सूरदास की जीवनी साहित्यिक परिचय | Biography of Surdas in Hindi

SHARE:

सूरदास की जीवनी साहित्यिक परिचय Biography of Surdas in Hindi सूरदास का जीवन परिचय हिंदी में सूरदास का भाव पक्ष कला पक्ष सूरदास की रचनाएँ अष्टछाप

सूरदास का जीवन परिचय


सूरदास का जीवन परिचय सूरदास का जीवन परिचय हिंदी में लिखा हुआ सूरदास का जीवन परिचय हिंदी में सूरदास का जीवन परिचय एवं रचनाएँ सूरदास का जीवन परिचय भाव पक्ष कला पक्ष Surdas biography Surdas ka jeevan parichay Surdas biography in hindi surdas ji ka jivan parichay class 10th Hindi सूरदास की जीवनी सूरदास की रचनाएँ 

सूरदास की जीवनी

हिन्दी साहित्य के आकाश में महाकवि सूरदास सूर्य के रूप में विद्यमान है। अष्टछाप के कवियों में सूरदास सर्वश्रेष्ठ कवि थे। इनके जन्म स्थान ,जन्म तिथि ,अंधत्व तथा जाती के सम्बन्ध में विद्वानों में बड़ा मतभेद है। सूरसाहित्य के विद्वान इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि सं.१५३५ की बैसाख शुक्ल ५ को इनका जन्म हुआ। इनका जन्म बल्लभगढ़ (गुडगाँव) के निकट सीही नामक गाँव में हुआ था। ये एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण के चतुर्थ पुत्र थे। इसके अतिरिक्त इनके माता-पिता ,कुटुम्बी जनों एवं बंधू -बांधवों का कुछ भी पता नही है। इनके अंधत्व के सम्बन्ध में भी मतभेद है। कुछ विद्वान सूरदास को जन्मांध मानते है और स्वयं सूरदास ने अपने को "जन्म को आंधरो" कहा है। किंतु सूर के काव्य में जिस प्रकार सुश्च्म,यथार्थ ,पारदर्शी एवं सर्वागीण वर्णन मिलता है ,उसे देख कर यह नही लगता कि वे जन्मांध थे। सूरदास का साहित्य किसी जन्मांध व्यक्ति का लिखा हुआ नही हो सकता

बचपन में ही सूरदास घर त्याग का मथुरा में गौघाट में आकर रहने लगे। यहाँ पर वे दास्य भाव से कृष्ण के विनय के पद गाया करते थे। इनकी ख्याति सुन कर वल्लभाचार्य ,जब मथुरा आए,तो सूरदास ने उन्हें " प्रभु हौ सब पतितन को टीकौ" गाया जिसे सुनकर वल्लभाचार्य ने कहा " जो सूरे हैके ऐसो कहो को घिघियात हैकछु भगवत -लीला वर्णन करि।" वल्लभाचार्य ने उन्हें पुष्टिमार्ग में दीक्षित किया और कालांतर में श्रीनाथ जी के मन्दिर में प्रात: सेवा का काम सौपा । वल्लभाचार्य जी ने सूरदास को कृष्ण लीला से परिचित करवाया । सूरदास जी का देहांत पारसौली में १६१० ई.में हुआ ।

सूरदास की रचनाएँ

सूरदास की जीवनी साहित्यिक परिचय | Biography of Surdas in Hindi
सूरदास
सूरदास की ३ प्रमुख रचनायें मानी जाती है - "सूरसागर", "साहित्यलहरी" एवं "सूरसारावली" । परन्तु इनकी अक्षय ख्याति का कारण सूरसागर है।इसमे सवालाख पद बताये जाते है,किंतु खोज करने पर भी ५ हज़ार से अधिक पद नही मिल सके है। सूरसागर की रचना श्रीमदभागवत के आधार पर हुई है, परन्तु फिर भी उसे भागवत का अनुवाद नही माना जा सकता । सूरसागर में सूर की मौलिक काव्य प्रतिभा विद्दमान है।
सूरसागर के मात्र श्रीमद्भागवत का अनुवाद नहीं कहा जा सकता है। इस ग्रन्थ का मुख्य विषय श्रीकृष्ण की लीला का गान है। यह गायन श्रीकृष्ण के जन्म से प्रारम्भ होकर उनकी विविध क्रियाओं का वर्णन करते हुए मथुरा गमन तथा द्वारिका गमन और फिर कुरुक्षेत्र में ब्रजवासियों से भेंट करने की समस्त घटनाओं का वर्णन करता है। इस ग्रन्थ के प्रमुख तीन अंश है। एक अंश में में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है ,दूसरे में विनय है और तीसरे में रामकथा सम्बन्धी पद हैं। 

