसराम करें
दीवानों की सी न बात करे
तो और करे दीवाना क्या
"...To aur kya kare deevana....."...behad samvedansheel rachna!
उत्तर देंहटाएंजब शहर के लोग न रस्ता दें
उत्तर देंहटाएंक्यों बन में न जा बिसराम करें
दीवानों की सी न बात करे
तो और करे दीवाना क्या .................nice
जिस झोली में सौ छेद हुए, उस झोली को फ़ैलाना क्या?
उत्तर देंहटाएंबहुत ही उम्दा रचना पढाने के लिए शुक्रिया, नवाज़िश॥
शब बीती चाँद भी डूब चला
उत्तर देंहटाएंज़ंजीर पड़ी दरवाज़े पे
क्यों देर गये घर आये हो
सजनी से करोगे बहाना क्या