महावीर प्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक जीवन परिचय महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण महावीर प्रसाद द्विवेदी और उनका युग mahavir prasad dwivedi pari
महावीर प्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक जीवन परिचय
महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय महावीर प्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक परिचय महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण महावीर प्रसाद द्विवेदी और उनका युग महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबंध महावीर प्रसाद द्विवेदी की भाषा शैली mahavir prasad dwivedi ka jivan parichay हिंदी साहित्य का इतिहास आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक परिचय - आधुनिक हिन्दी साहित्य में युगप्रवर्तक आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी का जन्म उत्तरप्रदेश के रायबरेली जिले के अंतर्गत दौलतपुर नामक गाँव में सन १८६४ हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित रामसहाय द्विवेदी था। गाँव की पाठशाला में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, ये अंग्रेजी पढने के लिए रायबरेली के सरकारी स्कूल में भर्ती हुए,बाद में रणजीत पुरवा (जिला उन्नाव ) ,फतेहपुर तथा उन्नाव के स्कूल में भर्ती हुए। लेकिन आर्थिक अवस्था ठीक न होने के कारण उन्हें अपनी शिक्षा को बीच में ही रोक देना पड़ी ।
इसके बाद वे अपने पिता के पास बम्बई चले गए। बम्बई में इन्होने संस्कृत, मराठी,गुजराती और अंग्रेजी का अच्छा अध्ययन किया। जीविका प्राप्ति के लिए इन्होने रेलवे में नौकरी कर ली तथा कुछ समय तक नागपुर और अजमेर में रहने के पश्चात बम्बई लौट आए । बाद में ये विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए ये झाँसी आए । पाँच बर्षो के बाद, रेलवे के अधिकारियो के शोषण के विरुद्ध ,इन्होने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।
सन १९०३ में द्विवेदीजी ने "सरस्वती" पत्रिका का संपादन का भार ग्रहण किया और सन १९२० तक अत्यन्त सफलतापूर्वक उसका निर्वाह किया । इसके बाद ये पुनः गाँव लौट आए और बड़ी कठिनाई और साधना से जीवन निर्वाह करते हुए सन १९३८ में इनका देहांत हुआ।
महावीर प्रसाद द्विवेदी की आलोचना दृष्टि
सरस्वती के संपादक के रूप में इन्होने हिन्दी भाषा और साहित्य के उत्थान के लिए जो कार्य किया ,वह यादगार रहेगा। समकालीन लेखको और कवियो को सही मार्गदर्शन प्रदान करके हिन्दी साहित्य को समृद्ध और जीवंत बना कर आपने महान कार्य किया। द्विवेदीजी के सामान " सरस्वती " भी अपने आप में एक संस्था थी। उन्होंने अपनी " सरस्वती " के द्वारा नए कवि और लेखक पैदा किए,उनकी गद्य शैली और भाषा का संस्कार किया। हिन्दी की खड़ी बोली में कविता को प्रोत्साहन आपने ही दिया। इसी के साथ ही खड़ी बोली में ही साहित्य रचा जाने लगा। इसी कारण द्विवेदी जी हिन्दी साहित्य के इतिहास में युगप्रवर्तक के रूप में विख्यात है। महावीर प्रसाद द्विवेदी और सब कुछ थे ,लेकिन कवि थोड़े -थोड़े थे। साहित्यिक दृष्टि से वे एक सफल अनुवादक और पत्रकार थे। इसी लिए उनकी मौलिक रचनाओ का उतना महत्व नही है,जितना की द्विवदी जी का ऐतिहासिक और आचार्य की दृष्टि से।
महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएँ
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की निम्नलिखित रचनाएँ हैं -
काव्य : काव्य -मञ्जूषा ,सुमन ,द्विवेदी काव्य माला ,कविता कलाप
गद्य : तरुणोंपदेश ,हिन्दी कालिदास की समालोचना ,वैज्ञानिक कोष ,नाट्यशास्त्र ,हिन्दी भाषा की उत्पत्ति ,वनिता विलाप ,साहित्य संदर्भ ,अतीत -स्मृति ,साहित्यालाप
बड़े समय बाद इनके बारे मे पढ़ा ।
जवाब देंहटाएंस्कूल मे इनके बारे मे हिन्दी मे पढ़ते थे ।
हिन्दी साहित्य को दिए गए योगदान के लिए द्विवेदी द्वय (हजारी प्रसाद द्विवेदी और महावीर प्रसाद द्विवेदी )को सदैव याद किया जायेगा.
जवाब देंहटाएंhi... read ur write-up...ur blog is full of rich Hindi literature...it is a pleasure to go through ur blog...
जवाब देंहटाएंby the way, which typing tool are u using for typing in Hindi...? recently i was searching for the user friendly Indian language typing tool and found ... " quillpad " do u use the same...?
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Jai..HO....
सच हिन्दी की यह
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय सेवा है
साधुवाद के पात्र हैं आप.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
Kafi abhinav pryas hai aapka, badhai.
जवाब देंहटाएंmahatvpoorn jaankaaree . dwivedee jee ke sarasvati va unke rachnaa kaal ko sasamman "DWIVEDI YUG" kahaajaata hai.
जवाब देंहटाएंhi freiend please log on to my blog
जवाब देंहटाएंhi frd pls log on to my blog
जवाब देंहटाएंinake baare me shaayad sahitya amrit ptrikaa me paDHaa thaa magar aapakee jaankaaree bahut acchee lagee badhaaI
जवाब देंहटाएंMahan kavi the
जवाब देंहटाएंMahan kavi the
जवाब देंहटाएंहिन्दी साहित्य मे अमूल्य़ योगदान है.
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