सूरसागर के पद सूरदास की व्यक्तिगत भक्ति भावना को व्यक्त करते हैं। इन पदों में भक्ति की अनिवार्यता प्रमाणित की गयी है। मन को भक्ति में लीन रखने के लिए इसमें भक्त को उत्साहित किया गया है। सत्संग की महिमा और भगवान विरोधियों की निंदा इस ग्रन्थ में यंत्र - तंत्र व्यक्त की गयी है। सूरसागर के पदों के आधार पर मध्यम श्रेणी के लोगों का जीवन स्पष्ट वर्णित है। 

सूरदास का भाव कला पक्ष 

सूरदास जी अष्टछाप के कवियों में सर्वश्रेठ कवि माने जाते है। महाकवि सूर अन्य भक्त कवियों की तरह एक उच्च कोटि के भक्त पहले माने जाते है,कवि बाद में। कविता करना इनका मुख्य लक्ष्य नही था। सूर का वात्सल्य एवं श्रृंगार वर्णन हिन्दी साहित्य की अमर निधि है। इन्होने बड़ी तन्मयता से श्रीकृष्ण की बाल लीलाओ का चित्रण किया है। श्रृंगार चित्रण में संयोग और वियोग दोनों का ही मार्मिक एवं हृदयग्राही वर्णन किया है। सूर का काव्य गहराई का काव्य है,विस्तार का नही। सूरदास अपने समय के आध्यात्मवाद का प्रतिनिधित्व करते है,साथ ही वे एक ऐसे मार्ग पर सामान्य जनता को ले जाते है ,जो रास्ता पूर्ण प्रशस्त एवं अंध धार्मिकता से परे थे। सूरदास के भगवान् श्रीकृष्ण हर समय- हर स्थान पर लीला करने वाले है,जो अपने भक्तो की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते है,साथ ही सूरदास की प्रतिभा पुष्टिमार्गी सिद्धांतो में दीक्षित होकर और निखर गई,जिसकी आभा सम्पूर्ण समाज एवं साहित्य जगत पर बिखेर गई :

"सूर-सूर तुलसी ससी ,उडुगन केशवदास
अबके कवि खद्योत सम ,हुं हुं करत प्रकाश।।
उत्तम पद कवि गंग के ,कविता के बलवीर
केशव अर्थ गंभीरता ,सूर तीन गुन धीर।।"

COMMENTS

Leave a Reply: 11
  1. aapke blog par itne moolyavaan lekh padhne ko mil rahe hain uske liye dhanyavaad.
    aap is lekh mein yadi soordas ji ki kuch krishna virah aur shringar ki rachnayein bhi dal dete to aur bhi achcha hota.kuch unka likha hamein yahin par padhne ko mil jata aur hum aur bhi anugrahit ho jate.

    जवाब देंहटाएं
  2. इतने छोटे आलेख में आपने ढेर सारी जानकारियां भर दी हैं .. पढकर बहुत अच्‍छा लगा .. धन्‍यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  3. मित्र बेहतरीन पोस्‍ट, छात्रों के लिये तो बहुत ही उपयोगी

    जवाब देंहटाएं
  4. रोचक
    आपकी चिठ्ठी चर्चा समयचक्र में

    जवाब देंहटाएं
  5. रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए आप श्रीमान जी को धन्यवाद
    -एक रचना प्रस्तुत
    मै में जमी सीढ़ियां दरकने लगीं |
    मौन बैठे कारवां फुदकने लगे ||
    दुसरे के गिरेवान जो झांकते रहे |
    अपने गिरवा को टटोलते मिले ||

    जवाब देंहटाएं
  6. रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए आप श्रीमान जी को धन्यवाद
    -एक रचना प्रस्तुत
    मै में जमी सीढ़ियां दरकने लगीं |
    मौन बैठे कारवां फुदकने लगे ||
    दुसरे के गिरेवान जो झांकते रहे |
    अपने गिरवा को टटोलते मिले ||

    जवाब देंहटाएं
  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  8. संक्षेप में विस्तृत जानकारी 👍साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  9. सूर सूर तुलसी शशि.... प्रस्तुत पंक्तियां किसकी हैं? कृपया बताने का कष्ट करें

    जवाब देंहटाएं
  10. Good! Keep it up
    Useful in many ways

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका